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    मसूद अज़हर का रिश्तेदार और जैश का कश्मीर घाटी प्रमुख इस्माइल लंबू पुलवामा कार बम साज़िश में शामिल






    We News 24 Hindi »नई दिल्ली 

    ब्यूरो रिपोर्ट

    नई दिल्ली :पिछले दिनों पुलवामा के आयनगुंड इलाके में कार बम विस्फोट के असफल प्रयास की शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस साज़िश में जैश-ए-मोहम्मद चीफ़ मौलाना मसूद अज़हर का करीब रिश्तेदार और कश्मीर में जैश का मौजूदा प्रमुख इस्माइल अल्वी उर्फ़ लंबू भी शामिल था। इसने 14 फरवरी 2019 के हमले में भी अहम भूमिका निभाई थी। इस मामले से जुड़े आतंक रोधी अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

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    अधिकारी ने बताया कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) जल्दी ही जांच अपने हाथ में ले सकती है। केंद्रीय एजेंसी को पिछले साल के हमले से ही इस्माइल लंबू की तलाश है। एक अधिकारी ने बताया कि लंबू को अक्सर इस्माइल भाई और फ़ौजी बाबा भी कहा जाता है। वह 2018 के अंत में भारत आया और उसने मुदस्सिर खान, ख़ालिद और मोहम्मद उमर फारूख को पिछले साल पुलवामा हमले में मदद की थी। इसने स्थानीय दुकानों से जिलेटिन और नाइट्रेड जैसे सामानों की व्यवस्था की थी। 




    भारतीय सुरक्षाबलों के हाथों कारी मुफ्त यासिर के मारे जाने के बाद उसने जनवरी में कश्मीर घाटी में जैश की कमान संभाला। अधिकारी ने कहा, ''इस्माइल एक आई डी एक्सपर्ट है और 14 फरवरी 2019 के अटैक के लिए उसने कार में बम फिट करने में दूसरे बम बनाने वाले आतंकवादियों की मदद की थी।''

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    इस्माइल का जूनियर समीर अहमद डार भी पिछले साल के आत्मघाती कार बम धमाके में शामिल था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे और कुछ दिनों बाद ही भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर बम बरसाए थे। 

    अधिकारी ने कहा, ''हमें सूचना मिली कि इस्माइल लंबू ने एक बार फिर उसी तरह हमले की योजना तैयार की। बम को सेंट्रो कार में फिट कर दिया गया था। लेकिन गुरुवार 28 मई को तड़के इसी घेर लिया गया।'' फरेंसिक एक्सपर्ट्स ने कहा है कि इस बम को आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेड और नाइट्रोग्लिसरीन के मिश्रण से तैयार किया गया था। 2019 में भी इसी तरह का बम बनाया गया था।

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    एक अन्य अधिकारी ने बताया कि दोनों ही घटनाओं में जैश के निशान हैं, लेकिन पिछले सप्ताह के असफल हमले में हिज्बुल मुजाहिद्दीन और लश्कर ए तैयबा भी शामिल हो सकता है। क्योंकि सभी आतंकी संगठन एक बड़े हमले के लिए पाकिस्तान सेना के दबाव में हैं।

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