• Breaking News

    International News: नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की कुर्सी क्यों बचाना चाहता है चीन?



    We News 24 Hindi » काठमांडू/नेपाल 

    मिडिया रिपोर्ट


    #International News China Nepal


    काठमांडू : चीन के हाथों की कठपुतली कहे जाने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा की कुर्सी बचाने के लिए ड्रैगन ने पूरा जोर लगा दिया है। कुशासन, भ्रष्टाचार और कोविड-19 को लेकर इंतजामों में पूरी तरह नाकाम रहने के बाद जनता और अपनी ही पार्टी का विश्वास खो चुके ओली पर इस्तीफे के दबाव के बीच नेपाल में चीन की राजदूत हाउ यांकी इन दिनों बेहद सक्रिय हैं। 

    नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीन के इस दखल से नेताओं से लेकर जनता तक हैरान है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चीन की मध्यस्थता की वजह से ही ओली और पुष्प कमल दहल में कई दौर की वार्ता हो चुकी है। ड्रैगन दोनों में सहमित बनाने की हर कोशिश कर रहा है।

    ये भी देखे-Sitamarhi News:सीतामढ़ी नगर परिषद ने नर्क बना दिया शहरवासियों का जीवन,लोग अपना घर बार छोड़ने को मजबूर,देखे वीडियो


     


    काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सप्ताह में राजदूत यांकी ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सीनियर नेता माधव कुमार नेपाल से मुलाकात की है। सत्ताधारी पार्टी में राष्ट्रपति भंडारी की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। गुरुवार को भंडारी से मुलाकात के बाद ओली ने संसद सत्र को स्थगित कर दिया और विरोधियों के खिलाफ और सख्त रुख अख्तियार कर लिया। 


    भंडारी और चाइनीज राजदूत के बीच मुलाकात

    भंडारी और चाइनीज राजदूत के बीच मुलाकात के बाद सवाल उठ रहे हैं। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने काठमांडू पोस्ट से कहा है कि राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से बार-बार कूटनीतिक नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। रविवार को राजदूत ने कम्युनिस्ट पार्टी के सीनियर नेता माधव नेपाल से बात की, वह पार्टी की विदेश संबंध विभाग के प्रमुख भी हैं। इस मीटिंग की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि राजदूत ने पार्टी के सभी नेताओं को एकजुट रखने पर चर्चा की। 


     


    पार्टी सूत्रों के मुताबिक यांकी ने पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी की बैठक से पहले ओली से मुलाकात की थी। दहल के एक करीबी नेता ने कहा कि यांकी दहल से भी मुलाकात करना चाहती हैं, लेकिन उन्हें इसका मौका नहीं मिला है। सोमवार को राजदूत हाउ ने वरिष्ठ नेता झाला नाथ खनल से भी उनके घर पर मुलाकात की है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक राजदूत कम्युनिस्ट पार्टी में बिखराव को रोकने की कोशिश कर रही हैं। राजदूत ने मई के पहले सप्ताह में भी इन नेताओं से मुलाकात की थी जब विवाद की शुरुआत हुई थी। 

    ये भी पढ़े-International News:चीन में कोरोना के बाद अब सामने आई एक और खतरनाक बीमारी,, हाई अलर्ट जारी

    काठमांडू पोस्ट ने जब चीनी दूतावास से हाउ की मुलाकातों के उद्देश्य को लेकर सवाल किया तो दूतावास के प्रवक्ता झांग सी ने कहा कि चीन नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को संकट में नहीं देखना चाहता है। उसकी इच्छा है कि नेता आपसी मतभेद को दूर करके एकता बनाए रखें। झांग ने कहा, ''दूतावास और नेपाल के नेताओं में अच्छे संबंध हैं और साझा हित के मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए तैयार हैं।''


    ओली की कुर्सी क्यों बचाना चाहता है चीन?

    दरअसल केपी शर्मा ओली चीन के बेहद करीब माने जाते हैं। चीन भारत के खिलाफ अपने अजेंडे में नेपाल का इस्तेमाल करना चाहता है और ओली इसके लिए सबसे मुफीद हैं। आरोप है कि चीन के कहने पर ही ओली ने भारतीय इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल के नए नक्शे में शामिल किया। चीन को डर है कि यदि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी में बिखराव से सत्ता परिवर्तन हुआ तो उसके मंसूबे पूरे नहीं हो पाएंगे। 

    ये भी पढ़े-Himachal Nwes:इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान हिमाचल की कमान संभाली नंदिता बाली

    क्या सफल हो पाएगा चीन?
    नेपाल के कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चीन की मध्यस्थता और सक्रियता की वजह से ही ओली अभी तक कुर्सी पर बने हुए हैं, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी के 44 में से 30 सदस्य ओली के विरोध में है। ओली और दहाल  के बीच टकराव चरम पर पहुंचे के बावजूद कई दोनों में कई दौर की वार्ता हो चुकी है। माना जा रहा है कि यह चीन ही है जो दोनों को हर बार वार्ता के टेबल पर ला रहा है।

    Header%2BAidWhats App पर न्यूज़ Updates पाने के लिए हमारे नंबर 9599389900 को अपने मोबाईल में सेव  करके इस नंबर पर मिस्ड कॉल करें। फेसबुक-टिवटर पर हमसे जुड़ने के लिए https://www.facebook.com/wenews24hindi और https://twitter.com/Waors2 पर  क्लिक करें और पेज को लाइक करें

    Post Top Ad

    Post Bottom Ad