पटना:फर्जी सरकारी वेबसाइट बनाकर गैस और पेट्रोल पंप की एजेंसी दिलवाने के नाम पर लोगों से लाखों रुपए ठगने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच ने किया है। क्राइम ब्रांच के साथ-साथ इस टीम में मुंबई पुलिस की साइबर सेल भी शामिल थी।
पटना समेत बिहार और बंगाल में मुंबई पुलिस की टीम ने छापेमारी कर छह आरोपितों को गिरफ्तार किया है। सभी को मुंबई ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ ले गयी। अब मुंबई में आरोपितों से पूछताछ की जा रही है। पटना से पकड़े गए आरोपितों में रविशंकर कुमार रविदास और डौली शर्मा शामिल हैं। दरअसल, इस गैंग ने एलपीजी वितरक चयन के नाम से एक फॉर्म बना रखा था। इसी की वेबसाइट भी बनायी गयी थी। वह बिलकुल सरकारी वेबसाइट जैसी दिखती थी। इसके बाद ठगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से यह प्रचार करना शुरू किया कि गैस और पेट्रोल पंप की एजेंसी इस वेबसाइट के जरिये आसानी से मिल सकती है।
मुंबई के गोरेगांव पूर्वी के रहने वाले और पेशे से एक निजी कंपनी में सेल्स मैनेजर एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर ठगों के द्वारा डाले गये विज्ञापन को देखा था। इसके बाद उन्होंने विज्ञापन के लिंक पर क्लिक किया। वहां उनसे पूरी डिटेल मांगी गयी। एजेंसी के लालच में पीड़ित ने अपनी पूरी डिटेल वेबसाइट पर डाल दी। इसके ठीक 2 दिनों बाद उसे डीके वर्मा नाम के व्यक्ति का कॉल आया जो खुद को एलपीजी वितरक चयन फर्म का रिलेशनशिप मैनेजर बता रहा था। उसने बताया कि उसी के फर्म के माध्यम से उसे यह एजेंसी सरकार के द्वारा मिलेगी। उसने पीड़ित से कहा कि फॉर्म देखने के बाद उन्हें चयनित कर लिया गया है।
कॉल करने वाले सरकार की तरफ से पीड़ित को 30 लाख रुपये लोन दिलवाने का झांसा दिया। उसने कहा कि एजेंसी की शुरुआत करने के लिए ये राशि दी जाएगी। लेकिन इसके लिए उसे प्रोसेसिंग फीस और रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही एनओसी भी लेना पड़ेगा। शिकायतकर्ता बिहार के ही रहने वाले थे और वे रिटायरमेंट की उम्र में हैं। लिहाजा वे ठगों के झांसे में आ गए और तीन लाख 66 हजार रुपये ऑनलाइन पेमेंट कर दिया।
दफ्तर का पता निकल गया फर्जी
इसके बाद शिकायतकर्ता को एलपीजी गैस एजेंसी का एक कंफर्मेशन लेटर ठगों ने भेजा। उस पर मुंबई का पता था। पीड़ित उस पते पर पहुंचे तो यह बात सामने आयी कि वहां कोई दफ्तर नहीं है। शिकायतकर्ता दुबारा उस वेबसाइट पर गए और बारीकी से जांच की तो पता चला कि वह फर्जी है। इसके बाद उन्होंने साइबर पुलिस से शिकायत की। प्रथम दृष्टया छानबीन में यह बात सामने आई है कि अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्यों ने ठगी की है।
बिहार और पश्चिम बंगाल से पकड़े जाने के बाद मुंबई पुलिस ने दोनों आरोपितों को किला कोर्ट में पेश किया। आरोपितों के वकील ने वहां मुंबई पुलिस के आरोप को बेबुनियाद बताया। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद आरोपितों को सात जनवरी तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया है। अब मुंबई पुलिस की टीम दोनों से पूछताछ करेगी।
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