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    सीएम नीतीश का निर्देश, कहा- बिहार के सभी जिलों में मौसम के अनुरूप होगी खेती


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     News 24 Hindi »बिहार/राज्य
    पटना/संवाददाता रोहित ठकुर की रिपोर्ट

     पटना :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के सभी जिलों में मौसम के अनुकूल खेती शुरू करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कृषि, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण तथा सहकारिता विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की और कई निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम आठ जिलों में शुरू किया गया था। अब इसे सभी जिलों में विस्तारित करें और कार्य में प्रगति लाएं। 


    गौरतलब हो कि भागलपुर, बांका, खगड़िया, मधुबनी, गया, मुंगेर, नालंदा और नवादा में मौसम के अनुकूल खेती शुरू की गई है। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि मार्च महीने में भारी बारिश और ओलावृष्टि से हुई फसल क्षति के लिए दिए जा रहे कृषि इनपुट अनुदान का वितरण 15 मई तक पूरा कर लें ताकि जिन किसानों ने भी आवेदन किया है, उन सभी को अनुदान मिल जाए। वास्तविक क्षति वाले कोई भी किसान इससे वंचित नहीं हों। रैयत और गैर रैयत दोनों किसानों को इसमें शामिल करें। 

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    मुख्यमंत्री ने कहा कि अप्रैल महीने में बारिश और ओलावृष्टि से हुई फसल क्षति में भी किसानों के आवेदनों की जांच कर मई के अंत तक अनुदान का भुगतान सुनिश्चत करें। उन्होंने निर्देश दिया कि कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को अन्य कार्यों से मुक्त रखें। कृषि विभाग संबंधित योजनाओं की खुद मॉनिर्टंरग करे और कार्य में तेजी लाए। उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन पर भी विशेष जोर देने को कहा है। 

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    मक्का व पान के नुकसान का भी आकलन करें: मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि रबी फसल के साथ-साथ मक्का तथा पान की खेती के भी नुकसान का आकलन कराएं और आगे की कार्रवाई करें। यह भी निर्देश दिया है कि बीज, उर्वरक और रसायन की आवश्यकता के अनुरूप इसकी उपलब्धता सुनिश्चत हो। पराली जलाने पर कड़ी नजर रखें।  पराली जलाने से वातावरण के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति को भी नुकसान होता है। 

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    क्या है मौसम के अनुकूल खेती 
    इसके तहत जिस इलाके में जैसा मौसम होगा उसी के अनुरूप वहां पर फसल का भी चयन होगा। ताकि पैदावार बेहतर हो और नुकसान की आशंका नहीं रहे। किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलेगी। वैज्ञानिकों की देखरेख में यह खेती होगी। इसका एक मकसद यह भी है कि एक साल में कम से तीन फसल पैदा करने की व्यवस्था इसमें होगी। पिछले कुछ सालों में हो रहे जलवायु परिवर्तन को देखते हुए राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है।

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