300 प्रवासी मजदूरों ने जताई घर जाने की इच्छा यादवों की चेतावनी,साधन न मिला तो पैदल निकल जाएंगे बिहार
मैहतपुर (ऊना)।जिला ऊना के अजोली गांव से लगभग 300 प्रवासी मजदूरों ने बिहार अपने घर वापिस जाने की इच्छा जताई है। इन मजदूरों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि सरकार अथवा प्रशासन उन्हें कोई साधन मुहैया नहीं करवाता है तो वह पैदल ही घर के लिए निकल जाएंगे।
इन प्रवासियों ने शुक्रवार को रायपुर सहोड़ां जिला परिषद वार्ड के सदस्य पंकज सहोड़ को अपनी व्यथा सुनाई। यादव समुदाय से ताल्लुक रखने वाले इन प्रवासी मजदूरों ने प्रदेश सरकार तथा जिला प्रशासन को चेतावनी भी दे डाली है कि यदि हमारे जाने की कोई पुख्ता व्यवस्था न हुई तो वह पैदल ही बिहार के लिए चल निकलेंगे।
बिहार जाने वालों में प्रवासी मजदूरों ने हस्ताक्षरित ज्ञापन देकर जिला प्रशासन से उनके घर वापिसी का इंतजाम करने की गुहार लगाई है। प्रवासी मजदूरों का कहना है कि दो माह से लोग पूरी तरह बेरोजगार होकर बैठे हैं। लॉकडाउन-टू तक तो उन्हें कई समाज सेवी संस्थाओं ने राशन मुहैया करवा।
लेकिन लॉकडाउन-थ्री लगने के बाद कोई भी उन्हें पूछने तक नहीं आया। उन्होंने कहा कि किसी के घर में काम करने भी नहीं जा सकते। हर तरफ से हमें दुत्कारा जा रहा है। गणेश यादव ने बताया कि जिला ऊना की अजौली पंचायत में भी उन्होंने बिहार जाने की गुहार लगाई। लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों ने भी सिर्फ उनके नाम, पते नोट किए और फिर भूल गए।
उन्होंने बताया कि इसी जद्दोजहद में उन्हें कई बार पुलिस की बर्बरता भी झेलनी पड़ी। गणेश यादव ने कहा हमें अपने घर वापिस जाने के लिए भी पुलिस के डंडे खाने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा यहां हमें कोई काम नहीं दे रहा, परिवार हमारे भूखे मरने की कगार पर आ गए हैं। ऐसे में हमारे पास अपने घरों को वापिस जाने के इलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उधर, पंकज सहोड़ ने बताया कि उनके पास काम करने वाले एक प्रवासी मजदूर का उन्हें फोन आया था कि हमारे साथी आपसे मिलना चाहते हैं।
वहां जाकर देखा तो हर कोई प्रवासी उनकी ओर आस भरी निगाहों से देख रहा था। प्रवासी मजदूरों ने अपने घर वापिस की गुहार लगाई। इन्हें न जाने के लिए काफी समझाया गया है। लेकिन यह मानने को तैयार नहीं हैं। इनकी मांग लेकर मैं स्वयं कल जिलाधीश महोदय से मिलूंगा। ताकि इन प्रवासी मजदूरों को यहां राशन और काम की व्यवस्था हो सके।
सुप्रीम कोर्ट का ये कहना है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर से मजदूरों के लौटने पर नजर रखना या उसे रोकना नामुमकिन है। बेहतर होगा कि केंद्र सरकार ही इस पर जरूरी कदम उठाए। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मजदूरों की घर वापसी के लिए ट्रांसपोर्टेशन मुहैया कराया गया है, उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए। कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन में देश के कई हिस्सों से मजदूरों और पटरियों के किनारे-किनारे पैदल यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में कई हादसे भी सामने आए हैं।
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