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    लॉकडाउन ने किये फोटोग्राफर के कैमरे का शटर लॉक,फोटोग्राफर समाज की हालत बहुत ही खराब,सरकार से मदद की उम्मीद





    We News 24 Hindi »बिहार/राज्य

    पटना से राजकुमार

     दिल्ली से  एडिटर एंड चीफ़ दीपक कुमार व्याहुत 


    पटना: लॉकडाउन में फोटोग्राफर के कैमरे का शटर हुआ 'लॉक'..विवाह सीज़न सीमित हो जाने से निपट गया धंधा पटना - शादी-ब्याह समेत जीवन से जुड़े खूबसूरत और यादगार लम्हा को कैमरे में क़ैद कर उनमें ख़ुशियों का रंग भरकर उन्हें अविस्मरणीय बनाने वाले फोटोग्राफर लॉकडाउन में खुद लॉक हो गये और उनकी जिंदगी भी बे रंग हो गयी है।  


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    लम्हों को क़ैद  करने की ताकत किसी में भी नहीं

    लम्हों को क़ैद  करने की ताकत किसी में भी नहीं है। भले ही इतिहास अपने आपको दोहराते हो, लेकिन हूबहू उस शक्ल में नहीं हो सकता। लम्हा को क़ैद यदि किसी ने किया क़ैद है तो वह है फोटोग्राफर है। यह इंसानों द्वारा बनाया गया ऐसा करिश्मा है, जो आदमी को बीते हुए कल में ले जाता है | और उन पुरानी यादों को ताज़ा कर देता है | आज 21 वो सदी  के दौर में सभी के हाथ में स्मार्टफोन होने के बावजूद कुछ लम्हा ऐसा होता है जहां यादगार लम्हा को जीवन भर के लिए अविस्मरणीय बनाने के लिए फोटो फोटोग्राफर की जरूरत पड़ती है।  


    फोटोग्राफरों पर भी कोरोना वायरस का कहर टूट  पड़ा

    नैसर्गिक और व्यक्तिगत खूबसूरती को क़ैद करने वाली फोटोग्राफी का करियर भी ऐसा ही है, जिसमें फ्लैश चमकाने के साथ-साथ करियर भी चमकता जाता है।शादी-ब्याह के पलो को यादगार बनाने वाले फोटोग्राफरों पर भी कोरोना वायरस का कहर टूट  पड़ा  कोरोना महामारी ऐसे समय मे आई जब शादी ब्याह का सीज़न था। अप्रैल, मई और जून में फोटोग्राफरों को काम से फुर्सत नहीं मिलती थी। प्री वेडिंग के साथ-साथ पोस्ट वेडिंग की फोटोग्राफी कराने के लिये लोगों को खोजें फोटोग्राफर नहीं मिलते थे लेकिन वर्तमान स्थिति में फोटोग्राफर बेरोजगारी की मार को झेलते हुए घर  बैठे है।  


    फोटोग्राफर का पूरा धंधा बर्बाद 

    बिहार फोटोग्राफर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश ने दूरभाष पर बताया कि कोरोना संकट में फोटोग्राफर का पूरा धंधा बर्बाद हो  चुका है। कई लोगों को रोजी-रोटी का भी संकट गहरा गया है।अप्रैल से जून तक के समय में ही सर्वाधिक शादी का सीज़न रहता है, लेकिन यह अवधि कोरोना संकट में चली गई। इससे फोटोग्राफर्स का रोज़गार ही खत्म हो गया। अधिकतर फोटोग्राफर अपने फोटोग्राफी वाले धंधे से ही रोज़गार चला रहे हैं, लेकिन महामारी के दौर में सब चौपट हो गया जिसे लेकर बिहार फोटोग्राफर्स एसोसिएशन आज बहुत ही चिन्तित है। 

    फोटोग्राफर समाज की हालत बहुत ही खराब

     श्री ओम प्रकाश ने बताया कि पूरे जिले में हजारों की संख्या में फोटोग्राफर कार्यरत है, जो शादी-ब्याह जैसे आयोजनों से आजीविका चलाते हैं। सरकार के आदेश का पालन हम धैर्यपूर्वक निभाते हुए आ रहे हैं। इस लॉकडाउन के कारण शादी-ब्याह एवं घरेलू कार्यक्रम किसी तरह की मीटिंग जैसे कार्यक्रम नहीं होने के कारण फोटोग्राफर समाज की हालत बहुत ही खराब  हो गयी है। यहां तक अब उनको  अपना परिवार चलना मुश्किल हो रहा है। बच्चों के स्कूल की फ़ीस, घर का किराया, दुकान का किराया, बिजली बिल आदि जैसी समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।



    पूरा सीज़न ही खराब हो गया

     उन्होंने बताया कि सीज़न के दौरान कार्य करने के लिए इनके साथ हर समय दो-तीन दिहाड़ी मजदूर भी जुड़े रहते हैं उनकी आजीविका भी इनके साथ ही बंद हो गयी है। दो सप्ताह पूर्व लॉकडाउन में फोटोग्राफी स्टूडियो की दुकान खुली है लेकिन काम नही मिल रहा है। इस बार का पूरा सीज़न ही खराब हो गया है।अब इन समस्याओं से निकलने का एक ही रास्ता समझ में आ रहा है जिसका सरकार की ओर सहायता देकर इसका निदान हो जिससे फोटोग्राफी समाज अपनी जीविका चला सके। 


