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    बेड और ऑक्सिजन के लिए तड़पता और सिसकता बिहार,क्या यही है डबल इंजन वाली नितीश सरकार



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    We News 24 Hindi »पटना,बिहार 

    दीपक कुमार की  रिपोर्ट 


    पटना : नीतीश कुमार तक़रीबन 16 सालों से बिहार के मुख्यमंत्री के कुर्सी पर जमे है उनके और उनके पार्टी के लोग सुशासन के दम  भरते रहते है और बड़े-बड़े वादे करते है की हमने बिहार के लिए ये किया वो किया लेकिन पिछले 16 सालो की बात करे तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार तक नहीं ला सके इनके वादे से हकीकत से कोसो दूर है . अगर आप राजधानी  पटना की बात करे तो बीते 15 सालों में एनएमसीएच (NMCH), पीएमसीएच (PMCH) और आईजीआईएमएस (IGIMS) को छोड़ कर एक भी अच्छे सरकारी अस्पताल का निर्माण नहीं हो सका। इन तीनो हॉस्पिटल की सुविधाओं में थोडा बहुत  विस्तार जरूर हुआ है। पर इन अस्पतालों पर भार इतना है कि मरीजों को प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता है।



    अस्पतालों में ऑक्सिजन,वेंटिलेटर और बेड की कमी

    नितीश सरकार में बैठे लोग पटना एम्स की बात करके अपने नाकामयाबी पर पर्दा तो जरुर डालते है । मगर पटना एम्स (AIIMS) आज तक पूरी तरह से चालू नहीं है। बिहार के और  अस्पतालों की तरह पटना एम्स में भी डॉक्टरों के पद खाली हैं। जिसे आज तक भरा नहीं जा सका।  कोरोना से बिलखते और  कराहते बिहार में एक बार फिर से स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर नितीश सरकार सवाल उठ रहे हैं।  अस्पतालों में ऑक्सिजन(Oxygen),वेंटिलेटर और बेड की कमी की से मरीज तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। गंभीर मरीजों के लिए सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर भी मौजूद नहीं  है।  आलम ये है की बिहार के 10  ही जिले में पांच से ज्यादा वेंटिलेटर है। 

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    बिहार में पांच हजार डॉक्टरों के पद खाली

    कोरोना की दूसरी लहर लोगो को गंभीर रूप से बीमार कर रही है। पर बिहार में कोरोना से ग्रसित  लोगो के लिए वेंटिलेटर, आईसीयू और ऑक्सिजन,बेड भी नसीब नहीं हो रहे है आलम ये है की छोटे शहर के लोगो को बड़े शहर भागना पर रहा है पर उनको वंहा भी जगह नहीं मिल रहा है। राजधानी  पटना की बात करे तो यंहा लोग हॉस्पिटल के गेट पर मरने को मजबूर है । आपको बताते चले की बिहार में पांच हजार डॉक्टरों के पद खाली हैं। और कोरोना संकट के बिच भी इसे नहीं भरा जा सका है।

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    कोरोना की पहली लहर 10 वेंटिलेटर की मांग 

    कोरोना की पहली लहर के दौरान ही बिहार से विचलित करने वाली कई तस्वीरें आई थीं। सभी जिलों में सरकारी अस्पतालों में कम से कम 10 वेंटिलेटर की मांग की थी लेकिन दूसरी लहर आने के बाद भी मांग पूरी नहीं हुई है। वहीं, ऑक्सिजन को लेकर भी यहीं हाल है। राज्य में कोई ऑक्सिजन प्लांट नहीं है। पूरी तरह से पड़ोसी राज्य झारखंड पर निर्भरता है।

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    नीति आयोग के रिपोर्ट 

    जून 2019 में नीति आयोग ने देश के 21 बड़े राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में बिहार में 21वें पायदान पर था इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि बिहार में नितीश कुमार ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कितना काम किया है।


    विधानसभा चुनाव में तेजस्वी ने उठाए थे सवाल

    बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर एक सवाल उठाए थे। उन्होंने एक आंकड़ा देते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के हिसाब से एक हजार व्यक्ति पर एक डॉक्टर होना चाहिए। बिहार में 3207 लोगों पर एक डॉक्टर हैं। वहीं, ग्रामीणों क्षेत्रों में 17 हजार से अधिक लोगों की आबादी पर एक डॉक्टर हैं।


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    बिहार में नर्सों के बलबूते चल रहे है वेलनेस सेंटर

     दिसंबर 2020 में चौकाने वाला  खुलासा हुआ था कि बिहार के 48 से अधिक वेलनेस सेंटर ऐसे है जो सिर्फ  नर्सों के बलबूते  चल रहे हैं। इन सेंटर  पर एक भी डॉक्टर नहीं हैं। बिहार में अभी 1183 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं। मगर सभी का हाल बेहाल हैं। बताया जाता है कि बिहार में 534 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत ऐसी है जिसमे सालों से कोई डॉक्टर नहीं आए हैं। ऐसे में ग्रामीणों को छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी शहरों का रुख करना पड़ता है। सरकार पर यह भी आरोप लगते हैं कि नेशनल हेल्थ मिशन से मिले रुपये भी खर्च नहीं कर पा रही है। 




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