विनाश काले विपरीत बुधि: नेपाल ने भारत के जमीन पर ठोका दावा ,भरत हुआ आगबबूला
We News 24 Hindi »नई दिल्ली
पिथौरागढ़/संवाददाता विवेक श्रीवास्तव
नई दिल्ली/पिथौरागढ़:नेपाल ने शायद भारत के साथ तनाव को बढ़ाने का मन बना लिया है। पहले उसने भारत के इलाकों को अपने आधिकारिक मैप में दिखाया। अब भारतीय सीमा से लगी एक रोड पर 12 साल बाद काम शुरू करा दिया है। यह रोड उत्तराखंड के धारचूला जिले से होकर गुजरती है। करीब 130 किलोमीटर लंबी धारचूला-टिनकर रोड का 50 किलोमीटर का हिस्सा उत्तराखंड से लगा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की अनुमति 2008 में दी गई थी।
अब नेपाल को क्यों आई इस रोड की याद?
नेपाल को अब इस रोड की याद शायद इसीलिए आई है क्योंकि भारत ने धारचूला से लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रोड का 8 मई को उद्घाटन किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को तवाघाट-लिपुलेख मार्ग का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा था कि इससे कैलाश मानसरोवर जाने के लिए पहले से कम वक्त लगेगा।
बॉर्डर पर रोड बना रहा नेपाल। |
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नेपाल आर्मी तैयार कर रही बेस कैंप
जब भारत ने धारचूला-लिपुलेख रोड खोली तो नेपाल में भारी विरोध हुआ। वहां की सरकार ने कहा कि वह दर्रा तो नेपाल की सीमा में आता है। भारत ने साफ कर दिया था कि रोड पूरी तरह से भारतीय इलाके में है। अगर नेपाल को आपत्ति जतानी ही थी तो वह रोड बनते समय जताता। एक सूत्र ने बताया कि रोड प्रोजेक्ट शुरू करने के पीछे ऑफिशियल वजह ये बताई गई है कि टिनकर और छांगरू के लोग आ-जा सकें। नेपाल आर्मी ने बाकी बची 87 किलोमीटर रोड को पूरा करने के लिए घटियाबघार में बेस कैंप तैयार करना शुरू कर दिया है।
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नेपाल के नए नक्शे पर आगबबूला भारत
लिपुलेख विवाद के बाद पिछले दिनों नेपाल ने अपना नया नक्शा जारी किया था। जिसमें भारत के 395 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को नेपाल में दिखाया गया है। लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अलावा गुंजी, नाभी और कुटी गांवों को नेपाल में रखा गया है। भारत ने इस हरकत पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में इस तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि इस सीमा विवाद का हल बातचीत के माध्यम से निकालने के लिए आगे बढ़ना होगा।
नेपाल का नया मैप |
नक्शे में भारत इस क्षेत्र के गांव भी शामिल किया
नेपाल ने अपने नक्शे में 395 वर्ग किलोमीटर के भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाके को तो शामिल किया ही है, साथ ही गुंजी, नाभी और कुटी गांवों को भी जोड़ लिया है। इस नक्शे में नेपाल कालापानी के कुल 60 वर्ग किलोमीटर के हिस्से को अपना कह रहा है। इसके अलावा इसमें लिंपियाधुरा का 335 किलोमीटर वर्ग का इलाका भी शामिल है। इस तरह से नेपाल ने भारत के 395 किलोमीटर के इलाके पर अपना दावा ठोका है।
लिपुलेख हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो नेपाल इसे दार्चुला जिला ब्यास गाँउपालिका मे बता रहा है | पर ये क्षेत्र भारत के उत्तराखण्ड मे है | येह क्षेत्र भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के तकलाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है। यह प्राचीनकाल से व्यापारियों और तीर्थयात्रियों द्वारा भारत और तिब्बत के बीच आने-जाने के लिये प्रयोग किया जा रहा है। यह दर्रा भारत से कैलाश पर्वत व मानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है आप नेपाल के पुराने नक़्शे में देख सकते है लिपुलेख कही दिखाई नहीं दे रहा है | साथी ही नेपाल में बीते सालो में भारत विरोधी हरकते तेज हो गयी है ये जमीनी विवाद भी उसी का हिस्सा दिख रहा है | इसको क्या कहंगे विनाश काले विपरीत बुधि
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