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    गोरेगांव की आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र बना बनाने से इंकार ,कॉलोनी में पेड़ों की कटाई शुरू

    We News24 Hindi » मुंबई,महाराष्ट्र
     संवाददाता अनिल प्रसाद  

    मुंबई :उच्च न्यायालय ने गोरेगांव की आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने और वहां पेड़ों की कटाई के फैसले पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। बीएमसी के वृक्ष प्राधिकारण ने गोरेगांव में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में 2600 पेड़ काटने की मंजूरी दी है। आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई शुक्रवार को शुरू भी हो गई।
    मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने फैसले को चुनौती देने वाले शिवसेना पार्षद यशवंत जाधव पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जाधव खुद बीएमसी के वृक्ष प्राधिकरण के सदस्य हैं। यही नहीं, पीठ ने आरे कॉलोनी को हरित क्षेत्र घोषित करने की मांग वाली एनजीओ 'वनशक्ति' की याचिका भी खारिज कर दी। उसने पर्यावरणविद जोरु बथेना की उस अर्जी को भी ठुकरा दिया, जिसमें आरे कॉलोनी को बाढ़ क्षेत्र घोषित करने के साथ ही पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।


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    पीठ ने कहा, 'पर्यावरणविदों ने इसलिए याचिकाएं दायर कीं क्योंकि कानून के तहत अपनायी जाने वाली प्रक्रिया से उनका संपर्क खत्म हो चुका है। घड़ी की सुइयों को वापस नहीं घुमाया जा सकता। हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि याचिकाकर्ताओं को अब उच्चतम न्यायालय जाना है।' पीठ ने कहा कि वृक्ष प्राधिकरण की निर्णय लेने की प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और तर्क पर आधारित थी। पेड़ों के प्रत्यारोपण के मुद्दे पर प्राधिकरण सदस्यों की राय में कोई भिन्नता नहीं थी। पर्यावरणविद न केवल धारा के विरुद्ध जा रहे थे, बल्कि गुण-दोष के आधार पर भी अपना पक्ष रखने में नाकाम रहे।

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    पीठ ने एमएमआरसीएल के वकील आशुतोष कुंभकोनी की उन दलीलों पर भी ध्यान दिया कि बीएमसी ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में 20900 पेड़ लगाए हैं। उसने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लंबित है। इसलिए हम याचिका को एक जैसा मामला होने के कारण खारिज कर रहे हैं, न कि गुण-दोष के आधार पर।
    जितेन्द्र कुमार द्वारा किया गया पोस्ट 

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