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    चोरौत के शहीद भद ई कबाड़ी का #शहादत_दिवस मनाया गया।



    We News 24 Hindi »सीतामढ़ी /बिहार

    रोहित ठाकुर की रिपोर्ट 

    सीतामढ़ी:जिले के चोरौत में शहीद रामफल मंडल विचार मंच,चोरौत के तत्वाधान में,1942 अगस्त क्रांति के अमर शहीद भद ई कबारी का शहादत दिवस समारोह म वि चोरौत बालक के प्रांगण में मनाया गया।समारोह की अध्यक्षता मंच के प्रखंड संयोजक नवल मंडल तथा संचालन सह संयोजक नीतीश कुमार ने किया। समारोह का उद्घाटन सतीश कुमार प्रखंड प्रमुख चोरौत ने दीप प्रज्जवलित कर शहीद भदई कबारी,रामफल मंडल,जुब्बा साहनी,इत्यादि के चित्रों पर माल्यार्पण कर उद्घाटन करते हुए कहा कि,शहीद भद ई कबारी का आजादी की लड़ाई में शहादत चोरौत प्रखंड के लिए ग़ौरव की बात है। उन्होंने चोरौत के मुख्य पथ पर शहीद भद ई कबारी द्वार तथा प्रतिमा प्रखंड स्तर पर लगाने का आश्वासन दिया।


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    समारोह के मुख्य अतिथि सह ज़िले के शहीदों के खोजकर्ता,शहीद रामफल मंडल विचार मंच ‌के संयोजक, बिनोद बिहारी मंडल ने शहीदों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि,जब मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह रूकते नहीं रुकता,तब वह क्रांति के रूप में फूट पड़ता है।जंगे आजादी की लड़ाई में ग्रामीण क्षेत्रों चोरौत के भद ई कबारी में भी क्रांति की चिनगारी धधक रही थी। जिसने अंग्रेजी हुकूमत को ललकारते हुए, चोरौत के नीमबारी में हंसते हंसते सीने पर गोली खाकर शहीद हो गए। भद ई कबारी का जन्म वर्तमान के बिहार राज्य के सीतामढ़ी जिले के चोरौत में 1917 ई में हुआ था।इनके पिता का नाम मुन्ना कबाड़ी था।जो नेक दिल इंसान थे। मुख्य पेशा मजदुरी एवं खेती-बाड़ी था। मात्र 25वर्ष की आयु में 25अगस्त 1942ई को शहीद हो गए।



      ज़िले के ही बाजपट्टी प्रखंड के मधुरापुर निवासी रामफल मंडल को 23 अगस्त 1943ई को तथा मुजफ्फरपुर के मीनापुर निवासी जुब्बा साहनी को 11 मार्च 1944 ई को भागलपुर सेन्ट्रल जेल में फांसी को गयी। बाजपट्टी के प्रदीप सिंह एवं जानकी सिंह क्रांति के समय शहीद हो गये।  25 अगस्त 1942 ई में पुपरी बाजार में क्रांतिकारियों द्वारा विदेशी कपड़ों की होलिका दहन किया जा रहा था।उसी समय अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा गोली चलाई गई, जिसमें पुपरी के गम्भीरा राय, बहेरा के सहदेव साह, सुखदेव साह,रामबुझावन ठाकुर एवं नानपुर के महावीर गोप शहीद हो गए।

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         28 अगस्त 1942ई को सुरसंड के रामलखन गुप्ता पुलिस की गोली से शहीद हो गए। सुन्दर खतवे को पकड़ कर जिंदा ही पेङ से लटकाकर मौत का घाट उतार दिया।  29 अगस्त 1942 ई को रीगा में रेल पटरी उखारने तथा टेलिफोन का तार काटने के क्रम में मौजें झा, सुखराम महरा,तथा ननू मियां पुलिस की गोली से शहीद हो गए।रेवासी गांव में हुए मुठभेड़ में मथुरा मंडल शहीद हो गए। 30 अगस्त 1942ई को बेलसंड तरियानी के छपरा गांव में अंग्रेजी पुलिस एवं आंन्दोलनकारियो के बीच हुए मुठभेड़ में, वंशी ततमा,सुखन लोहार, गुगल धोबी,परसत तेली,छठू कानू, बलदेव सूढी,बिकन कुर्मी, बंगाली नूनिया,बुधन कहार,बुझावन चमार, सुखदेव सिंह,भुपन सिंह,नौजाद सिंह, जयमंगल सिंह, राजेंद्र धानुक, रामलोचन सिंह, इत्यादि शहीद हो गए। तथा दर्जनों घायल हो गए।

