महरौली महिला शक्ति सोसायटी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन
We News 24 Hindi »मेहरौली /नई दिल्ली दीपक कुमार की रिपोर्ट
नई दिल्ली : घर सिर्फ दीवारों और साज़-सामान से नहीं बनता, बल्कि घर औरत से मुकम्मल होता है। महिलाएं घर परिवार का अहम हिस्सा होती है। लड़की मां-बाप के घर में बेटी बनकर पैदा लेती है तो घर की रौनक बनती हैं। पति के घर जाती है तो उसकी जिंदगी और उसके घर को रौशन करती है। जिस घर में औरत का वास नहीं वो घर बेहद सूना और खालीपन से भरा होता है। हर लड़की मां, बहन और बेटी के रूप में पहले अपने बाप के घर की रौनक बनती है फिर अपने पति के घर की रौनक बनती है। महिलाएं समाज और घर का अहम हिस्सा है इसलिए उनका सम्मान भी जरूरी है।
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उन्ही महिला के सम्मान में महरौली महिला शक्ति प्रगतिशील सोसाइटी के द्वारा महरौली अग्रसेन वाटिका समसी तालाब के नजदीक अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रम रखा गया | इसकी अगुआई महरौली के पूर्व पार्षद पुष्पा सिंह ने किया .इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली पीएमसी की अध्यक्ष अमृता धवन थी अमृता धवन ने मंच से महिला सशक्तिकरण के बारे में बताया मंच संचालन गीता बलोधी ने क्या गीता बलोधी ने अपने शेरो सायरी से कार्यक्रम चार चाँद लगा दिया . इस कार्यक्रम में पूर्व मेयर सतबीर सिंह और रमेश कुमार उर्फ़ कल्लू एवं उनके सहयोगी का विशेष योगदान रहा | इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण पिल्लो पिसिंग ,डांस ,ड्रेस ,म्यूजिकल चेयर ,और तम्बोला खेल रहा कार्यक्रम में आये हुए लोगो के लिए लंच (खाना ) का व्यवस्था था .
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वी न्यूज 24 के रिपोर्टर दीपक कुमार ने श्रीमती पुष्पा सिंह पूछा की इस कार्यक्रम का उदेश्य क्या है तो पुष्पा सिंह ने बतया महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक तरक्की दिलाने के साथ ही उन महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए महिलाओं की समानता के लिए आवाज उठाना है। महिलाओं पर बढ़ते हुए अत्याचार को रोकना यही हमारा लक्ष्य है की समाज के हर महत्वपूर्ण फैसलों में उनके नजरिए को महत्वपूर्ण समझा जाएगा। तात्पर्य यह है कि उन्हें भी पुरूष के समान एक इंसान समझा जाएगा। जहां वह सिर उठा कर अपने महिला होने पर गर्व करे, न कि पश्चाताप, कि काश मैं एक लड़का होती।
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महिलाओं के सम्मान में ही हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन दुनिया भर में महिलाओं के जीवन में सुधार लाने, उनमें जागरुकता बढ़ाने के लिए कई विषयों पर जोर दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं को सम्मान देने के लिए 8 मार्च को ही क्यों चुना गया। हर साल 8 मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है ये सवाल आपके ज़हन में भी होंगा। आखिर इसके पीछे ऐसी क्या वजह है, तो चलिए इस बारे में जानते हैं।
आइये जानते है कैसे हुई इस दिन की शुरूआत?
सन् 1908 में एक मजदूर आंदोलन के बाद ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। महिलाओं ने न्यूयॉर्क में उनकी नौकरी के घंटे कम करने और साथ ही उनका वेतन बढ़ाने के लिए मांग रखी थी। महिलाओं की हड़ताल इतनी कामयाब रही कि वहां के सम्राट निकोलस को पद छोड़ना पड़ा, और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया। महिलाओं के इस आंदोलन को सफलता मिली, और एक साल बाद ही सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया, जिसके बाद से इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर का प्रयोग होता था, जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी, वह तारीख 23 फरवरी थी।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों चुना गया?
साल 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान 28 फरवरी को रूस की महिलाओं ने ब्रेड एंड पीस' (यानी खाना और शांति) की मांग की थी। यही नहीं, हड़ताल के दौरान उन्होंने अपने पतियों की मांग का समर्थन करने से भी मना कर दिया था, और उन्हें युद्ध को छोड़ने के लिए राजी भी कराया था।
ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था और उसी के बाद से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा। कई देशों में इस दिन महिलाओं के सम्मान में छु्ट्टी दी जाती है और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन महिला और पुरुष एक-दूसरे को फूल देते हैं।
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