सावधान:सीतामढ़ी खतरे वाली जोन में शामिल, AQI पंहुचा 400
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सुनील कुमार
की रिपोर्ट
सीतामढ़ी :दिल्ली जैसी बड़े शहरों प्रदुषण है ये सुनते है लेकिन इसके चपेट में तो अब छोटे शहर के आबोहवा सेहत के सेहत के लिहाज से जहरीली हो चुकी है। खुली हवा में सांस लेना आम लोगों के लिए मुश्किल हो चला है। मॉस्क लगाकर चलने के सिवा दूसरा कोई उपाय नहीं रह गया है।
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गाजियाबाद, हावड़ा के बराबरी में रहा सीतामढ़ी
एयर क्वालिटी इंडेक्स AQI यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक सतर्कता बरतने की हिदायत देता है। मंगलवार को शहर का एक्यूआइ 400 के स्तर को छू गया। देश के पांच बड़े शहरों दिल्ली, गाजियाबाद, हावड़ा, वाराणसी, पटना व मुजफ्फरपुर में आपका शहर सीतामढ़ी भी खतरे वाली जोन में शामिल हो गया है। मुजफ्फरपुर में एक्यूआइ जहां 402, पटना में 419, वाराणसी में 388 दर्ज किया गया। वहीं गाजियाबाद, हावड़ा के बराबरी में सीतामढ़ी रहा। हैरत की बात है कि जिले में तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरे को रोकने के लिए जिला प्रशासन की ओर से फिर भी कोई सक्रियता नहीं दिखती।
सीतामढ़ी प्रशासन है बेखबर
मानो प्रशासन इससे बेखबर हो। मुंह और नाक के जरिए फेफड़े व सांस की नली में जम जाते हैं। जो सेहत के लिए खतरनाक है। इससे सांस संबंधी बीमारियां बढ़ जाएंगी। जागरूक लोग इसलिए भी चितित हैं क्योंकि, बीते कई दिनों से जारी वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी थमने का नाम नहीं ले रही। हवा की गति में कमी आने की वजह से वायुमंडल में धूल के सूक्ष्म एवं अति सूक्ष्म कणों की मात्रा अप्रत्याशित बढ़ गई है। ईंट भट्ठा, निर्माण कार्य, धुंआ उगलते खटारा व पुराने वाहन, जेनरेटर प्रदूष्ण को बढ़ावा देते हैं।
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जागरूक लोगों की बढ़ी चिता
अध्यक्ष, संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा उत्तर बिहार के अध्यक्ष प्रो आनन्द किशोर ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। उन्होंने डीएम से आग्रह किया है कि सीतामढ़ी शहर समेत पूरा जिला भीषण वायु प्रदूषण की चपेट में है। कुछ दिन पहले सीतामढ़ी की एक्यूआइ 190 व 202 तक थी। अब यह स्तर कभी 300 तो कभी 400 तक पहुंच जा रहा है। नवंबर में यह हाल है तो फरवरी-मार्च में धूप खिलने पर और भी भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। शहर में विगत एक पखवाड़े से अधिक समय से धुंध की स्थिति है। सड़कों पर धूल उड़ रहे हैं।
अर्जुन कश्यप द्वारा किया गया पोस्ट