नई दिल्ली: PTI। रेलवे को युक्तिसंगत बनाने के लिए विभिन्न जोनों की ओर से दिए गए प्रस्तावों को अगर रेलवे बोर्ड ने स्वीकार किया तो संभवत: टिकटों की प्रिंटिंग नहीं की जाएगी, स्टेशन मास्टर सिग्नल मेंटेनर का भी काम करेंगे और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) कर्मी या ट्रेन पर चलने वाले टैक्नीशियन टिकट चेकिंग का काम भी करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे अपने कर्मचारियों के प्रशिक्षण और बहु-कौशल के जरिये अपने संचालन को युक्तिसंगत बनाने की योजना बना रहा है।
पिछले साल केंद्रीय कैबिनेट से पुनर्गठन की मंजूरी मिलने के बाद रेलवे पहले ही अपनी आठ सेवाओं को एक केंद्रीय सेवा 'भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा' में एकीकृत करने के तौर-तरीकों पर काम कर रहा है। विभिन्न जोनों की ओर से अभी भी प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं और अभी इस मामले में कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद रेल नेटवर्क में बेहतर कार्य प्रबंधन संभव हो सकेगा।
प्रस्तावों में अकाउंट्स, कॉमर्शियल, इलेक्टि्रकल, मैकेनिकल, इंजीनियरिंग, मेडिकल, पर्सनेल, ऑपरेटिंग, स्टोर, सिग्नल और टेलीकम्युनिकेशन विभागों के प्रमुख पदों और अन्य पदों का विलय शामिल है। एक प्रस्ताव के मुताबिक, 'एयरलाइनों की तर्ज पर टिकटों की प्रिंटिंग नहीं की जानी चाहिए। यात्रियों को अपना टिकट मोबाइल पर दिखाने या सेल्फ-टिकट प्रिंटिंग मशीन से प्रिंट करने करने की अनुमति मिलनी चाहिए।'
एक अन्य जोन ने प्रस्ताव किया है कि ट्रेन पर मौजूद टैक्नीशियनों का इस्तेमाल टिकट चेक करने में किया जा सकता है। वहीं एक अन्य ने सुझाव दिया कि आरपीएफ को स्टेशनों पर टिकटों को चेक करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके अलावा रिटायरिंग रूम अटेंडेंट्स और वेटिंग रूम अटेंडेंट्स का विलय किया जा सकता है। प्रस्तावों के मुताबिक, कॉमर्शियल विभाग के टिकट चेकिंग, रिजर्वेशन और इंक्वायरी पदों को मिला देना चाहिए।
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दरअसल, ये प्रस्ताव रेलवे की अपने कर्मचारियों के अधिकतम उपयोग की कवायद का हिस्सा हैं। इसके लिए प्रत्येक श्रेणी के कर्मचारी को नई भूमिका संभालने से पहले बहु-कौशल का समुचित प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। कई जोनों ने सुझाव दिया है कि कुछ ऐसे कामों को आउटसोर्स किया जाना चाहिए जो रेलवे का मूल काम नहीं है। मसलन सफाई कर्मचारी और स्टेशनों की इमारतों का रखरखाव।
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