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    UP के गौतमबुद्ध नगर में कोरोना इटली से आया

    We News 24 Hindi »उत्तरप्रदेश/राज्य
    नोयडा/ब्यूरो 
    रिपोर्ट 

    उत्तर प्रदेश: कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर प्रदेश में टॉप पर रहे गौतमबुद्धनगर जिला इस जिले में कोरोना इटली से चलकर आया । इटली से लौटा एक गाइड यहां पर कोरोना का पहला मरीज था। जिसके बाद देखते ही देखते कोरोना का संक्रमण  से ग्रसित लोग बढ़ने लगे और ये गाइड  सीज फायर कंपनी में आया था और उसकी ही वजह से 44 लोगों में कोरोना फैला। जबकि पूरे देश में कोरोना के विस्फोटक फैलाव का सबसे बड़ा कारण तबलीगी जमात बना |

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    कोरोना को लेकर उत्तर प्रदेश के सबसे संवेदनशील शहरों में से एक गौतमबुद्धनगर में 22 हॉट स्पॉट में 34 इलाके सील हैं और कमिश्नर से लेकर जिलाधिकारी तक इन इलाकों में कमान संभाले हुए हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डा रजनीश दुबे लगातार यहां की मॉनिटरिंग कर अधिकारियों को निर्देशित कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी से सटे गौतमबुद्धनगर में कोरोना का सबसे पहला मरीज इटली से आया था। जिसमें कोरोना की पुष्टि 8 मार्च को हुई थी जिले का निवासी यह युवक गाइड का काम करता है और इसका इलाज दिल्ली में हुआ था। 



    लेकिन गौतमबुद्धनगर जिले के रिकार्ड में यह कोरोना का जिले का पहला मरीज है।इसके बाद कोरोना के दो केसों की पुष्टि 17 मार्च को हुई थी। 21 मार्च को सीज फायर कंपनी के पहले केस की पुष्टि हुई और इसके बाद कोरोना पॉजिटिवों की संख्या लगातार बढ़ती गई। सीज फायर कंपनी की वजह से ही 44 लोगों को कोरोना की पुष्टि हुई। जिले में वर्तमान में कोरोना पॉजिटिवों की संख्या 64 है और इसमें से 12 लोग सही होकर अपने घर भी जा चुके हैं।   


    कोरोना के खतरे के दौरान जिले में 1898 लोग ऐसे रहे जो विदेश से लौटे थे।  इनमें चीन से लौटने वाले लोगों की संख्या करीब 550 थी, जबकि बाकि अन्य देशों से वापिस आये थे।इन सभी की जांच स्वास्थ्य विभाग ने प्रशासन के सहयोग से की है।


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    जिलाधिकारी पर गाज गिरा गया कोरोनागौतमबुद्धनगर में पिछले करीब तीन साल से जमें जिलाधिकारी बीएन सिंह पर कोरोना के कारण गाज गिरी। कोरोना के मामलों में उनके द्वारा बरती गई लापरवाही को लेकर मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा नाराज हुए और नाराजगी पर जिलाधिकारी द्वारा छुट्टी मांगे जाने पर शासन ने उन्हें यहां से हटाकर राजस्व परिषद में भेज दिया और उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई। तत्कालीन सीएमओ डा अनुराग भार्गव को भी अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।

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