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    खुद डॉक्टर ना बने ,कोरोना के लक्षण दिखे तो कौन सा दवा लेना होगा सही ,बता रहे है डॉक्टर



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    We News 24 Hindi »नई दिल्ली 

    दीपक कुमार की रिपोर्ट 



    नई दिल्ली : पूरा देश  इस समय कोरोना  संक्रमण की दूसरी लहर की मार झेल रहा हैं। काफी रफ़्तार में ये  महामारी भारत को अपने चपेट में ले रहा  , उससे तो स्थिति आउट ऑफ़ कंट्रोल दिख रहा है। और अभी  जिन लोगो में  कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं दिख रहे या उनकी  स्थिति गंभीर नहीं है तो उन्हें सरकार के तरफ अपने घर पर ही क्वारंटाइन रहने का सुझाव दिया गया है।


    भारत में अभी तक कुल 1.55 करोड़ लोग कोरोना से ग्रसित हो चुके  हैं और सक्रिय मरीज  2 लाख 31 हजार 977 पहुच चूका है । मंगलवार को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में वायरस से मरने वालों की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए कहा था, "चुनौती बहुत बड़ी है, हमें दृढ़ संकल्प, साहस और तैयारी के साथ इसे दूर करना होगा। 

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    भारत में टीकाकरण की प्रक्रिया में तेजी लाते हुए 1 मई से 18 साल से ऊपर से सभी लोगों को वैक्सीन दिए जाने की घोषणा भारत सरकार द्वारा  हो चुकी है। तो दूसरी और संक्रमण के संदेह होने पर  लोग ऑनलाइन दवाएं पढ़कर मंगा लेने की चलन बढ़ रही है लोग और खुद का डॉक्टर बन अपनी मर्जी से दवा ले रहे हैं। ऐसे में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. सीएस प्रमेश ने बताया है कि यदि कोई कोरोना संक्रमित होता है तो उसे क्या दवाएं लेनी हैं।


    कौन सी दवा मरीज की जान बचा सकती है या रिकवरी में मदद कर सकती है?

    डॉ. प्रमेश कहते हैं कि इस कैटगरी में बेहद कम दवाएं हैं। बस इसका खयाल रखना है कि जब ऑक्सीजन का लेवल गिरता जाए तो ऑक्सीजन ही जान बचा सकती है। कुछ हद तक मध्यम गंभीरता से लेकर खतरनाक स्तर की बीमारी में स्टेरॉयड (Dexamethasone) भी काम करते हैं।

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    संक्रमित हुए तो कौन सी दवा लें?

    डॉ. प्रमेश ने कहा कि यदि आपका ऑक्सीजन लेवल ठीक है और  किसी प्रकार का कोई लक्षण या दिक्कत नहीं है तो दवा के लिए केवल 'पैरासिटामोल' ही काफी है। उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं ये भी पढ़ने को मिल रहा है कि कोरोना मरीज को बुडसोनाइड से फायदा होता है। अगर यह दवा मरीज सूंघे करे तो उसकी रिकवरी तेज होती है। लेकिन इससे मृत्यु दर घटने वाली कोई बात गलत है। वैज्ञानिक तथ्य बताते हैं कि इस तरह की दवाएं मृत्यु दर में कोई मदद नहीं करतीं और फेवीपिराविर/ इवरमेक्टिन के पीछे भागने से कोई लाभ नहीं होने वाला। इन दवाओं के लिए होड़ मचाना अपना समय बर्बाद करने के सिवा और कुछ नहीं है।

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    रेमडेसिविर, टोसिलीजुमैब और प्लाज्मा से कितना फायदा?

    डॉ. प्रमेश ने बताया कि रेमडेसिविर बहुत हद तक मदद नहीं करती और यह सभी मरीजों पर काम भी नहीं करती। कुछ ही मरीज होते हैं जिन पर यह दवाई काम करती है। लेकिन अगर किसी के ऑक्सीजन का स्तर काफी गिर गया है और वह सांस लेने की स्थिति में नहीं है या वेंटिलेटर पर है तो भी इसका असर नहीं होता। यह दवा शुरू में मरीज को रिकवर करने में मदद करती है लेकिन लोगों के मृत्यु दर को तो बिल्कुल नहीं घटाती। टोसिलीजुमैब भी ऐसी दवा है जो बहुत कम लोगों पर असर करती है। वहीं कई अध्ययनों में प्लाज्मा को भी फायदेमंद नहीं बताया गया है।डॉ. प्रमेश ने बताया कि डॉक्टर को तय करने दीजिए कि आपको रेमडेसिविर या टोसिलीजुमैब या किसी और दवा की जरूरत है। डॉक्टर पर ये दवाएं लिखने का दबाव मत डालिए। 


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