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    अब भारतीय हवाई क्षेत्र घुसने की हिम्मत नहीं करेगा चीन ,भारत ने तैनात किए मिसाइल सिस्टम




    We News 24 Hindi »नई दिल्ली 

    अरविन्द कुमार की रिपोर्ट 

    नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC ) पर चीन को जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने अपनी ताकत बढ़ाना शुरू कर दी है। पूर्वी लद्दाख में भारत ने उच्च मारक क्षमता वाले वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम तैनात किए हैं। भारतीय सेना ने अभी हाल ही में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में हवा में दूर तक मार करने वाली मिसाइलें तैनात की हैं। सूत्रों के मुताबिक, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी लड़ाकू विमान दिखाई देने के बाद भारत ने यह कदम उठाया है।


    सूत्रों के अनुसार क्षेत्र में चल रहे निर्माण के हिस्से के रूप में भारतीय वायु सेना चीनी वायु सेना को मुंह तोड़ जवाब दे सके इसलिए इन मिसाइलों को पूर्वी लद्दाख के भारत चीन सीमा पर तैनात किया गया है। पिछले दो हफ्तों में चीनी वायुसेना ने अपने स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स को एलएसी के पीछे तैनात किया है। उन्हें एलएसी के पास 10 किलोमीटर के दायरे में उड़ान भरते देखा गया है।

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    सूत्रों ने कहा कि भारत बहुत जल्द अत्यधिक सक्षम वायु रक्षा प्रणाली प्राप्त करने वाला है, जिसे एलएसी पर तैनात किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि एलएसी पर इन विमानों की तैनाती का अर्थ पूरे क्षेत्र का ध्यान रखना है। सूत्रों के मुताबिक, सेना की ताकत और बढ़ाने के लिए वायुसेना के विमान लगातार लद्दाख के लिए उड़ान भर रहे हैं। थल सेना व वायुसेना प्रमुख के हाल ही के पूर्वी लद्दाख के दौरों के बाद क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना और वायुसेना के हौसले बुलंद हैं।

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    लेफ्टनेंट जनरल (रिटायर्ड) राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि जब भी दुश्मन से खतरा महसूस किया जाता है तो इस प्रकार का मूवमेंट होता है। पाकिस्तान सीमा पर अक्सर इस प्रकार की तैयारी की जाती है। लेकिन इस समय एलएसी पर भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है। इसलिए यह सैन्य बलों की तैयारी का हिस्सा है। 




     'दक्षिण चीन सागर पर चीन का एकतरफ़ा दावा मंज़ूर नहीं'
    वहीं, दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों (आसियान) के नेताओं ने चीन को दो टूक संदेश दिया है कि दक्षिण चीन सागर पर उसका एकतरफ़ा दावा सदस्य देशों को मंज़ूर नहीं है। आसियान ने 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के आधार पर दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का निर्धारण किया जाना चाहिए। दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर चीन के दावे के खिलाफ दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं की यह अब तक की सबसे सख़्त बयानों में से एक है।

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