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    सीतामढ़ी :कुदरत के दोहरे मार ने जिले की तस्वीर बदल कर रख दी ,बाढ़ के वजह से लोगो का जीना मुहाल हो गया है


    We News24 Hindi »सीतामढ़ी बिहार
    एडिटर एंड चीफ दीपक कुमार व्याहुत 

    सीतामढ़ी: कुदरत के दोहरे कहर बाढ़ की तबाही और लगातार बारिश ने जिले की तस्वीर बदल के रख दी है ।  हर तरफ प्रकृति ने अपनी तबाही के निशान छोड़ चूका है । कही सड़कें ध्वस्त हो चुकी हैं तो कही गांव से गांव और प्रखंड मुख्यालय तक जाना आसान नहीं रह गया है। 

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    सड़को पर भी  पर भी पनाह नहीं

    इलाका अब भी जलमग्न है। सड़कें टूटी हुयी हैं, गांव और शहर के गली बाढ़ की गिरफ्त में है। लोग बाग  सड़क पर जिदगी गुजरने को विवश है । लगातार बारिश के चलते लोगो को अब सड़को पर भी  पर भी पनाह नहीं मिल रही है । लोग प्लास्टिक टांग कर । किसी प्रकार अपने  दिन काट रहे हैं। आलम ये है की रोशनी के अभाव में रात अंधेरों के बीच कट रही है |लोग  रोज इस उम्मीद में सोते  हैं कि कल पानी उतर जाएगा तो  घर वापस चले जायेंगे।

    फिर से बाढ़ का संकट उत्पन्न हो गया है

    नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्र में जारी बारिश और सीतामढ़ी में जारी बारिश के चलते इलाके में फिर से बाढ़ का संकट उत्पन्न हो गया है। सोनबरसा, सुप्पी, रीगा, बोखड़ा और रुन्नीसैदपुर के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है। पुपरी और चौरौत के नए इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने से लोग परेशान हैं।

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    सुप्पी और सोनबरसा में फिर बाढ़ आ गया

    सुप्पी और सोनबरसा में फिर बाढ़ आ गया है। सोनबरसा के कई इलाकों में झीम नदी का पानी तेजी से फैल रहा है। जबकि, सुप्पी प्रखंड के जमला वार्ड एक में भी बागमती नदी का पानी घुस गया है। सुरसंड, मेजरगंज, सुप्पी, बैरगनिया, चोरौत के इलाकों में बाढ़ के दोबारा आने की आशंका से लोगों में दहशत है।


    75 परिवारों वाले ये गांव पूरी तरह डूब गया 

    पुपरी प्रखंड का गंगा पट्टी गांव में बाढ़ ने अपना कहर बरपा रखा है | 75 परिवारों वाले ये गांव पूरी तरह डूबा हुआ है। इस  गांव के लोग सभी लोग पशुपालन और दूध बेच कर अपनी गुजर बसर करते है। हालत ये है की लोग पानी में घिरे होने के वजह से  पांच दिनों से गांव सेनहीं निकल पाए है।आवागमन नहीं होने के कारण दूध बर्बाद हो रहा है।

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    24 किमी की दूरी तय करने में दस घंटे लग रहे है

    सोनबरसा से मेजरगंज की 24 किमी की दूरी तय करने में दस घंटे लग रहे है। सफर भी किश्तों में करने की मजबूरी है। कुछ दूर पैदल तो कुछ दूर पानी हेल कर और कुछ दूर तक टेम्पू के जरिए लोग जैसे-तैसे जिदगी को रफ्तार देने में लगे है। महज एक घंटे का समय अब दस घंटे में बदल गया है। लोग सुबह निकलते है तो शाम को ही पहुंचते है।

    काजल कुमारी द्वारा किया गया पोस्ट 

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