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    DELHI:सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद टेलीकॉम कंपनियों को बजट में मिल सकती राहत

    We News 24 Hindi »नई दिल्ली  
    संवाददाता रविश कुमार गुप्ता 

    नई दिल्ली:सुप्रीमकोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अब टेलीकॉम कंपनियों की सारी आस सरकार पर टिक गई है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार आगामी बजट के जरिए उन्हें 1.47 लाख करोड़ रुपये के बकायों की अदायगी के साथ भारी कर्जो के दंश से राहत प्रदान कर सकती है। स्पेक्ट्रम लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज (एसयूसी) में कमी के जरिए ऐसा किया जा सकता है। पिछले दिनो बजट से संबंधित बैठकों में टेलीकॉम उद्योग ने दूरसंचार विभाग के अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्याएं रखी थीं। इसमें उन्होंने कर्जो के भारी बोझ के अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के परिणामस्वरूप 1.47 लाख करोड़ रुपये की तात्कालिक देनदारी से उद्योग पर टूटी मुसीबत का हवाला दिया था।

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    कंपनियों ने कहा था कि यदि बजट में लाइसेंस फीस और एसयूसी की दरों से राहत नहीं दी गई तो उनके लिए आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग लेना मुश्किल हो जाएगा। यदि भाग लेंगी भी तो बहुत कम स्पेक्ट्रम की खरीदारी करेंगी। इससे देश में टेलीकॉम सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण के साथ 5जी सेवाओं की लांचिंग में विलंब हो सकता है।टेलीकॉम उद्योग की प्रतिनिधि संस्था सीओएआइ के महानिदेशक मैथ्यू राजन के अनुसार 'उद्योग ने लाइसेंस फीस को मौजूदा 8 फीसद से घटाकर 3 फीसद करने तथा स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज एसयूसी को 6 फीसद से घटाकर 1 फीसद करने की मांग की है। हमें उम्मीद है कि बजट में लाइसेंस फीस में कमी की जाएगी।' सीओएआइ ने जीएसटी इनपुट टैक्स के 36 हजार करोड़ रुपये के बकायों का भुगतान करने के साथ टेलीकॉम उपस्करों पर ऊंची कर दरों को घटाने की भी सरकार से मांग की है।

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    दूरसंचार विभाग के साथ बैठक में टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार ने टेलीकॉम उद्योग को कम ब्याज पर कर्ज की सुविधा के लिए एक इंफ्रास्ट्रक्चर बैंक की स्थापना करने का सुझाव भी दिया है। ये बैंक टैक्स फ्री बांड जारी कर कर्ज के लिए धन जुटाएगा। माना जाता है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करते वक्त इस संबंध में ऐलान कर सकती हैं। टेलीकॉम कंपनियों पर इस समय संयुक्त रूप से लगभग आठ लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। दिसंबर में दरों में बढ़ोतरी के बावजूद भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को पिछली छमाही में भारी घाटा हुआ है।

     इस बीच बकायों के भुगतान के लिए भारती एयरटेल ने विभिन्न तरीकों से 21 हजार करोड़ रुपये की राशि जुटाने की योजना बनाई है। टेलीकॉम कंपनियों के अलावा इस क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने और उसका प्रबंध संभालने वाली कंपनियों ने भी दूरसंचार विभाग से बजट में राहत के बारे में अपनी मांगे साझा की हैं। टावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (टाइपा) ने कॉल ड्रॉप की समस्या से निपटने के लिए मोबाइल टावर में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर शुल्कों में कमी किए जाने का सुझाव दिया हैं।

    1.        नरेंद्र यादव द्वारा किया गया पोस्ट 
     

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