बेटी को जन्म देना एक विवाहिता के लिए बना अभिश्राप ,देखे वीडियो
We News 24 Hindi »सीतामढ़ी/बिहार
असफाक खान की रिपोर्ट
सीतामढ़ी: सरकार एक ओर जहां बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नाम पर सरकारी खजानो से करोडो रुपये पानी के तरह बहा रही है ,जहां का जिला पदाधिकारी भी महिला हो वहां के महिला को महज दो बच्ची के जन्म देने पर घर से निकाल देने का मामला सामने आया है हम बात करते हैं सीतामढ़ी के सुरसंड प्रखंड की जहां विवाहिता मोनिका कुमारी आज न्याय के लिए दर दर की ठोकरें खाने को विवश है ।
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मोनिका का कसूर सिर्फ इतना है की इस अभागन बिटिया नें पुत्र को जन्म नहीं दिया तो उसके ससुराल वालों ने उसको घर से बाहर निकाल कर अपने बेटे की दूसरी शादी कर दी ।इस घटना के बाद मोनिका न्याय पाने के लिए पुलिस प्रशासन के यहां लगातार चक्कर लगा रही है । न्याय मिलने की बात तो दूर रही उसके ससुराल वालों के प्रभाव के सामने पुलिस केश भी दर्ज कराने को तैयार नहीं है ।
सीतामढ़ी के सुरसंड और महिला थाना में पीड़िता ने कई बार शिकायत दर्ज कराने पहुंची लेकिन पुलिस उसकी शिकायत दर्ज कराने को तैयार नहीं है ।अब पीड़िता राज्य महिला आयोग का दरवाजा खटखटाने की बात कह रही है ।
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बताते चले की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारम्भ हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को देश की लड़कियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और उनके भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए किया गया है |
वही बिहार सरकार ने भी मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना की शुरुआत की है इस योजना का उद्देश्य बेटियों को शिक्षा के स्तर में सुधार करना कन्या भ्रूण हत्या रोकने बेटियों को जन्म को बढ़ावा देने और महिला सशक्तिकरण करना था बेटी बचाओ योजना के तर्ज पर शुरू गई इस योजना के तहत राशि की बेटियों को जन्म से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई में उनकी आर्थिक सहायता देने की स्वीकृति दी गई थी|
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इस योजना का मकसद यह है कि कोई भी अपनी बेटी को बोझ न समझें बल्कि उसके भविष्य को उज्जवल बनाने के बारे में सूची इस योजना के तहत सरकार बेटियों को कुल ₹51100 की राशि उपलब्ध कराएगी। इस योजना को जन जन तक पहुंचने को लेकर जिला स्तर से प्रखंड स्तरीय टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया और जागरूकता कार्यक्रम की किया गया। परन्तु सरकारी की इस जनहित योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही वया कर रही है।
सुनिए इस विवाहिता की दर्द भरी दास्तान। जिसे सुनकर आप सहज अंजदा लगा सकते है। इस पीड़ित महिला की दर्द सुनने वाला कोई मशीहा नजर नहीं आ रहे है। और ना ही सरकार के कोई नुमाईंदे इसकी फरियाद सुनाने को तैयार है। ये सुशान बाबू की सरकार की दास्तान।
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