नेताओ की ढपोर शंखी वादे का दंश झेल रहा मां जानकी की नगरी सीतामढ़ी
पथ पाकड़ सीतामढ़ी |
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असफाक खान की रिपोर्ट
सीतामढ़ी: नेताओ की ढपोर शंखी वादे का दंश झेल रहा मां जानकी की नगरी सीतामढ़ी। जी हाँ हम बात कर रहे है माँ जानकी कीजन्म भूमि सीतामढ़ी की . जहा जगत जननी माँ की जन्म से लेकर विवाह काल की कहानी जुडी है . सीतामढ़ी जिला जनक जननी माँ जानकी की जन्मस्थली है .तो वही सीतामढ़ी से करीब ७० किलो मीटर की दुरी पर स्थित है. माँ जानकी की पिता [राजा जनक] की नगरी जनकपुर धाम . जहा राजा जनक ने धरती पुत्री माँ जानकी का बड़े ही लालन -पालन के साथ माँ जानकी की शादी अध्योध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र भगवान राम के साथ किया था . शादी के बाद माँ जानकी अपने पिता के घर से बिदा होकर अपने पति की नगरी [ ससुराल ]अध्योध्या जाने के क्रम में उनके एक ठहराव आज के पंथ पाकड़ गाव में हुआ ।
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पथ पाकड़ सीतामढ़ी |
जहा रात्रि विश्राम को लेकर माँ जानकी की डोली रुकी थी . वह गाव सीतामढ़ी के जिला मुख्यालय से मात्र १० किलो मीटर उत्तर और पूर्व की दिशा में स्थित पंथपकड़ गाव है . जहा सुबह के समय माँ जानकी ने पाकड़ के पेड़ के डाली से तातुन की और उसके चीरे कों वही फेक दी . कई काल बिताने के बाद वह तातुन एक पेड़ का रूप ले लिया . जो आज भी उस पुरानी दास्तान की हकीकत वया करती है। जहां एक पेड़ की जड़े से सैकड़ो की संख्या में पकड़ के बिशाल पेड़ का रूप ले लिया है और अपना दायरा फैलता जा रहा है। इस रहस्यमय सत्य ने लोगो के बीच श्रधा और विश्वास का केंद्र बना लिया है .जहा लोग इस रहस्यमय सत्य कों देखने कों लालित रहे है . और इस पवित्र स्थल के दर्शन कर अपने आप कों धन्य मानते है .
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पथ पाकड़ सीतामढ़ी |
वही जानकारों , स्थानीय लोगों के साथ धर्मिक मान्यताओ के मुताविक आज के दिनों में उस पेड़ की जड़े जिस किसी के खेत चली जाति है .लोग माँ जानकी के नाम कर देते है . इस पवित्र स्थल की व्यापक चर्चा पौराणिक और धार्मिक ग्रंथो में भी बर्रन किया गया है .वाल्मीकि रामायण में इस स्थल कों विशेष महत्त्व दिया गया है . धार्मिक मान्यताओ के मुताविक इस पवित्र स्थल पर ही राम और पशुराम की संवाद भी यही हुआ था . जानकारों का कहना है इतना पवित्र स्थल होने के बाद भी यह स्थल सरकारी उदासीनता का शिकार हो रहा है . इसके विकास की दिशा में कोई कारगर पहल नहीं किया जा सका है . यहाँ आदिकाल के एक पेड़ की जड़े ने सैकड़ो पाकड़ पेड़ो का रूप ले लिया है .
वही इस परिसर में एक प्राचीनतम कुण्ड भी है जहा माँ सीता उस कुण्ड के पानी का उपयौग की थी । लोगों की माने तो इस कुंड का पानी कभी भी सूखता । हमेशा पानी से लबालब रहता है। लोगो ने कहा इस कुंड में बड़ी संख्या में मच्छली क्रीड़ा करती है। इसका भकछा करना सख्त पवंदी है। स्थानीय लोग इसके भोजन का जुगाड भी करते है।जिसकी देखने को लेकर लोगो भीड़ लगी रहती है।यह स्थल आस्था का केंद्र है यहाँ हमेशा पर्यटक आते है और इस आलोकिक स्थल कों दर्शन करते है
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पथ पाकड़ सीतामढ़ी
परन्तु उन पर्यटकों कों विशेष जानकारी देने वाले और उनके ठहराव की व्यवस्था का घोर अभाव है . इस पवित्र स्थल की उपेझा से आम लोगो में सरकार के प्रति काफी नाराजगी है . जबकि पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश में राम जन्म भूमि कों कों लेकर कितने विविद है वही माँ सीता की जन्म भूमि पर कोई विवाद नहीं है बाबजूद इस पवित्र स्थल कों दुनिया में मानचित्र लानेमें सरकारी प्रयास नाकारा सावित हो रहा है .जबकि सीतामढ़ी के स्थानीय सांसद सुनील कुमार पिंटू मौजूदा सरकार में पूर्व पर्यटन मंत्री थे।
अमरनाथ सहगल |
परन्तु इस क्षेत्र के विकास में कोई खास रूचि नहीं ले रहे है .जिसके चलते आज तक दुनिया के नजरो से ओझल है .यह बड़े ही दुःख की बात है .इधर इस पूरे मामले पर स्थानीय लोगो ने अपनी नाराज़गी वक्त करते हुए की स्थानीय नेता के साथ सूबे के मुखिया वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस दार्शनिक स्थल पर पहुंच और इसके विकास के साथ पर्यटक को के ठहराव को लेकर यात्री विश्राम गृह बनाने , इसके विकास , के साथ पर्यटक को जानकारी देने को पुस्तकालय खोलने की घोषणा की।पर उनकी सभी घोषणा ढपोर शंखी निकली।
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