EXCLUSIVE | We News 24: बिहार का ऐसा जगह जंहा मां के बाद बेटी को अपने जिस्म का सौदा करना पड़ता है।
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एडिटर एंड चीफ दीपक कुमार व्याहुत
नई दिल्ली :वेश्यावृत्ति का कड़वा इतिहास भारत में वेश्यावृत्ति का चलन आज का नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। प्राचीन भारत में 'नगरवधु' हुआ करती थीं। दूसरीं सदी में ईसापूर्व में लिखी गई संस्कृत की कहानी मृचाकाटिका में वैशाली की नगरवधु इसी काम के लिये जानी जाती है। वेश्यावृत्ति या जिस्मफरोशी को लेकर दुनिया के प्रत्येक देश में अलग-अलग कानून है। भारत में इस धंधे को लेकर कानून काफी सख्त है, इसके बावजूद यहां चोरी-छिपे वेश्यावृत्ति काफी होती है।ऐसी ही एक जगह है बिहार में जहां यह धंधा पारवारिक है, यानी कि मां के बाद बेटी को अपने जिस्म का सौदा करना पड़ता है।
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मां के बाद बेटी करती है धंधा
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के ‘चतुर्भुज स्थान’ नामक जगह पर स्थित वेश्यालय का इतिहास मुगलकालीन है। यह जगह भारत-नेपाल सीमा के करीब है और यहां की आबादी लगभग 10 हजार है। पुराने समय में यहां पर ढोलक, घुंघरुओं और हारमोनियम की आवाज ही पहचान हुआ करती थी।हालांकि पहले यह कला,संगीत और नृत्य का केंद्र हुआ करता था लेकिन अब यहां जिस्म का बाजार लगता है। सबसे खास बात यह है कि वेश्यावृत्ति यहां पर पारिवारिक व पारंपरिक पेशा मानी जाती है। मां के बाद उसकी बेटी को यहां अपने जिस्म का धंधा करना पड़ता है।
इतिहास पर नजर डालें तो पन्नाबाई, भ्रमर, गौहरखान और चंदाबाई जैसे नगीने मुजफ्फरपुर के इस बाजार में आकर लोगों को नृत्य दिखाकर मनोरंजन किया करते थे। लेकिन अब यहां मुजरा बीते कल की बात हो गई और नए गानों की धुन पर नाचने वाली वो तवायफ अब प्रॉस्टीट्यूट बन गई। इस आधुनिकता ने जीने और कला-प्रदर्शन के तरीकों को ही बदल दिया। इस बाजार में कला, कला न रह की एक बाजारू वस्तु बन गई।
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काफी रोचक है यहां का इतिहास
यह जगह काफी ऐतिहासिक भी है। शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की पारो के रूप में सरस्वती से भी यहीं मुलाकात हुई थी। और यहां से लौटने के बाद ही उन्होंने ‘देवदास’ की रचना की थी।
यूं तो चतुर्भुज स्थान का नामकरण चतुर्भुज भगवान के मंदिर के कारण हुआ था, लेकिन लोकमानस में इसकी पहचान वहां की तंग, बंद और बदनाम गलियों के कारण है। बिहार के 38 जिलों में 50 रेड लाइट एरियाज़ हैं, जहां दो लाख से अधिक आबादी बसती है। ऐसे में यहां पर वेश्यावृत्ति का धंधा काफी बड़े पैमाने पर पैर पसारे हुए है।
वेश्यावृत्ति का इतिहास
17वीं सदी में 17वीं और 16वीं सदी में गोवा में पुर्तगाली कालोनी हुआ करती थी। यहां पर जापानी दासियां हुआ करती थीं, जिनमें अधिकांश जापान की महिलाएं व कम उम्र की लड़कियां होती थीं, जिन्हें दासी बनाकर उनके साथ सेक्स किया जाता था। पुर्तगाली व्यापारी इन लड़कियों को जापान से पानी के जहाज में भारत लाते थे। यही कारण है कि सदियों से गोवा देह व्यापार का गढ़ बना हुआ है।
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देश का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया
कोलकाता में देश का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया कोलकाता का सोनागाची इलाका है। दूसरे नंबर पर मुंबई का कामतिपुरा, फिर दिल्ली की जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवर पेट हैं। इन स्थानों पर लाखों लड़कियां हर रोज बिस्तर पर परोसी जाती हैं।
छोटे शहरों में रेडलाइट एरिया
यह कहना गलत नहीं होगा कि सेक्स टूरिज्म के बड़े स्पॉट माने जाते हैं। इनके अलावा अगर 2-टियर व 3-टियर शहरों की बात करें तो वाराणसी का मडुआडिया, सहारनपुर का नक्कासा बाजार, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुज स्थान,बेतिया का नाजनी चौक ( आंध्र प्रदेश के पेड्डापुरम व गुडिवडा, इलाहाबाद का मीरागंज, नागपुर का गंगा जुमना और मेरठ का कबाड़ी बाजार इसी काम के लिये फेमस हैं।
कविता चौधरी द्वारा किया गया पोस्ट