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    कोरोना मरीजों के लिए आईसीयू,बेड की कमी भी एक गंभीर समस्या





    We News 24 Hindi »नई दिल्ली 

    संवाददाता विवेक श्रीवास्तव

    राजधानी: दिल्ली में कोरोना के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों के अलावा राजधानी के प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीजों का इलाज चल रहा है। बढ़ते मरीजों की संख्या की वजह से अस्पतालों पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे शहर के 8 प्राइवेट अस्पतालों के 80 फीसदी बेड फिलहाल इस्तेमाल किए जा रहे हैं। दिल्ली के इन प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए अधिकृत कुल 631 में से 507 बेड पर कोई ना कोई मरीज अभी भर्ती है।

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    अपोल (सरिता विहार), मैक्स (साकेत), फोर्टिस (शालीमार बाग), सर गंगाराम सिटी और सर गंगाराम कोलमेट (पूसा रोड) जैसे बड़े अस्पतालों कोरोना मरीजों से लगभग पूरी तरह भर चुके हैं। अपोलो अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि उनके यहां 80 बेड कोरोना मरीजों के लिए हैं, इनमें से कोई भी बेड फिलहाल खाली नहीं है। डॉक्टर ने आगे बताया, 'हमारे यहां संदिग्धों के लिए भी कुछ अतिरिक्त बेड तैयार किए गए हैं, वहां भी 1-2 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।

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    साकेत के मैक्स अस्पताल के प्रवक्ता ने इस बारे में कहा, 'हमने 160 बेड कोरोना मरीजों के लिए रखे थे, मांग काफी ज्यादा होने और लगभग 90 फीसदी बेड इस्तेमाल में होने की वजह से शनिवार को 34 और बेड तैयार किए गए हैं। सर गंगगाराम के मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरमैन डॉ. डीएस राणा ने इस संबंध नें जानकारी देते हुए कहा, 'भर्ती होने के लिए काफी लोग आ रहे हैं, लेकिन हम केवल गंभीर रूप से बीमार लोगों को ही भर्ती कर रहे हैं। सर गंगाराम सिटी और सर गंगाराम कोल्मेट में फिलहाल 79 फीसदी बेड मरीजों से भर चुके हैं।

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    नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल के डॉक्टर ने बताया, 'इस तरह से चलता रहा तो हमें यह भी पता नहीं है कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए अपने हेल्थकेयर वर्कर्स को हम कहां रखेंगे, आईसीयू बेड की कमी भी एक गंभीर संकट है।' हालांकि कुछ अस्पतालों में बेड अभी भी खाली है। अभी मां दुर्गा चैरिटेबल ट्रस्ट के 80 फीसदी, बत्रा के 48 फीसदी और सिग्नस के 20 फीसदी बेड ही मरीजों से भरे हैं। शनिवार को सिग्नस अस्पताल में आगजनी की घटना हुई थी, जिसके बाद कुछ मरीजों को वहां से शिफ्ट किया गया है।

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    इस वक्त दिल्ली में कुल 14 अस्पताल हैं, जिनमें कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से 3 राज्य सरकार, 4 केंद्र और 8 निजी अस्पताल हैं। सरकारी अस्पतालों की बात करें तो कोरोना मरीजों को भर्ती करने वाले अस्पातलों में बेड पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली सरकार के लोक नायक अस्पताल में 2000 बेड कोरोना मरीजों के लिए हैं, लेकिन अभी केवल 27 फीसदी ही इस्तेमाल में किए जा रहा हैं। एम्स (दिल्ल/झज्जर) में अभी 407 कोरोना मरीज हैं, जबकि इनकी क्षमता इनसे कहीं ज्यादा मरीजों को भर्ती करने की है। आपको बता दें कि दिल्ली में कुल कोरोना पॉजिटिव रोगियों संख्या अब 12,910 तक पहुंच चुकी है। दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या भी बढ़कर 231 हो गई है।

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