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    चीन ने पहली बार माना कि गलवन घाटी के संघर्ष में चीनी सेना का कमांडर मारा गया.सीमा के सभी मोर्चा पर सेना की तैनाती

    We News 24 Hindi » नई दिल्ली 

    अरविन्द  राठी  की रिपोर्ट 


    नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवन घाटी में हुए खूनी संघर्ष से गंभीर हुए तनाव के हालात का रास्ता निकालने को लेकर भारत और चीन के बीच हुई कमांडर स्तर की बैठक में भारत ने एलएसी पर पूर्व की यथास्थिति बहाली की शर्त में कोई नरमी नहीं दिखाई। वहीं चीन ने भी अभी तक अपना रुख नहीं बदला है। हालांकि कमांडर कांफ्रेंस के दौरान चीन ने पहली बार कबूल किया कि गलवन घाटी के संघर्ष में चीनी सेना का कमांडर भी मारा गया था। इस बीच सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाणे ने सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ बैठक में मौजूदा हालात पर चर्चा की।

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    सीमा के सभी अग्रिम मोर्चों पर सेना ने अपनी तैनाती और मोर्चेबंदी बढ़ा दी

    सेना के साथ वायुसेना ने चीन से लगी साढ़े चार हजार किलोमीटर की लंबी सीमा के सभी अग्रिम मोर्चों पर अपनी तैनाती और मोर्चेबंदी बढ़ा दी है। गलवन घाटी की हिंसक झड़प के बाद गुरूवार को हुई आखिरी बातचीत के बाद भारत और चीन के कमांडरों की सोमवार को कमांडर स्तर की वार्ता का दौर फिर शुरू हुआ। गलवन घाटी के निकट चुशूल सेक्टर में चीन के मोल्डो सैन्य कैंप पर हुई दोनों देशों के कमांडर स्तर की वार्ता में भारत की ओर से मेजर जनरल हरेंद्र सिंह ने भाग लिया। इस बैठक के नतीजों पर अभी किसी तरह की औपचारिक या अनौपचारिक जानकारी साझा नहीं की गई है।

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    झड़प में कितने चीनी सैनिक मारे गए इसका खुलासा नहीं किया


    हालांकि सूत्रों ने इतना ज़रूर बताया कि कमांडर स्तर की वार्ता के शुरूआती क्रम में ही चीन ने 15-16 जून की रात गलवन घाटी की हिंसक झड़प में अपने सैन्य कमांडर के भारतीय सैनिकों के हाथों मारे जाने की बात कही। लेकिन इस झड़प में कितने चीनी सैनिक मारे गए इसका खुलासा चीन ने अभी तक नहीं किया है। वैसे भारत की ओर से इस घटना में 40 से अधिक चीनी सैनिकों के मारे और घायल होने की बात बताई गई है।

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    सेना प्रमुख जनरल नरवाणे ने शीर्ष कमांडरों से की गहन मंत्रणा


    पूर्वी लद्दाख के इलाकों में चीनी अतिक्रमण से बढ़े तनाव के मद्देनज़र सेना प्रमुख जनरल नरवाणे ने सेना के कमांडरों की दो दिन की कांफ्रेंस में इस मुद्दे पर शीर्ष कमांडरों के साथ गहन मंत्रणा की। सेना ने आधिकारिक रुप से भी कहा कि पूर्वी और पश्चिमी दोनों फ्रंट की सामरिक चुनौतियों और हालात पर चर्चा इस कांफ्रेंस का एजेंडा है। कमांडर कांफ्रेंस इस लिहाज से भी बेहद अहम है कि सरकार ने शीर्ष सैन्य नेतृत्व से मशवरे के बाद एलएसी पर चीन की आक्रामकता को थामने के लिए एलएसी पर हथियारों का उपयोग करने की भी खूली छूट दे दी है। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में लद्दाख समेत चीन से लगे सभी अग्रिम मोर्चे पर सेना की आपरेशनल तैयारियों और रणनीति की समीक्षा की गई। साथ ही सेना प्रमुख ने किसी भी हालात से निपटने को लेकर भी कमांडरों से चर्चा की।


    पूर्वी लद्दाख के सभी अग्रिम मोर्चों पर सैनिक तैनात


    सेना ने पूर्वी लद्दाख के सभी अग्रिम मोर्चों पर हथियारों और साजो समान के साथ बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात कर दिया है। वायुसेना भी एलएसी के निकट के अपने फारवर्ड बेस पर हाई एलर्ट मोड में है तो नौसेना हिन्द महासागर में पूरी तरह चीनी चुनौती को लेकर सतर्क। इस बात की भी संभावना है कि अगले कुछ दिनों में सेना प्रमुख खुद लद्दाख में हालात और रणनीति की समीक्षा करने के लिए वहां का दौरा कर सकते हैं।

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    चीन ही नहीं पाकिस्तान की चुनौती को लेकर भी सेना सतर्क 


    सूत्रों ने कहा कि कमांडर कांफ्रेंस के दौरान चीन के साथ एलएसी पर जारी टकराव को देखते हुए पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के हालात का फायदा उठाने की कोशिशों को लेकर भी मंत्रणा हुई। इस बात की आशंका जाहिर की गई कि पाकिस्तान इस स्थिति का फायदा उठाने का प्रयास कर सकता है और एलएसी पर अभी सीज फायर का उल्लंघन करने की उसकी हरकत इसी ओर इशारा कर रही है। इसीलिए सेना को चीन ही नहीं पाकिस्तान की चुनौती को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।


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