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     उन्होंने कहा कि महापुरुषों के आजादी का आंदोलन आजादी का आंदोलन नहीं था,बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के साथ देश में व्याप्त विभिन्न तरह के समस्याओं से मुक्ति का आंदोलन था। लेकिन विडम्बना है कि आजादी के बाद शासन करने वाले ने महापुरुषों की शहादत को भूला दिया। उन्होंने खासकर युवाओं, एवं छात्रों से अपनें महापुरुषों की शहादत से सीख लेते हुए,देश को पुनः गुलाम बनाने वाली साज़िश के खिलाफ एकजुट होकर आजादी की दूसरी लड़ाई लरने के लिए शहीद रामफल मंडल की तरह शहादत देने को तैयार होकर रहने का आव्हान किया।

         विशिष्ट अतिथि रामबाबू नीरव, प्रसिद्ध साहित्यकार ने पुपरी क्षेत्र के आंदोलन पर चर्चा करते हुए कहा कि, आजादी की लड़ाई में पुपरी की निरंजन बुबना की पत्नी पद्मावती बुबना ने अर्जून सिंह दारोगा पर कटार से वार कर घायल कर दिया। बंगाली पदाधिकारी की पुत्री हंसा चटर्जी बिना किसी भय के क्रांतिकारियों के आंदोलन में सक्रिय थीं। पुपरी के डा अभिनन्दन प्रसाद वर्मा,ब्रहमौल के राजनारायण सिंह,लक्ष्मीनारायण गुप्ता, इत्यादि प्रमुख क्रांतिकारी थे। बाजपट्टी के मधुरापुर में आजाद हिंद फौज का गुप्त आंफिस था।


     जहां छापामार युद्ध करने तथा बम बनाने की ट्रेनिंग दी जाती थी।बम बनाते समय विस्फोट में लक्ष्मी नारायण गुप्ता का हाथ घायल हो गया था। उन्होंने उनकी शीध्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक" अतीत की परछाइयां"  में विस्तृत चर्चा की गई है। उन्होंने छात्रों से अपने अपने इलाके के आजादी की लड़ाई के आन्दौलनकारियो के बारे में शोध करने की अपील की। आमप्रकाश राय,प्रखंड अध्यक्ष जदयू ने  ,शहीद भद ई कबारी की मूर्ति चोरौत मुख्यालय में लगाने की मांग की।

         रमेश पटेल, जिला उपाध्यक्ष, जदयू ने कहा कि,शहीद कभी मरते नहीं है। उनके विचारण करनेवाली आत्मा साहित्यकारों को लिखने की प्रेरणा देता है। उन्होंने शहीदों पर ख़ोज करने वाले , विद्वान,शिक्षक,एवं सामाजिक कार्यकर्ता,बिनोद बिहारी मंडल के प्रयास की सराहना करते हुए,इसका दायरा और अधिक बढ़ाने की अपील की।




     फेकन मंडल, संयोजक,आर्थिक आजादी आंदोलन, बिहार ने कहा कि, जब तक भारत के सभी नागरिकों को आर्थिक रुप से सशक्त नहीं किया जाता,तब तक शहीदों का सपना अधुरा रहेगा। उन्होंने सभी वोटर को 6000 प्रतिमाह वोटर पेंशन योजना लागू करने की मांग की। विनोद मंडल, प्रधानाध्यापक ने शहीदों की जीवनी पाठ्य-पुस्तकों में शामिल करने की मांग की।


     प्रो नज़ीर अहमद ने एक कमिटी बनाकर शहीद भद ई कबारी एवं अन्य के बारे में अधिकाधिक जानकारी देने का आव्हान किय।समारोह में भद ई कबारी के भतीजा कलीम हैदर को शाल ओढ़ाकर तथा पुस्तकें भेंट कर सम्मानित किया गया। समारोह को विपीन चौधरी, बीजेपी प्रखंड अध्यक्ष, राजीव पासवान, आरजेडी प्रखंड अध्यक्ष,आप के गोविंद ठाकुर, भाकपा के नरेश पासवान,प्रमोद हाथी,पूर्व मुखिया,रामप्रवेश चौधरी, मुखिया,डा महेश,कमल पाठक,गुलाम मुस्तफा, रिजवान अहमद,हेमंत शुक्ला,वशीम हैदर,जसीनहैदर,सकीला खातुन,जीतन तारा,चुन्नी बेगम,सिराजूल राईन,सुभान राईन, फारुक राईन,नथुनी राईन,वंशी मोहम्मद,मो जाकिर,मास्टर तनवीर,सलीम नवाब,हारुण साह, सुभाष मंडल, रामनरेश मंडल, सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।
    प्रेषण - पूर्व सैनिक अनिल कुमार


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