VIDEO:बेगुसराय जयमंगला गढ़ : 2 हजार साल पुराणी जयमंगला माता के मंदिर में होती है हर मुरादे पूरी
जयमंगला माता के मंदिर,तस्वीर वि न्यूज 24
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दीपक कुमार की रिपोर्ट
दीपक कुमार की रिपोर्ट
बेगुसराय :जयमंगला गढ़ ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह पथ पर मंझौल से पूरब बेगूसराय- गढ़पुरा के मध्य स्थित है। यह बिहार के बेगूसराय जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर और मंझौल से चार किलोमीटर दूर है। जयमंगला माता का मंदिर "नमक सत्याग्रह पथ" मुख्य सड़क से करीब एक किलोमीटर दूर अवस्थित है। मंदिर चारों और से कांवर झील से घिरा हुआ है। स्थानीय स्मृत्यों को विस्व पटल पर स्थापित करने हेतु प्रति वर्ष यहाँ जयमंगलागढ़ महोत्सव का आयोजन किया जाता है। प्रथम जयमंगलागढ़ महोत्सव के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी थे।
देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार जयमंगला
देश के 51 शक्तिपीठों में शुमार जयमंगला स्थान में मां के मंगलकारी रूप 'माता जयमंगला' की पूजा आदिकाल से होती आ रही है। यहां देवी सती का वाम स्कंध(स्तन) गिरा था। यह स्थान बेगूसराय जिले के मंझौल प्रखंड में स्थित है। यहां रक्तिम बलि की प्रथा नहीं है। पूरे नवरात्र यहां सप्तशती का पाठ चलता है जिसकी पूर्णाहुति हवन से होती है।
जयमंगला माता ,तस्वीर वि न्यूज 24 |
संपुट सप्तशती पाठ का है महत्व
शारदीय और वासंतिक नवरात्र में कलश स्थापना के पश्चात प्रत्येक दिन पंडितों के समूह द्वारा संपुट शप्तशती पाठ किया जाता है। स्थानीय श्रद्धालु भी मंदिर परिसर में संकल्प के साथ प्रतिदिन पाठ करते हैं। यहां विधि विधान के साथ बेलवा निमंत्रण एवं बलि दी जाती है। इसके पश्चात जागरण के बाद मां का दर्शन के लिए पट खुलता है। तब मां का खोंइछा भरने का कार्य आरंभ होता है। अंत में हवन कार्यक्रम का संपादन पंडितों द्वारा किया जाता है।
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जयमंगला माता की पूजा करते भक्त ,तस्वीर वि न्यूज 24 |
स्वतः प्राकट्य की है मान्यता
जयमंगलागढ़ स्थित माता जयमंगला परिसर के भग्नावशेषों व शिलालेखों से अनुमान लगाया जाता है कि ये मंदिर काफी पुराना है यंहा के मुख्य पुजारी का कहना है की 2 हजार से भी ज्यादा का इतिहास है । इस मंदिर के गर्भगृह में माता की मूर्ति है। कहा जाता है कि भगवती सती के वाम स्कंध का पात यहां हुआ था। जिससे यह सिद्ध शक्तिपीठ है।
जयमंगला माता की गर्भ द्वार ,तस्वीर वि न्यूज 24 |
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