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    यात्री कृपया ध्यान दें, कोहरे के कारण देरी से नहीं चलेगी ट्रेन ,ट्रेनों में लगे फाग डिवाइस



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    We News 24» रिपोर्टिंग / ललित भगत 


    पटना : जाड़े का मौसम आ चूका है और देश के कई राज्यों में कोहरा भी अपना असर दिखने लगा है। चाहे वो रेल मार्ग हो या हाइवे दोनों जगह रफ़्तार धीमी पर गयी है सबसे ज्यादा कोहरे का असर ट्रेने पर परता है 20-20 घंटे   की देरी से ट्रेने चलती है और कई ट्रेन को तो रद्द भी कर दिया जाता है।  पर इसा बार पूर्व मध्य रेल द्वारा संरक्षित ट्रेन कोहरे को देखते परिचालन की दिशा में कदम उठाये हैं। जिससे कोहरे के दौरान ट्रेनों का परिचालन सुगम हो और बिना देरी के यात्रियों को परेशानी न हो। 


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    इसके लिए  पूर्व मध्य रेल द्वारा  ट्रेन परिचालन को लेकर सभी ट्रेनों के इंजनों में फाग सेफ डिवाइस लगाया गया है। सभी ट्रेनों में लोको पायलट को ही जीपीएस आधारित फाग सेफ डिवाइस दिया गया है। पूर्व मध्य रेल के सहरसा रेल खंडों में चलायी जा रही मेल- एक्सप्रेस ट्रेनों में यह सुविधा कोहरे के कारण यह बहाल की गयी है।जाड़े के मौसम में अक्सर ठंड के वजह से  रेल की पटरी की क्रेक होने की घटना घटते रहती है। इसीलिए रेल पटरी की भी जांच नियमित रूप से की जा रही है। फाग मैन की तैनाती की गयी है। जो हर शाम से ही अहले सुबह तक रेल पटरी की निगरानी करते है।


     ऐसे करती है काम फॉग डिवाइस

    रेलवे के मुताबिक, जीपीएस पर आधरित फॉग सेफ्टी डिवाइस में रेल रूट का डाटा फीड होता है। कहां पर सिग्नल, पुल और रेल क्रासिंग है, इसकी जानकारी डिवाइस में रहती है। जब लोको पालयट ड्यूटी लेता है, तो उसे डिवाइस दे दी जाती है। घना कोहरा होने पर भी 500 मीटर ही आगे क्रासिंग या सिग्नल आदि को इंडिकेट करती है।लाल या हरा सिग्नल का संकेत देने के साथ डिवाइस से आवाज आने लगती है। लोको पायलट ट्रेन की रफ्तार को नियंत्रित करता है। ड्राइवर अपनी सुविधा के अनुसार अंग्रेजी या हिंदी भाषा में आवाज को सेट कर सकता है। डिसप्ले देखे बिना भी आवाज सुनकर ड्राइवर जान लेता है कि आगे का सिग्नल, क्रासिंग या पुल है।

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    सिंग्नलों की पहचान के लिए कई उपाय

    रेलवे ने सिंग्नलों की दृश्यता को बढाने के लिए सिंग्नल साइटिंग बोर्ड, फाग सिंग्नल पोस्ट, ज्यादा व्यस्त समपार के लिफ्टिंग बैरियर आदि को एक विशेष रंग काला एवं पीला रंग से रंगकर उसे चमकीला बनाया गया है। सिंग्नल आने से पहले रेल पटरी पर सफेद चूने से निशान बनाया गया है।ताकि लोको पायलट कुहासे वाले मौसम में सिंग्नल के बारे में अधिक सर्तक हो जाएं। घने कोहरे में स्टाप सिग्नल की पहचान हेतु सिग्नल से पहले एक विशेष पहचान चिन्ह सिगमा शेप्स का प्रावधान किया गया है। जिससे चालक को स्टाप सिगनल की जानकारी आसानी से प्राप्त हो सकें।



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    लोको पायलटों को प्रत्येक स्टेशनों का फर्स्ट स्टाप सिगनल लोकेशन किलोमीटर चार्ट उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसके प्रयोग से चालक यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि अगले कितनी दूरी पर ट्रेन को रोकना है।पूर्व मध्य रेल के सभी मेल एवं एक्सप्रेस ट्रेनों में जीपीएस आधारित फाग सेफ डिवाइस लगा दिया गया है। जिससे दुधर्टना पर रोक लग सकें।’- राजेश कुमार, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्व मध्य रेल 

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