• Breaking News

    भारतीय कोरोना वैक्सीन का कोई साईड इफेक्ट नहीं ,पहले चरण के परीक्षण में रहा सुरक्षित और प्रभावशाली

     





    We News 24 Hindi » मुंबई  

    ब्यूरो रिपोर्ट 



    मुंबई, एजेंसियां। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान 

    परिषद (आइसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा विकसित की जा रही स्वदेशी कोरोना वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण में सुरक्षित और प्रभावी पाई गई है। ट्रायल के अंतरिम रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। पोर्टल 'मेडआरएक्सआईवी' पर उपलब्ध कराए गए अंतरिम नतीजों के मुताबिक, कोवैक्सीन का सभी आयुवर्ग के समूहों पर कोई गंभीर या प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला। टीका ने एंटीबॉडी तैयार करने का काम किया। 


    नहीं दिखा प्रतिकूल प्रभाव 


    विषय के विशेषज्ञों द्वारा औपचारिक रूप से अनुसंधान रिपोर्ट का मूल्यांकन करने के पहले इसे सार्वजनिक तौर पर इस पोर्टल पर डाला गया। निष्कर्ष के मुताबिक पहले टीकाकरण के बाद कुछ प्रतिभागियों में हल्के या मध्यम किस्म का प्रतिकूल असर दिखा और तुरंत यह ठीक भी हो गया। इसके लिए किसी तरह की दवा देने की जरूरत नहीं पड़ी। दूसरी खुराक के बाद भी यही रूझान देखने को मिला। गंभीर असर की एक घटना सामने आई, जिसका टीकाकरण से कोई जुड़ाव नहीं पाया गया।




    पिछले महीने शुरू हुआ था तीसरे चरण का ट्रायल 


    मालूम हो कि भारत बायोटेक दुनिया की वह टीका कंपनी है जिसके पास जैव सुरक्षा स्तर-3 उत्पादन सुविधा है। बीते नवंबर महीने में भारत बायोटेक के कोविड-19 के टीके कोवैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल शुरू किया गया था। पिछले महीने कंपनी ने कहा था कि उसने पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। भारत बायोटेक कोवैक्सीन का विकास आईसीएमआर और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ भागीदारी में कर रही है।  



    यह है कंपनी की योजना 


    दस्तावेज के कहा गया है कि वैक्सीन को दो डिग्री सेल्सियस से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर रखा गया। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसी तापमान पर अलग-अलग टीके को रखा जाता है। कोवैक्सीन का दूसरे और तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। कंपनी ने भारत के दवा नियामक से इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति भी मांगी है। कंपनी की योजना अगले साल की दूसरी तिमाही तक इस वैक्सीन को बाजार में लाने की भी है।



    भारत को 1.8 अरब डॉलर की जरूरत


    गरीब देशों में टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए निजी और सरकारी क्षेत्र के संयुक्त गठबंधन गवी के आकलन मुताबिक भारत को पहले चरण के टीकाकरण अभियान पर 1.4 से 1.8 अरब डॉलर (लगभग 10-13 हजार करोड़ रुपये) खर्च करने होंगे। भारत ने पहले चरण में अगले छह से आठ महीने के बीच 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना बनाई है। इसमें स्वास्थ्यकर्मियों के साथ ही बुजुर्ग और पहले से गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्ति शामिल हैं। इसके लिए 60 करोड़ खुराक की जरूरत है। भारत ने एस्ट्राजेनेका, रूस की स्पुतनिक-5, कैडिला और भारत बायोटेक से वैक्सीन लेने की योजना बनाई है।


    इन कंपनियों ने मांगी आपात इस्‍तेमाल की मंजूरी 


    अब तक भारत बायोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट और फाइजर ने अपनी कोविड वैक्‍सीन के लिए आकस्मिक इस्‍तेमाल की मंजूरी मांगी है। इन कंपनियों के आवेदनों पर गौर किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि दवा नियामक डीजीसीआई द्वारा इन कंपनियों से आंकड़ों की मांग करने से टीकाकरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नीति आयोग के सदस्य के वीके पॉल का कहना है कि आवेदनों पर वैज्ञानिक आधार पर गौर किया जा रहा है। इस बात की तस्‍दीक की जा रही है कि टीका सुरक्षित हो।






    Header%2BAidWhats App पर न्यूज़ Updates पाने के लिए हमारे नंबर 9599389900 को अपने मोबाईल में सेव  करके इस नंबर पर मिस्ड कॉल करें। फेसबुक-टिवटर पर हमसे जुड़ने के लिए https://www.facebook.com/wenews24hindi और https://twitter.com/Waors2 पर  क्लिक करें और पेज को लाइक करें





    %25E0%25A4%25B5%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25AC%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2587%25E0%25A4%259F%2B%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%258B


     

    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    Post Bottom Ad