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प्रतीकात्मक तस्वीर |
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मोतिहारीसे रोहित ठाकुर की रिपोर्ट
मोतिहारी: बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए केंद्र सरकार प्रायोजित मनरेगा योजना से कम खर्च में काम हो रहे हैं. वहीं कई बेरोजगार मजदूरों को रोजगार मिला है. साथ ही जीविका से जुड़ी दीदियां भी मनरेगा से काम कर रही है. इस तरह पूर्वी चंपारण जिले में इस योजना से हो रहे कार्य के कई तरह के फायदे सामने आ रहे है.
दरअसल, कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के पहले डीएम ने मृतप्राय हो चुके धनौती नदी के साफ-सफाई और उड़ाही के लिए लघु सिंचाई विभाग को प्राक्कलन बनाने का निर्देश दिया था. लघु सिचाई विभाग ने धनौती नदी के उड़ाही का एक किलोमीटर का प्राक्कलन लगभग सवा दो करोड़ का बनाया था. लेकिन कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन के कारण लौटकर आए प्रवासी मजदूरों से मनरेगा के माध्यम से धनौती नदी का उड़ाही का काम डीएम ने शुरु कराया है. मनरेगा से एक किलोमीटर का लागत लगभग 70 लाख रुपया आ रहा है.
मनरेगा से जुड़कर प्रवासी मजदूरों के अलावा जीविका दीदियां भी काम कर रही है. धनौती नदी के उड़ाही में लगी रौशनी खातून ने बताया कि धनौती नदी के उड़ाही का काम वह मनरेगा से कर रही है. जिससे उनका घर परिवार चल रहा है.
जबकि पंचायत रोजगार सेवक मुस्तफा अंसारी ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के अलावा घर पर बेरोजगार बैठे लोगों को मनरेगा से रोजगार दिया जा रहा है, जो भी रोजगार की मांग कर रहे हैं. उनके लिए रोजगार सृजन का काम भी चल रहा है.
बहरहाल, कम खर्च में मनरेगा से हो रहे कार्य के गुणवत्ता पर भले हीं सवाल उठाया जा सकता है, लेकिन जिस काम के लिए लघु सिचाई विभाग ने सवा दो करोड़ का प्राक्कलन तैयार किया था।. उसके माध्यम से होने वाले काम में ज्यादा लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता. वहीं उसी काम को मनरेगा के माध्यम से कराये जाने से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है. साथ ही काफी कम खर्च में नदी की उड़ाही भी हो रही है.