    बिहार सरकार से उम्मीद

    हमें बिहार सरकार से पूरी उम्मीद है इस ओर पूरा-पूरा ध्यान दिया जायेगा। एन. के. फोटो स्टूडियो के मालिक निरंजन कुमार ने बताया कि फोटोग्राफरों के लिए यह समय शुभ समय था। शादी ब्याह के इस सीज़न में हम कई माह का ख़र्चा उठा लेते है। लेकिन लॉकडाउन के कारण धंधा चौपट हो गया है। शादी विवाह रुक गए है। खुद के खाने के लाले पड़ने लगे है। स्टाफ को किस तरह वेतन दे यह भी समस्या आन पड़ी है। लॉकडाउन में इवेंट भी कैंसिल हो गये हैं।

    महामारी के दौर में सब चौपट हो गया है। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफर अपने हुनर के आधार पर साल के छह महीने ही काम कर पूरे साल अपना भरण पोषण करता हैं। क्योंकि शादी विवाह का सीज़न सालों भर नहीं रहता। अप्रैल,मई और जून मे शादी विवाह एवं दूसरे शुभ मुहूर्त इस महामारी के कारण खाली निकल जाएगा।फोटोग्राफी का यह व्यवसाय इस महामारी के भेंट चढ़ गया है।


    भुखमरी की स्थिति

     परफेक्ट क्लिक के अभिषेक कुमार ने बताया कि कोरोना के कारण हर कोई इस समय संकट के दौर से गुज़र रहा है। ऐसे में फोटोग्राफी के पेशे से जुड़े लोगों की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है।हमलोगों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लॉकडाउन फिर आगे बढ़ गया है ,ऐसी स्थिति में अपने साथ परिवार का पेट भरना असंभव हो जाएगा। फोटोग्राफर इस लॉकडाउन के दौरान संकट के दौर से गुज़र रहे हैं। कार्यक्रमों का शुभ मुहुर्त निकलता जा रहा है। 

    व्यवसाय ठप

    जिससे हमारी आर्थिक  स्थिति चरमरा गई है। व्यवसाय ठप हो गया है। पूरा परिवार इसी की कमाई पर निर्भर है। मोगली क्लिकर ने बताया कि फोटोग्रफर के लिये शुभ लगन काफी मायने रखता है जो सालों भर की कमाई उस लगन में कमा लेते हैं लेकिन ऐसे कार्यक्रम ना होने की वजह से फोटोग्राफर बंधु की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। इस लॉकडाउन के वजह से हम सब फोटोग्राफर को बहुत तकलीफ़ हो गयी है ,खासकर फ्रीलांस फोटोग्राफर्स को।


    ऐसा संकट पहले कभी नही देखा 

    लॉकडाउन के वजह से पूरे साल के शादी समारोह का धंधा चौपट हो गया है, ना केवल फोटोग्राफर्स बल्कि शादी-ब्याह से जुड़े सभी लोगो का भी हाल बुरा है, स्थिति ऐसी है की अब घर चलाना मुश्किल हो गया है। फोटोग्राफर रवींद्र भारती ने बताया कि वह करीब 25 वर्ष से फोटोग्राफी का से फोटोग्राफी का काम कर रहे हैं लेकिन उन्होंने ऐसा संकट पहले कभी नही देखा था। 

    लॉकडाउन से सभी शादी कैंसिल हो गयी

    उन्होंने बताया कि शादी का सीज़न 14 अप्रैल को खरमास खत्म होने के बाद शुरू होता है जो जून के अंत तक रहता है। लॉकडाउन से सभी शादी कैंसिल हो गयी जिससे सभी सभी फोटोग्राफर आर्थिक संकट की घड़ी से गुज़र रहे हैं। हम लोग तीन माह में पैसा कमा कर अपने बच्चों की स्कूल फ़ीस, कर्मचारियों का वेतन, घर का खर्च, दुकान खर्च निकाल लेते हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में इवेंट पर ग्रहण लग गया वहीं प्रेस कोंफ्रेंस   आयोजित नही किये जा रहे हैं जिससे घर पर बैठने के अलावा कोई चारा नही है। 


    मोह मेमोरी ऑफ हैपिनेस की रोशनी जैन ने बताया कि शादी का सीज़न अप्रैल से जून तक का था। सारी बुकिंग कैंसिल हो गये। एडवांस में लिये गये पैसे लौटाना पड़ गया। लॉकडाउन के कारण हमारे कार्यालय बंद थे। एडिटिंग का पुराना काम जो बचा था वह हम घर पर ही रहकर कर रहे थे लेकिन उसमें कोई इनकम नही हो रही थी। 

    कार्यालय बंद होने के बावजूद हमे ऑफ़िस का किराया देना पड़ता था। कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी छुट्टी में घर चले गये लेकिन उन्हें वेतन देना होता था।इस सीज़न में पूरा काम ही चौपट हो गया। अब शादी के अगले सीज़न नवंबर में ही कुछ कमाने की उम्मीद है।



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