पटना/बिहार के किसानों को ठंडे पानी में पकने वाला जादुई चावल के बीज निःशुल्क मिलेगा ,आवाज एक पहल
We News 24 Hindi »पटना, बिहार
संवाददाता,वशिष्ठ कुमार
पटना : क्या आपने कभी ऐसा चावल देखा है जो ठंडे पानी में पक जाए। असम में एक ऐसा चावल पाया जाता है जिसे आप बिना पानी में उबाले खा सकते हैं । इस चावल का नाम है बोका चाउल (चावल) या असमिया मुलायम चावल (ओरीजा सातिवा) । पिछले वर्ष बिहार में इसका एक्सपेरिमेंटल खेती चंपारण के प्रगतिशील किसान विजय गिरी ने किया था। एक्सपेरिमेंट सफल रहा और बंपर उत्पादन हुआ। इस वर्ष सामाजिक संस्था आवाज एक पहल ने इस चावल की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बिहार के अलग-अलग जिलों में किसानों को मुफ्त में दे रही है। संस्था के सदस्य लव कुश बताते हैं कि आसाम के नलबारी, बारपेटा, गोलपाड़ा, बक्सा, कामरूप, धुबरी, और कोकराझर ऐसे जिले हैं जहाँ इसकी खेती बहुतायत से होती है ।
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बोका चाउल (चावल) का इतिहास 17 वी से जुड़ा है । बिना ईंधन के आप इसे पका सकते हैं बस आप को सामान्य तापमान पर इसको थोड़ा सा पानी में भिगोना होगा । चना मुंग या बादाम अंकुरित होने के बाद जैसा होता है ये चावल भी वैसा ही हो जायेगा ।
बोका चाउल (चावल) को जीआई टैग के साथ पंजीकृत किया गया है । असम राज्य का अब इस चावल पर अब जीआई टैग मिलने क़ानूनी अधिकार हो गया है।
बोका चाउल (चावल) को असम के लोग गुड़, दूध, दही, चीनी या अन्य बस्तुओं के साथ कहते हैं । इस चावल का उपयोग स्थानीय पकवानो में भी किया जाता है ।
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संस्था के एक और सदस्य वीरू ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए यह चावल वरदान साबित हो सकता है। बिहार में हर साल बाढ़ आती हैं और उसमें फंसे लोग सिर्फ रूखे सूखे अनाज खाकर अपना पेट भरते हैं। ऐसे में अगर उनके पास मैजिक चावल की उपलब्धता होगी तो उनका भरपूर पोषण हो सकेगा।
बोका चाउल (चावल) को असम के लोग जून के महीने में बोते है और दिसंबर के महीने में इसे काटते हैं।
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यह खाने में स्वादिस्ट और अत्यधिक पौष्टिक भी है । बोका चाउल (चावल) में 10.73 प्रतिशत फाइबर सामग्री और 6.8 प्रतिशत प्रोटीन है, गौहाटी विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है।
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