बैरगनिया:लोकआस्था का महापर्व छठ, घर से लेकर घाट तक ऐसी हैं परंपराएं,देखे वीडियो
We News 24 Hindi »सीतामढ़ी/बिहार
दीपक कुमार की रिपोर्ट
सीतामढ़ी :देशभर में बिहार सहित अन्य राज्यों में छठ महापर्व की धूम, महापर्व के तीसरे दिन आज अस्त होते सूर्य को दिया गया सूर्य देव को अर्घ्य।
बिहार के बैरगनिया में श्रद्धालु विभिन्न नदियों, तालाबों और पोखरों में डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया और रविवार को उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देंगे। इसके साथ ही चार दिन का यह पर्व सम्पन्न होगा। लखनदेई, बागमती और सीतामढ़ी जिले की अन्य नदियों के किनारे छठ घाट अर्घ्य के लिए बनकर तैयार हो गए हैं। रंग-बिरंगी रोशनी से सजे-धजे घाट छठ के सौंदर्य की छठा बिखेर रहे हैं।
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राज्य में अधिकांश हिस्सों में पिछले दिनों आयी बाढ़ के बाद इस बार नदियों में घाटों के पास अर्घ्य के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है।
छठ पूजा में कई ऐसी परंपराएं हैंआस्था के महापर्व छठ पूजा में कई ऐसी परंपराएं हैं जो आस्था का प्रतीक बनती हैं. माना जाता है कि भक्त मां से मन्नत मांगते हैं और यदि पूरे वर्ष कोई बड़ी गलती होती है तो उसे स्वीकार कर माता के दर में खुद को दंड देते हैं. 4 दिवसीय त्योहार छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के समय भक्त घर से मां के घाट (पूजा स्थल) तक शाष्टांग होकर जाते हैं. पत्थर, कंकड़ और रास्ता लंबा होने के बावजूद भक्त इसी तरह से मां के दर जाते हैं और फिर पानी में खड़े होते हैं.
आस्था के महापर्व छठ पूजा में कई ऐसी परंपराएं हैं जो आस्था का प्रतीक बनती हैं. माना जाता है कि भक्त मां से मन्नत मांगते हैं और यदि पूरे वर्ष कोई बड़ी गलती होती है तो उसे स्वीकार कर माता के दर में खुद को दंड देते हैं. 4 दिवसीय त्योहार छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के समय भक्त घर से मां के घाट (पूजा स्थल) तक शाष्टांग होकर जाते हैं. पत्थर, कंकड़ और रास्ता लंबा होने के बावजूद भक्त इसी तरह से मां के दर जाते हैं और फिर पानी में खड़े होते हैं.
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छठ पूजा कार्तिक महीने में मनाई जाती है. इस महीने में ठंड का मौसम पूरी तरह से दस्तक दे चुका होता है. ऐसे में भी भक्त भक्तिमय होकर ठंडे पानी में घंटों खड़े होकर तीसरे दिन सूरज के डूबने और चौथे दिन सूर्य के निकलने का इंतजार करते हैं. ठंडे पानी में थरथराते हाथों को जोड़ भक्त छठी माता और सूर्य देवता का सुमिरण करते हैं.
छठ पूजा कार्तिक महीने में मनाई जाती है. इस महीने में ठंड का मौसम पूरी तरह से दस्तक दे चुका होता है. ऐसे में भी भक्त भक्तिमय होकर ठंडे पानी में घंटों खड़े होकर तीसरे दिन सूरज के डूबने और चौथे दिन सूर्य के निकलने का इंतजार करते हैं. ठंडे पानी में थरथराते हाथों को जोड़ भक्त छठी माता और सूर्य देवता का सुमिरण करते हैं.
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