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    राज्यसभा उपचुनाव में राम विलास पासवान की सीट पर फंसा पेंच , तय होगा चिराग का भी भविष्‍य

      



    We News 24 Hindi »पटना/बिहार 

    अमिताभ मिश्रा  की रिपोर्ट



    पटना: LJP   के संस्‍थापक व केंद्र के NDA की सरकार में मंत्री रहे राम विलास पासवान  के निधन के बाद  खाली हुई राज्यसभा की सीट पर 14 दिसंबर को उपचुनाव होने वाला  है। लेकिन NDA  में इस सीट पर दावेदारी को लेकर पेंच फंसा दिख रहा है। LJP  केंद्र में एनडीए का हिस्‍सा है, लेकिन बिहार में उसने अपने रास्‍ते अलग कर लिए हैं।LJP  ने बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार  एवं उनकी पार्टी JDU का खुला विरोध भी किया। ऐसे में JDU  इस सीट को  एलेजपी के खाते में जाने का खुलकर  विरोध करेगा। इस उपचुनाव के साथ एनडीए में एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान  का भविष्‍य भी तय होता दिख रहा है।


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    14 दिसंबर को होना है राज्‍यसभा का उपचुनाव
    विदित हो कि चुनाव आयोग विधानसभा कोटे से खाली हुई राम विलास पासवान की सीट के लिए उपचुनाव की अधिसूचना 26 नवंबर को जारी करेगा। इसके लिए तीन दिसंबर तक नामांकन तथा चार दिसंबर को स्क्रूटनी की तारीख तय है। सात दिसंबर तक नाम वापसी की अंतिम तारीख है। अगर एक से अधिक प्रत्‍याशी हुए तो 14 दिसंबर को वोटिंग होगी। उपचुनाव की सारी प्रक्रिया 16 दिसंबर तक पूरी कर लेनी है।






    मां के लिए सीट चाहते चिराग 
    वस्तुत: यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सीट है, जिस पर समझौते के तहत लोकसभा चुनाव के बाद रामविलास पासवान को भेजा गया था। अब इस पर एलजेपी की नजर है। कहा जा रहा है कि चिराग पासवान इसे अपनी मां के लिए चाहते हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में एलजेपी की भूमिका को देखकर यह असंभव लग रहा है। बीजेपी अकेले यह सीट निकालने की हैसियत में नहीं है। इसके लिए उसे जेडीयू का सहयोग चाहिए। चिराग के नाम पर जेडीयू न तो साथ दे सकता है और न ही बीजेपी सहयोग मांग सकती है।


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    चरम पर पहुंच गई है जेडीयू एवं एलजेपी तल्खी
    एनडीए ने सीटों के तालमेल के तहत लोकसभा चुनाव के बाद राम विलास पासवान को बिहार से राज्यसभा (Rajya Sabha) भेजा था। केंद्र में एनडीए में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ एलजेपी व जेडीयू का गठबंधन है, लेकिन बिहार में एलजेपी अब एनडीए का घटक दल नहीं है। एलजेपी ने विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्‍व को अस्‍वीकार करते हुए न केवल अपने रास्‍ते अलग कर लिए, बल्कि उसने जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्‍याशी भी खडे़ किए। इस कारण जेडीयू व एलजेपी के रिश्‍ते में काफी तल्खी आ गई है।



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    सवाल यह कि क्‍या विपक्ष की लग जाएगी लॉटरी? 

    सवाल यह भी है कि एलजेपी नहीं तो किसके पास जाएगी यह सीट? ऐसे में जेडीयू व बीजेपी दोनों इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं। विधानसभा चुनाव में बड़ा भाई बनकर उभरने वाले दल (बीजेपी) के साथ जेडीयू की भी इस सीट पर दावेदारी हो सकती है। जो भी हो, इतना तो तय है कि यह उपचुनाव एनडीए के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। इसके साथ केंंद्रीय स्‍तर पर भी एनडीए में एलजेपी की स्थिति तय हो जाएगी। एनडीए अगर एकमत नहीं हुआ तो विपक्ष की भी लॉटरी लग सकती है।









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