झारखंड गुमला जिले के कामडारा में एक ही परिवार के 5 लोगों नरसंहार की घटना, का जानें पूरा सच
We News 24 Hindi » गुमला/ झारखंड सूरज मांझी की रिपोर्ट
झारखंड : के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुमला जिला के कामडारा स्थित पहाड़गांव आमटोली में आदिवासी परिवार के 5 सदस्यों की हत्या के पीछे डायन बिसाही की आशंका व्यक्त की जा रही है. मृतक निकोदिन तोपनो और उसकी पत्नी जोसफिना तोपनो गांव के सबसे वृद्ध थे. इस गांव में बीमारी समेत अन्य प्रकोपों को लेकर डलिया दिखाने की भी परंपरा है. साथ ही नरसंहार की घटना के एक दिन पहले गांव में कुछ लोगों ने बैठक भी की है. बैठक के बाद ही नरसंहार की घटना को अंजाम देने की आशंका व्यक्त की जा रही है. ये सभी मामले पुलिस के प्राथमिक अनुसंधान में सामने आया है. हालांकि, पुलिस ठोस सबूत की तलाश में है.
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गुमला के कामडरा स्थित पहाड़गांव आमटोली में आदिवासी परिवार के 5 सदस्यों को टांगी और लोहे के भारी औजार से मार कर हत्या कर दी गयी थी. पुलिस के मुताबिक, जब इन सदस्यों को मारा जा रहा था तब परिवार के लोग चिल्लाये जरूर होंगे. गांव के अन्य लोग आवाज भी सुने होंगे क्योंकि हत्या देर शाम की है. उस समय लोग जागे हुए थे. इसके बाद भी इतनी बड़ी घटना पर गांव के लोग चुप हैं. सबकुछ जानते हुए भी कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है. हालांकि, पुलिस ने 10 से 12 लोगों को हिरासत में लिया है. हिरासत में लिए ग्रामीणों को कामडारा थाना में रखा गया है. जहां एक-एक कर सभी से पूछताछ की जा रही है जबकि एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गांव के कुछ लोगों से गुप्त रूप ये पूछताछ की गयी है. उन लोगों ने एक दिन पहले गांव में बैठक होने की जानकारी दी है.
मासूम की हत्या से दुखी हैं लोग
जिसने भी सुना कि 5 लोगों की हत्या हो गयी. उसमें एक मासूम को भी मार डाला गया. इससे सभी लोग दुखी हो गये. यहां तक की विधायक, डीसी, एसपी, एसडीपीओ सहित अन्य लोगों ने मासूम अलबिन की हत्या पर चिंता प्रकट की. कुछ लोगों ने कहा कि परिवार से इतना ही डर था, तो मासूम को कम से कम नहीं मारते. इधर, पुलिस के अनुसंधान में यह बात भी सामने आ रहा है कि अपराधियों की मंशा सिर्फ निकोदिन और उसकी पत्नी जोसफिना को मारने की थी, लेकिन अपराधियों को लगा होगा कि मृतक के बेटा, बहू और पोता पुलिस को बता सकते हैं. इसलिए उन लोगों को भी मार डाला.
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रिश्तेदारों ने कहा : मिलनासार परिवार था
रिश्तेदार सेलिन तोपनो व लीलमनी तोपनो का घर मृतक परिवार के घर के बगल में है. लेकिन, इनलोगों को हत्या की जानकारी नहीं मिली. इन दोनों महिलाओं ने कहा कि हमलोग सो गये थे. इस कारण इतनी बड़ी घटना की जानकारी नहीं मिली. उन्होंने यह भी बताया कि निकोदिन का परिवार गांव में सबसे शांत और मिलनसार परिवार था. अपना जीविका करते थे. किसी से कोई विवाद नहीं था. इसके बाद भी इन लोगों को मार डाला गया.
कामडारा में होते रही है नरसंहार
कामडारा प्रखंड क्षेत्र में नरसंहार की घटना घटते रही है. इससे पहले 18 सितंबर, 2006 को कामडारा के कुरकुरा में 6 लोगों की हत्या कर दी गयी थी. उस समय पूरा राज्य हिल गया था. सरकार में हलचल मच गयी थी. वहीं, दूसरी घटना 24 दिसंबर, 2014 को कामडारा के मुरगीकोना गांव में 7 लोगों की हत्या कर दी गयी थी. उस समय भी पुलिस महकमा हिल गया था. इसके बाद पहाड़गांव की यह तीसरी नरसंहार की घटना है. जिसमें 5 लोगों की हत्या कर दी गयी.
पहाड़गांव को बुरुहातू भी कहते हैं
कामडारा प्रखंड से 10 किमी दूरी पर पहाड़गांव आमटोली है. पहाड़गांव को बुरुहातू भी ग्रामीण कहते हैं. बुरू का मतलब पहाड़ और हातू का अर्थ गांव होता है. इसलिए इस क्षेत्र का नाम पहाड़गांव पड़ा है. इस गांव में ऐतिहासिक शिव मंदिर है. इसलिए इस गांव का नाम प्रचलित है. सावन माह और महाशिवरात्रि में इस गांव में लोगों की भीड़ उमड़ती है. हालांकि, इस क्षेत्र में नक्सली संगठन PLFI भी काफी सक्रिय है. कई बार पुलिस और नक्सलियों के बीच गांव के जंगल में मुठभेड़ हो चुकी है.
मंगलवार की सुबह गांव में हुई थी बैठक : मृतक का भतीजा
इधर, मृतक निकोदिन का भतीजा अमृत तोपनो ने बताया कि मंगलवार की सुबह को गांव में बैठक हुई थी. जिसमें जमीन सीमांकन पर चर्चा की गयी थी. उस बैठक में विसेंट तोपनो भी था. बैठक के बाद सभी अपने-अपने घर चले गये. बुधवार की सुबह को कुछ लोगों ने बताया कि मेरे बड़े पिता निकोदिन और उसके परिवार के सभी सदस्यों की हत्या कर दी गयी है. इसके बाद मैं अपने घर से अपने बड़े पिता के घर गया, तो वहां सभी को मरा पाया. फिर पुलिस को सूचना दी गयी.
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