भाजपा से तृणमूल में लौटने वाले दलबदलु मुकुल राय समेत अन्य की बढ़ेगी मुश्किलें
We News 24» रिपोर्टिंग / सुजीत कुमार विश्वास
कोलकाता। बंगाल में भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतने के बाद तृणमूल कांग्रेस में लौटने वाले मुकुल राय समेत अन्य दलबदलू विधायकों की मुश्किलें बढऩे वाली है। क्योंकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी से कहा है कि वे दलबदल करने वाले मुकुल राय को अयोग्य ठहराने के लिए दायर याचिका पर निर्णय लें। ऐसे में अब भाजपा छोड़कर तृणमूल में लौटे अन्य विधायकों के लिए भी परेशानी खड़ी होने वाली है।
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दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एल नागेश्वर और न्यायाधीश हिमा कोहली की पीठ कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष व सचिव तथा निर्वाचन अधिकारी द्वारा दायर दो अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई के दौरान यह बातें कही है। ऐसे में अब दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई अधिक समय तक टालना विधानसभा अध्यक्ष के लिए भी मुश्किल हो गया है। क्योंकि इससे पहले हाई कोर्ट ने 28 सितंबर को बिमान बनर्जी से कहा था कि मुकुल राय को अयोग्य ठहराने के लिए दायर याचिका पर सात अक्टूबर तक फैसला लें। पर, हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। अब उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली।
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उच्चतम न्यायालय, जिसने अपीलों पर नोटिस जारी नहीं किया ने बिमान बनर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया कि राय को अयोग्य ठहराये जाने के अनुरोध संबंधी याचिका पर 21 दिसंबर को अध्यक्ष के समक्ष सुनवाई होनी है। पीठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अध्यक्ष 21 दिसंबर, 2021 को मामले की सुनवाई करेंगे और कानून के अनुसार इस पर फैसला करेंगे। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में अगले साल जनवरी में सुनवाई करेगा।
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विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने 17 जून को अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर कर राय को विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया था और दावा किया था कि वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। राज्य के भाजपा विधायक अंबिका राय ने जुलाई में मुकुल राय को लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने परंपरा के अनुसार इस पद पर विपक्षी सदस्य के नामांकन का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से मुकुल राय के साथ-साथ भाजपा छोडऩे वाले चार और विधायकों के लिए परेशानी बढ़ गई है। क्योंकि अगर मुकुल का विधायक पद खारिज होता है तो अन्य विधायकों पर भी तलवार लटक जाएगी। अब देखने वाली बात होगी कि विधानसभा अध्यक्ष क्या फैसला लेते हैं।
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