वैशाली प्रखंड के युवा प्रगतिशील किसान ने काले किस्म के गेहूं की खेती कर किसानो को दी नई सिख।
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नागमणि की रिपोर्ट
हाजीपुर : वैशाली प्रखंड के मझौली पंचायत के बरहटिया गांव के युवा प्रगतिशील किसान रिषीकेश कुमार उर्फ टुनटेश सिंह ने 6 छ: कट्ठे में काले गेहूं की खेती कर अन्य किसानों को गुर और उन्हें समृद्धशाली बनने की नसीहत दे रहे है। किसान बताते है की प्रदेश में ज्यादातर लोकमन या सर्वती गेहूं की बनी रोटी का प्रचलन है।लेकिन काले गेहूं से बनी चपाती (रोटी )का रंग भले ही देखने मे काला व भूरा होने के कारण अलग दिखता है।यह सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी और सुस्वादु होता है।सर्दियों के मौषम में रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।इसमें पाए जानेवाले एंथ्रोसाइनीन पिग्मेंट एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है।जो हार्ट अटैक, कैंसर,शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है और भरपुर पौष्टिक भी।यदि किसान इसकी खेती करे तो समृद्धशाली बन सकते है।
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इसकी अच्छी पैदावार के लिए नवंबर माह से बुवाई की जाती हैं।बुवाई की विधी में सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है।काले गेहूं की उत्पादन सामान्य गेहूं की तरह ही होता हैं।जिसे कतारबद्ध पंक्तियों में बुवाई करने पर सामान्य तौर पर 100 किलोग्राम तथा मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की उपज होती है।वहीं छिटकाव विधि से बुवाई में सामान्य दाना 125 किलोग्राम, मोटा-दाना 150 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।
यदि बीज अंकुरण क्षमता कम हो तो कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर व पी.एस.वी.से बुवाई करना चाहिए.वही सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुवाई करने पर सामान्य दशा में 75 किलोग्राम तथा मोटा दाना 100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए इसमे खाध जिंक व यूरिया, तथा डीएपी खाद को ड्रिल से दें.बोते समय 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश तथा 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ देना चाहिए।
वहीं पहली सिंचाई के समय मात्रानुसार यूरिया दें सकते है।
काले गेहूं की फसल की पहली सिंचाई के तीन हफ्ते बाद की जाती है.जब फुटाव के समय गांठें बनते समय, बालियां निकलने से पहले, दूधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई अवश्य करना चाहिए।
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-वही कटाई के समय जब गेहूं के दाने पक कर सख्त हो जाएं और उनमें नमी का अंश 25 प्रतिशत तक आ जाए तब इसकी फसल की कटाई करनी चाहिए।वही इसकी उपज की बात करें तो इसकी 10 से 12 क्विंटल तक प्रति बीघे उपज प्राप्त की जा सकती है।जबकी अन्य गेहूं की अपेक्षा किसानों की कमाई तीन गुना ज्यादा होता है।
काले गेहूं की बाज़ारो में 4,000 से 6,000 हजार रुपए प्रति क्विंटल की कीमत है।जो कि अन्य गेहूं की फसल से दोगुना है।हाल ही में सरकार ने गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,975 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है यदि किसान काला गेहूं की खेती करे तो किसानों की कमाई तीन गुना ज्यादा करके समृद्धशाली बन सकते है।
1 .फोटो-क्या कहते है किसान
मैं आनलाईन के माध्यम से नई नई खेती के बारे में सर्च करते रहते रहता हूं
और आनलाईन के माध्यम से बिज मंगवाकर खेती करता हूं। मैं 05 वर्ष प्राइवेट नौकड़ी करने के बाद नौकड़ी छोड़कर कृषि क्षेत्र में ज्यादा लगनशील होने के कारण आज नई नई किस्म के बीज कृषि केंद्र विज्ञान केंद्र से लाकर उस बीज को बढ़ाकर कृषि क्षेत्र में ज्यादा खेतीबाड़ी कर आज अपने मेहनत के बदौलत अपने परिवार को अच्छे
ढ़ंग से चला रहा हूँ।और अन्य किसानों को भी इस क्षेत्र में मेहनत कर समृद्धशाली बनने की सलाह की अपील कर रहा हूँ।
प्रगतिशील किसान रिषीकेश सिंह, बरहटिया वैशाली
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