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    अब दिल्ली में तीन नहीं एक ही होगा नगर निगम ,कैबिनेट ने दी मंजूरी



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     We News 24» रिपोर्टिंग / दीपक कुमार 


    नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अब नगर निगम के चुनाव होने हैं, जिसे लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। चुनाव से ठीक पहले दिल्ली में तीन नगर निगमों का एकीकरण कर दिया गया है। दिल्ली में अब तीन नहीं, बल्कि एक ही नगर निगम होगा। एकीकरण बिल पर कैबिनेट ने बैठक में मंजूरी दे दी है। साल 2012 में इसे तीन निगमों दक्षिण एमसीडी, उत्तर नगर निगम और पूर्वी नगर निगम में बांट दिया गया था।

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    बता दें कि लगभग 9 साल पहले तक दिल्ली में एक ही नगर निगम था, लेकिन 2012 के निगम चुनाव से पहले दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया। उस वक्त तर्क दिया गया था कि ऐसा करने से नगर निगम के कामकाज में सुधार लाया जा सकेगा और ये प्रभावी तरीके से जनता को सेवाएं दे सकेंगी। 


    नगर निगम को विभाजित करने के बाद से ही नगर निगमों के कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, उलटे निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गए कि कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया। जिसकी वजह से निगम कर्मचारियों को कई बार हड़ताल पर जाना पड़ा। 

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    तीनों नगर निगमों के विलय करने के बाद अस्तित्व में आने वाले नगर निगम से दिल्ली सरकार को पूरी तरह दूर रखने की संभावना जताई जा रही है। इस संबंध में नगर निगम अधिनियम (डीएमसी एक्ट) की 17 धाराओं का अधिकार दिल्ली सरकार से छीनकर केंद्र सरकार अपने अधीन ले सकती है। इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का पहले केंद्र सरकार के पास ही अधिकार था, मगर अक्तूबर 2009 में केंद्र ने इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया था। इसके बाद से नगर निगम के कामकाज में दिल्ली सरकार का हस्तक्षेप बढ़ा है।

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    सूत्रों के अनुसार, प्रदेश भाजपा के नेताओं ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह नगर निगम को पूरी तरह दिल्ली सरकार से मुक्त कर दे। बशर्ते, वह तीनों नगर निगम रखे या फिर तीनों निगमों का विलय करके एक निगम बनाए, क्योंकि दिल्ली सरकार को डीएमसी एक्ट की कुछ धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार मिला हुआ है। इस कारण वह निरंतर एकीकृत नगर निगम की तरह तीनों नगर निगमों को परेशान कर रही है। 


    इन धाराओं से जुड़े कार्यों की फाइल दिल्ली सरकार लटकाकर रखती है, जिससे निगम का कामकाज प्रभावित होता है। भाजपा नेताओं ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह पहले की तरह नगर निगम को पूरी तरह अपने अधीन ले। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार प्रदेश भाजपा के नेताओं के तर्क पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस संबंध में वह डीएमसी एक्ट में परिवर्तन कर सकती है।

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    दिल्ली सरकार के अधीन डीएमसी एक्ट की धाराएं एवं अधिकार

    धारा 52 (2) : वार्ड समिति की शक्तियां एवं कृत्य (15वीं अनुसूची का संशोधन का अधिकार)

    धारा 55 : आयुक्त का वेतन और भत्ते तय करना।

    धारा 56 (2) : आयुक्त की छुट्टी मंजूर करना और उनके स्थान पर आयुक्त के रूप में कार्य करने के लिए किसी अन्य अधिकारी की नियुक्ति करना।

    धारा 57 : आयुक्त की मृत्यु, उसके त्यागपत्र या हटाए जाने की दशा में अस्थायी तौर पर आयुक्त की नियुक्ति करना।

    धारा 102 (ग) : सरकार की ओर से विभिन्न मामलों में अपेक्षित कोई कार्यवाही करने में नगर निगम के असफल रहने की दशा में भुगतान रोकना।

    (घ) : ऐसे कार्यों के लिए अस्थायी संदाय, जो सरकार की ओर से लोक हित में अत्यावश्यक रूप से अपेक्षित हैं।

    धारा 202 (ग) : सरकार की ओर से समय-समय पर नियत किए जाने पर आयुक्त 10 लाख रुपये से अधिक रकम का व्यय स्थायी समिति की स्वीकृति के बिना नहीं करना।

    धारा 330 (क) : सरकार के निर्देशन और नियंत्रण के अधीन आयुक्त की ओर से अपनी शक्तियों का प्रयोग करना और अपने कृत्यों का निर्वहन करना।

    धारा 372 (2) : यदि सरकार ऐसी अपेक्षा करे तो नगर निगम को संक्रामक रोग अस्पताल बनाना होगा।

    धारा 427 (2) : नगर निगम की सुधार से संबंधित योजनाएं सरकार से मंजूर करानी होगी।

    धारा 480 (2) : नगर निगम की ओर से बनाए गए अधिनियम की सरकार से स्वीकृति लेना।

    धारा 489 : प्राथमिक विद्यालयों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने की सरकार से स्वीकृति लेना।

    धारा 512 : नई दिल्ली से दिल्ली को अंतरित क्षेत्र की बाबत विशेष प्रावधान के उपयोग का अधिकार।

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