नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट आज में प्रवासीमज़दूरों के मसले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा सभी प्रवासियों मज़दूरों को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय देंगे. सभी राज्यों को रिकॉर्ड पर लाना है कि वे कैसे रोज़गार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे. प्रवासियों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता याचिका पर सुनवाई के दौरान में कहा कि अभी तक तक़रीबन 1 करोड़ मज़दूरों को घर पहुंचाया गया है. सड़क मार्ग से 41 लाख और ट्रेन से 57 लाख प्रवासियों को घर पहुंचाया गया है. बेंच के सामने आंकड़ा रखते हुए तुषार मेहता ने कहा कि अधिकतर ट्रेनें यूपी या बिहार के लिए चलाई गई हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी तक 4,270 श्रमिकों ट्रेनों का संचालन हुआ है. हम राज्य सरकारों के संपर्क में हैं. केवल राज्य सरकारें इस अदालत को बता सकती है कि कितने प्रवासियों को अभी घर पहुंचाया जाना है और कितनी ट्रेनों की आवश्यकता होगी. राज्यों ने एक चार्ट तैयार किया है, क्योंकि वे ऐसा करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में थे.
चार्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके चार्ट के अनुसार महाराष्ट्र ने केवल एक ट्रेन के लिए कहा है. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र से हमने पहले ही 802 ट्रेनें चलाई हैं. अब केवल एक ट्रेन के लिए अनुरोध है. फिर बेंच ने पूछा कि क्या हमें इसका मतलब यह निकालना चाहिए कि कोई व्यक्ति महाराष्ट्र नहीं जाएगा?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई भी राज्य किसी भी संख्या में ट्रेनों के लिए अनुरोध करता है तो केंद्र सरकार 24 घंटे के भीतर मदद करेगी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी राज्यों को अपनी मांग रेलवे को सौंपने के लिए कहेंगे. आपके अनुसार, महाराष्ट्र और बिहार में अधिक ट्रेनों की आवश्यकता नहीं है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम 15 दिन का वक्त देते हैं, ताकि राज्यों को प्रवासी श्रमिकों के परिवहन को पूरा करने की अनुमति दी जा सके. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि रजिस्ट्रेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा है, जो एक बड़ी समस्या है. कोर्ट ने कहा कि आप कह रहे हैं कि इस प्रणाली के काम करने के तरीके में कोई समस्या है? उपाय क्या है?
कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि आपके पास पुलिस स्टेशन या अन्य स्थानों पर स्पॉट हो सकते हैं, जहां प्रवासी जा सकते हैं और पंजीकरण फॉर्म भर सकते हैं. वहीं, वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि समस्या यह है कि इन प्रवासियों को किसी भी अन्य यात्रियों की तरह माना जा रहा है जो ट्रेन में यात्रा करना चाहते हैं.
गुजरात सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मामले अब और विस्तृत जांच की आवश्यकता नहीं है. 22 लाख में से 2.5 लाख बाकी हैं. 20.5 लाख वापस भेजे गए हैं. वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि 11 लाख से अधिक प्रवासी वापस चले गए हैं. अभी 38000 रह गए हैं.
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