सीतामढ़ी का लाल जो देश के लिए बना शान।
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असफाक खान की रिपोर्ट
सीतामढ़ी : ये है सीतामढ़ी का लाल कमरुल जमा. जो देश के लिए बना शान। सीतामढ़ी के डुमरा प्रखंड के एक छोटे से गांव तलखापुर से इनका ताल्लुक है. यही इस बार गणतंत्र दिवस की परेड पर ब्रह्मोस मिसाइल की अगुवाई करेंगे. कमरुल जमा एक साधारण से परिवार से ताल्लुक रखते हैं और सेना में वह कर्नल के पद पर हैं. ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना का वह अचूक शस्त्र है, जो धरती से धरती पर मारक क्षमता रखता है.
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400 किलोमीटर की मारक क्षमता रखने वाला यह हथियार देश की आन-बान और शान का प्रतीक है. इसकी गति ध्वनी की रफ्तार से भी तीन गुणा ज्यादा है.कमरुल जमा की इस उपलब्धि पर उनके घर परिवार और गांव के लोग काफी गर्व महसूस कर रहे हैं. उनके पिता आज भी एक छोटे-से रोजगार के जरिये अपनी जीविका चलाते हैं. घर में कमरुल के माता-पिता और एक बहन हैं. सभी को अपने इस लाल पर गर्व है .
कमरुल जमा के पिता गुलाम मुस्तफा का कहना है कि अपने बेटे की इस कामयाबी पर वह काफी खुश हैं और उनको अपने बेटे पर गर्व है. उनका जो सपना था उनके बेटे ने साकार करने का काम किया है.। पूरा परिवार घर के लला की कमियावी पर एक दूसरे को मिठाई खिला रहे है।
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इधर जिला मुख्यालय स्थित तलखापुर गांव में उनके परिवार के लोग के हर्ष का माहौल बना हुआ है। जिले के रोल मॉडल बने इस परिवार व कप्तान के छोटी वहन रौशनी प्रवीन अपने भाई के कमियावी पर एक कविता के माध्यम क्या वया की है सुनिए इन्ही के जुवानी।
बताते चले की कैप्टन कमरुल जमा अपने पांच बहनो में एकलौता बड़ा भाई है। जिन्हने वर्ष 2012 आर्मी ज्वाइन की और अपने हुनर के वलपर लगातार कमियावी के पद बढ़ते रहे और कामियाबी सिलसिला बढ़ता गया। वे 2018 में लेफटिनेंट बने और वर्ष 2020 कप्तान बने और आज देश का शान बन गए है।
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