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    सुप्रीमकोर्ट में चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने की दायर हुयी याचिका ,याचिका में कहा गया लोकतंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है

    We News 24 Hindi »नई दिल्ली
    संवाददाता अमित मेहलावत 

    नई दिल्ली:   उच्चतम न्यायालय में की  कर चुनावी बॉन्ड योजना 2018 को लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इससे राजनीतिक दलों को असीमित कॉरपोरेट चंदे के दरवाजे खुल गए हैं। भारतीय के साथ ही विदेशी कंपनियों की ओर से अज्ञात वित्तीय दान दिए जा रहे हैं, जिसका देश के लोकतंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है।

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    वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के मार्फत पेश याचिका में याचिकाकर्ता एसोशिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने कहा है कि वित्त कानून 2017 और इससे पहले वित्त कानून 2016 में कुछ संशोधन किए गए थे। दोनों विधेयकों को वित्त विधेयक के तौर पर पारित किया गया था, जिससे विदेशी कंपनियों से असीमित राजनीतिक चंदे के दरवाजे खुल गए और बड़े पैमाने पर चुनावी भ्रष्टाचार को वैधता प्राप्त हो गई। 

    एडीआर ने कहा कि वित्त कानून 2017 में चुनावी बॉन्ड का इस्तेमाल शुरू किया गया। इसमें जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 के तहत खुलासे से छूट प्राप्त है। यानी राजनीतिक दलों को बिना निगरानी अज्ञात वित्त पोषण का रास्ता मिल जाता है।

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    याचिका में कहा गया है कि उक्त संशोधन में कंपनियों की ओर से पिछले तीन वर्षों के अभियान चंदे में 7.5 फीसदी के वर्तमान कुल लाभ की सीमा को हटा दिया गया है और अज्ञात चंदे को कानूनी रूप दिया गया है। राजनीतिक चंदे के लिए चुनावी बॉन्ड का इस्तेमाल करना चिंता की बात है क्योंकि ये बॉन्ड, धारक बॉन्ड की प्रकृति के हैं और चंदा देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाती है।


    अंजुम खान द्वारा किया गया पोस्ट 

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