• Breaking News

    राजीव गांधी फ़ाउंडेशन सवालों के घेरे में,भगोड़ा मेहुल चौकसी ने भी दिए फ़ाउंडेशन को भारी रकम,कांग्रेस की सियासी मुश्किलें बढ़ी


    We News 24 Hindi »नई दिल्ली 

    अमित मेहलावत की रिपोर्ट 

    नई दिल्ली: IANS राजीव गांधी फ़ाउंडेशन से भगोड़ा हीरा व्यापारी मेहुल चौकसी का नाम जुड़ने से कांग्रेस की सियासी मुश्किलें बढ़ गई हैं। जानकार बताते हैं कि मेहुल को लेकर अभी तक मोदी सरकार को घेरने वाली कांग्रेस को इस मसले पर जवाब देना कठिन होगा। भाजपा ने शनिवार को सीधा आरोप लगाया कि मेहुल ने फ़ाउंडेशन को भारी रकम दी थी। यह रकम मेहुल के स्वामित्व वाली कंपनी नविराज स्टेट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दी गई थी। फ‍िलहाल कितनी रकम दी गई थी इसका पता अभी नहीं चल पाया है।


    जिस चौकसी को लेकर घेरा बीजेपी को अब खुद ही घिर गया कोंग्रेस 
    भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा मेहुल चौकसी को लेकर लगाए गए आरोप से सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। बता दें कि हीरा व्यापारी मेहुल चौकसी पंजाब नेशनल बैंक समेत कई बैंकों को करोड़ों का चूना लगाकर देश छोड़कर भाग गया है। इसके फ़रार होने के बाद कांग्रेस अरसे से मोदी सरकार को दोषी ठहरा रही थी। राहुल गांधी स्वयं मेहुल का नाम लेकर प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करते रहे हैं। ऐसे में राजीव गांधी फ़ाउंडेशन का चौकसी के साथ नाम जुड़ने से कांग्रेस सियासी तौर पर घिरती नजर आ रही है। राजीव गांधी फ़ाउंडेशन की साल 2013-15 की रिपोर्ट के अनुसार, मेहुल ने अपनी कंपनी के जरिए चंदा दिया था।

    ये भी पढ़े-पटना में कोरोना का आतंक जारी, मरने वाले MR की पत्नी,बेटा, बेटी समेत 29 संक्रमित मिले


    मुखौटा कंपनी जैसा है राजीव गांधी फ़ाउंडेशन : मालवीय
    राजीव गांधी फ़ाउंडेशन को चीन से मिले चंदे और चीन के कथित खुफ़िया संगठन चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रैंडली कांटैक्ट (सीएएफआइसी) से रिश्ते खुलने के बाद कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई है। भाजपा के नेशनल सोशल मीडिया प्रभारी अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि अभी तक जो जानकारियां सामने आ रही हैं |

    ये भी पढ़े-सावधान :बिहार के आठ जिलों में अगले 72 घंटों तक भारी बारिश का रेड अलर्ट,सभी जिलों में एनडीआरएफ की तैनाती


    उससे यही साबित  होता है राजीव गांधी फ़ाउंडेशन एक शेल (मुखौटा) कंपनी की तरह काम कर रहा था। सरकारी संरक्षण देने के लिए इसके नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, विदेशी कंपनियों और सरकारों से लंबी रकम वसूली गई। साल 1992 से शुरू हुई इस इस संस्था से पिछले 18 साल में मात्र 2900 से कुछ अधिक लोगों को ही लाभ पहुंचा है। शुरुआती वर्षों में इस संस्था ने क्या काम किया इसकी जानकारी नहीं मिल रही।


    सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने भी खूब दिया चंदा

    भाजपा-कांग्रेस के बीच घमासान का मुद्दा बने राजीव गांधी फ़ाउंडेशन को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में भी दिल खोलकर चंदा दिया। संप्रग सरकार के लगातार के 2004 से 2014 के बीच इस फ़ाउंडेशन पर चंदे की बारिश होती रही। यह रकम कितनी थी इसका पता तो नहीं चला लेकिन यह ज़रूर है कि कई कंपनियों ने तो हर साल बड़ी रकम दी। जिन कंपनियों ने उदारता पूर्वक चंदा दिया उनमें ओएनजीसी, सेल, गेल, स्टे बैंक ऑफ इंडिया, ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स, हुडको, आइडीबीआइ, खास हैं।

    Header%2BAidWhats App पर न्यूज़ Updates पाने के लिए हमारे नंबर 9599389900 को अपने मोबाईल में सेव  करके इस नंबर पर मिस्ड कॉल करें। फेसबुक-टिवटर पर हमसे जुड़ने के लिए https://www.facebook.com/wenews24hindi और https://twitter.com/Waors2 पर  क्लिक करें और पेज को लाइक करें

    Post Top Ad

    Post Bottom Ad