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    भारत से अमेरिका भेजे गए Hydroxychloroquine के शोध पत्र में बड़ा फर्जीवाड़ा,WHO ने अपने स्‍टैंड से पीछे हटा





    We News 24 Hindi »अमेरिका/न्यू यॉर्क/एजेंसी 


    न्यू यॉर्क: एजेंसी। कोरोना वायरस को लेकर एक बड़ा शोध घोटाला उजागर हुआ है। चिकित्‍सा क्षेत्र की दुनिया की सबसे प्रभावशाली पत्रिका द लैंसेट ने मलेरिया ड्रग्स क्लोरोक्विन और हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन पर किए गए चार लेखकों के फर्जी शोध पत्र सामने आया  है। 

    इन लेखकों ने दावा किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प  कोरोना महामारी को हराने के लिए  गेमचेंजर्स के रूप में इस्तेमाल किया गया पर इन लेखकों ने लिखा की ईस दावा से कोरोना रोगियों में मृत्यु दर बढ़ जाती है। जो की ये दावा फर्जी और झूठा है | 

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    न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में भी प्रकाशित हुआ लेख  

    इस शोध पत्र चार वैज्ञानिक शामिल थे। इनमें प्रमुख रूप से डॉ मंदीप आर मेहरा, डॉ अमित एन पटेल, डॉ सपन देसाई और डॉ फ्रैंक रुशिट्जका शामिल थे। शोध पत्र का फर्जी पाए जाने के बाद प्रसिद्ध पत्रिका ने इस शोध पत्र को हटा लिया है। हालांकि, पत्रिका में आगे की कार्रवाई का जिक्र नहीं किया गया है।


     खास यह शोध पत्र उस समय सामने आया, जब यह दावा किया गया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना रोगियों के उपचार में बेअसर है। इस शोध पत्र के बाद इस स्‍थापित धारणा को और हवा मिली। इसके पूर्व ऐसा ही एक शोध न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन द्वारा प्रकाशित किए गए थे।

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    WHO ने दवा के सेवन को लेकर अपने स्‍टैंड से हटा 
    इस बीच  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडहैनम घेब्रेयसस ने कहा कि विशेषज्ञों ने इस दवा के सुरक्षा संबंधी डाटा के अध्ययन के बाद फिर से परीक्षण की सिफारिश कर दी है।  डब्ल्यूएचओ को संचालित करने वाले कार्यकारी समूह ने परीक्षण में शामिल सभी दवाओं के समूहों को जारी रखने की अनुसंशा कर दी है। 


    इसके साथ ही कोरोना की दवाओं के परीक्षण में शामिल मरीजों को जल्द ही फिर से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा दी जाने लगेगी। उन्होंने बताया कि इस सिफारिश का मतलब यह है कि जिन मरीजों ने खुद पर कोरोना दवाओं के परीक्षण की सहमति दे रखी है उन्हें डॉक्टर यह दवा देने लगेंगे। महानिदेशक ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की सुरक्षा निगरानी कमेटी ने एचसीक्यू के वैश्विक डाटा का परीक्षण कर लिया है। 

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