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    VIDEO:सीतामढ़ी जिला प्रशासन की और से क्वारेंटाइन सेंटर व्यवस्था नहीं होने कारण,मुम्बई से आये 50 प्रवासी मजदुर गाँव के स्कुल में रहने को मजबूर

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    We News 24 Hindi »बिहार/राज्य

    सीतामढ़ी/संवाददाता रोहित ठाकुर के साथ संजू गुप्ता की रिपोर्ट

    सीतामढ़ी :कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन का चौथा चरण जारी है। ऐसे में अभी भी देशभर में मौजूद प्रवासी मजदूर बेरोजगारी के कारण अपने घरों कीओर लौटने के लिए मजबूर हैं। केंद्र व राज्य सरकारों ने प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन, बसें इत्यादि उपलब्ध करा कर उनके घर तक पहुंचाने का भरसक प्रयास कर रही हैं. 

    उसके वावजूद भी जिनको सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिला वैसे लोग पैदल साईकल रिक्शा ऑटो से  अपने गाँव की और चल दिए जिसमे कई प्रवासी मजदूरो को रास्ते में ही अपनी जान गवानी पड़ी ,आये दिन सरकार के तरफ से बड़े-बड़े दावे और घोषणा की जाती है प्रवासी मजदुर को लेकर उसके वावजूद भी बहुत सारा खामी देखने को मिल रहा है .

     
    इसका जीता जागता मिसाल है सीतामढ़ी जिला के रीगा प्रखंड के अन्हारी पंचायत इस गाँव में महाराष्ट्र के मुम्बई से अपना निजी साधन थ्रीव्हीलर से पांच दिन का लम्बा रास्ता तय कर 50 से ज्यादा महिला पुरुष और बच्चे इस गाँव में पहुंचे इसकी जानकारी गाँव के मुखिया द्वारा रीगा CO और जिलाधिकारी को भी पत्र के माध्यम से दिया उसके वावजूद भी इनलोगों के लिए प्रशासन के तरफ से कोई क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्था नहीं किया गया .

    CO राम उडाव से अन्हारी पंचायत के मुखिया भिखारी साह ने बात की तो CO का कहना है जो बिना सुचना के आये है उनके लिए हम कुच्छ भी नहीं कर सकते है | सभी लोगो को गाँव के लोग अपने स्तर से स्कुल में रखा हुआ है और जो भी खाने पिने की वयस्था होती है वो मुंबई से आये लोगो को दे रहे है .

     ये बात सरकार और प्रशासन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है  बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के दावे में कितनी सच्चाई झलक रही है .अगर इन 50 लोगो में एक संक्रिमित व्यक्ति निकला तो क्या होगा वैसे भी देश के सबसे कोरोना हॉट स्पॉट वाले जगह मुम्बई से ये लोग आये है इसके वावजूद भी प्रसाशन को कोई चिंता फिकर नहीं है क्या ऐसे ही बिहार कोरोना पर जित पायेगा |

    आपको बताते चले की क्वारेंटाइन सेंटर में होने वाले खर्च केंद्र सरकार वहन करती है इसके वावजूद भी प्रवासी मजदुर को लेकर उदासीनता देखने को मिल रहा है |हजारों किलोमीटर की यात्रा तय कर लाखों मुसीबत झेलकर अपने प्रदेश पहुंचे अप्रवासी बिहार वासियों के साथ शासन और सरकार का अमानवीय .सलूक Header%2BAid

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