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    आप जानते है की मार्शल आर्ट्स का जनक कौन है ? जानिए मास्टर जितेंद्र से मार्शल आर्ट के बारे में



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    We News 24»नई दिल्ली 

    दीपक कुमार  की रिपोर्ट। 


    नई दिल्ली,मार्शल आर्ट्स का नाम आते ही हमारे दिमाग में चीन का नाम याद आता है और आम तौर पे हम भारतीय यही समझते है की मार्शल की कला का अविष्कारक चीन है. जबकि सच्चाई इसके विपरीत है मार्शल आर्ट्स का जन्म देने वाले  महात्मा बुद्ध है जिन्होंने आत्मरक्षा के लिए इसका अविष्कार किया .

     

    अगर हम  भारत में मार्शल आर्ट्स के इतिहास को खोज बिन करे ते  महाभारत आदि प्राचीन ग्रंथो में सबसे पहले इस विद्या का वर्णन मिलता है जहाँ  मार्शल आर्ट्स  को नियुद्ध के नाम से उल्लेखित किया गया है. निःयुद्ध एक प्राचीन भारतीय कला है. नियुद्ध शब्द का अर्थ है ‘बिना हथियार के युद्ध’ अर्थात् स्वयं निःशस्त्र रहते हुये आक्रमण तथा संरक्षण करने की कला. दक्षिण भारत में इस कला को कलरीपायट्टु के नाम से जाता हैं. यह भारतीय विद्या बौद्ध भिक्षुओं तथा प्रवासी भारतीयों द्वारा विश्व के अनेक देशों में गयी तथा इससे अनेक युद्ध कलाओं का जन्म हुआ. यह कला जिस देश में पहुंची वहां के लोगों ने इसे अपनी स्थानीय भाषाओँ में एक नया नाम दिया.



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    चीन जैसे देश में इस विद्या को मार्शल आर्ट्स का नाम दिया दिया गया और आज पूरा विश्व इसे मार्शल आर्ट्स के ही नाम से ही जानता है. दुःख की बात तो यह है जो विद्या भारत जैसे देश में जन्म लिया  और विदेशों में गया और विश्व के सारे देशों से इसके जनक देश का नाम पूछा  जाए तो संभवता सभी एक स्वर में चीन का नाम लेंगे ना कि भारत का.



    इसका एक ही वजह की हमारे देश के तथाकथित विद्वानों ने हमेशा से ही अपने देश में जन्मे काला का मोल नहीं समझा और पश्चिम देशो  की तरफ देखा और खुद के देश की संस्कृति, चिकत्सा विज्ञानं, अर्थशास्त्र, गणित शास्त्र, युद्ध कला ज्ञान, विज्ञानं और योग आदि को कभी भी प्रचारित नहीं किया और ना ही उसे सम्मान दिलाने का प्रयास किया.जिसके वजह से आज हमारे देश के खिलाडी हो या अन्य क्षेत्र के लोगो में टेलेंट होते हुए भी सुविधा के आभाव में गुमनाम है . 

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    आज हम आपको एक ऐसे ही शख्सियत के बारे में बताने जा रहा हूँ जो सुविधा के आभाव में भी अपना हौशला को कमजोर नहीं पड़ने दिए  और अपने कला को जिन्दा रखने के लिए प्रयासरत है  कोई उन्हें सहयोग करने वाला मिल जाय उस शख्सियत नाम है गंगा थापा और मास्टर जिंतेंद्र सिंह जो मार्शल आर्ट्स की एक कला ताइक्वांडो के मास्टर है जो साऊथ दिल्ली के छतरपुर क्षेत्र के राजपुर में ताइक्वांडो के एक प्रशिक्षण स्कुल चला रहे है , जो बहुत ही कम मासिक शुल्क लेकर बच्चो को ताइक्वांडो का  प्रशिक्षण दे रहे है . 


    जिसका नाम द मार्शल आर्ट जिम फोन नंबर 9911716601,8285464780 ये है  तो चलिए आज हम आपको ताइक्वांडो के  प्रशिक्षण स्कुल में लिए चलता हु .जन्हा हम  खास बातचीत करेंगे  ताइक्वांडो  के बारे में जो आज के समय में आत्मरक्षा के साथ-साथ एक कॉम्बेट खेल है .

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    ताइक्वांडो की पहचान 

    ताइक्वांडो को 1988 Seoul के ओलंपिक खेलों में पहली बार कार्यक्रम के रूप में प्रदर्शित किया गया था । 1992 बार्सिलोना के खेलों में इस एक बार फिर से प्रदर्शनी के तौर पर दिखाया गया। अटलांटा 1996 में कोई प्रदर्शन खेल नहीं थे, लेकिन सिडनी 2000 में ताइक्वांडो एक पूर्ण पदक खेल के रूप में फिर से प्रकट हुआ और Athens 2004, Beijing 2008, London 2012, Rio 2016, Tokyo 2020 और Paris 2024 में अपनी पूर्ण पदक खेल की स्थिति कायम कर ली।

    आज तायक्वोंडो को 200 से अधिक देशों में अनुमानित 80 मिलियन लोगों द्वारा अभ्यास किया जाता है, और आज ये दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है।


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