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    कुतुब मीनार को लेकर देश के मशहूर पुरातत्वविदों का सनसनीखेज खुलासा, कुतुब मीनार है सूर्य स्तंभ, दिए कई तथ्य


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    We News 24»रिपोर्टिंग सूत्र / गौतम कुमार 


     नई दिल्ली : देश की राजधानी मेहरौली दिल्ली स्थित कुतुबमीनार काे लेकर गर्मा रही चर्चा के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने एक नया दावा कर तहलका मचा दिया है।उनके अनुसार यह कुतुबमीनार नहीं, बल्कि यह एक सूर्य स्तंभ है। अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उनके पास कई तथ्य भी हैं।  


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    ASI के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा का यह भी कहना है कि यह मीनार एक वेधशाला है जिसमें नक्षत्रों की गणना की जाती थी। 27 नक्षत्रों की गणना के लिए इस स्तंभ में दूरबीन वाले 27 स्थान हैं।  धर्मवीर शर्मा का यह भी दावा है कि इस स्तंभ की तीसरी मंजिल पर सूर्य स्तंभ के बारे में जिक्र भी है।


    यहां बता दें कि धर्मवीर शर्मा देश के विख्यात पुरातत्वविदों में शामिल हैं जो एएसआइ के दिल्ली मंंडल में तीन बार अधीक्षण पुरातत्वविद रहे। उन्होंने यहां रहते हुए कुतुबमीनार में कई बार संरक्षण कार्य कराया है, अनेक बार इसके अंदर गए हैं। उस देवनागरी लिखावट काे देखा है जो इसके अंदर के भागों में है। यह खगोलविज्ञानियों को लेकर हर साल 21 जून को कुतुबमीनार परिसर में जाते हैं।


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    उनका दावा है कि पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि कुतुबमीनार एक बहुत बड़ी वेधशाला थी जिसका निर्माण सम्राट विक्रमादित्य ने कराया था। कलयुग के महान शासकों में सबसे बड़ा नाम ही उज्जैन को राजधानी बना कर भारत समेत आसपास के कई अन्य देशों पर राज्य करने वाले सम्राट विक्रमादित्य का है, परंतु भारतीय इतिहास में उन्हें उचित स्थान नहीं मिला। भारतीय इतिहास को नष्ट कर दिया गया है।


    धर्मवीर शर्मा के अनुसार कुतुबमीनार को वेधशाला साबित करने वाले प्रमुख तथ्य

    1. इसका निर्माण खगाेलविज्ञान पर आधारित है।
    2. इसे कर्क रेखा के ऊपर बनाया गया
    3. इसे सूर्य की गतिविधि की गणना करने के लिए बनाया गया था
    4. इस मीनार की छाया 21 जून को 12 बजे जमीन पर नहीं पड़ती है
    5. यह कर्क रेखा से पांच डिग्री उत्तर में है
    6. विक्रमादित्य ने सूर्य स्तंभ के नाम से विष्णुपद पहाड़ी पर यह वेधशाला बनाई थी
    7. इस मीनार के ऊपर बेल बूटे घंटियां आदि बनी हैं, जो हिंदुओं से संबंधित निर्माण में होती हैैं।
    8. इसे 100 प्रतिशत हिंदुओं ने बनाया, इसे बनाने वालों के इसके ऊपर जो नाम लिखे हैं उनमें एक भी मुसलमान नहीं था
    9. इसे खगोेलविज्ञानी वराह मिहिर के नेतृत्व में बनाया गया था
    10. इस वेधशाला में कोई छत नहीं है
    11. इसका मुख्य द्वार ध्रुव तारे की दिशा की ओर खुलता है
    12. 968 तक कुतुबमीनार के मुख्य द्वार के सामने एक पत्थर लगा था, जो ऊपर से यू आकार में कटा हुआ था,उसके ऊपर ठोड़ी रखने पर सामने ध्रुव तारा दिखता था।
    13. इस निर्माण में 27 आले हैं, जिनके ऊपर पल और घटी जैसे शब्द देवनागरी में लिखे हैं।
    14. आलों के बाहर के छेद दूरबीन रखने के बराबर के हैं, जबकि इनमें अंदर की ओर तीन लोग बैठ सकते हैं
    15. कुतुबमीनार के अंदर के भाग में देवनागरी में लिखे हुए कई अभिलेख हैं जो सातवीं और आठवीं शताब्दी के हैं।
    16. इसका मुख्य द्वार छोड़कर सभी द्वार पूर्व की ओर खुलते हैं, जहां से उगते हुए सूर्य को निहारा जा सकता है
    17. इस मीनार को अजान देने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है, अंदर से शोर मचाने या िचल्लाने की आवाज बाहर नहीं आती है
    18. यह कहना गलत है कि इसे कई बार में बनाया गया, इसे एक बार में ही बनाया गया है
    19. मीनार में बाहरी ओर लिखावट में फारसी का इस्तेमाल किया गया है
    20. इस मीनार के चारों ओर 27 नक्षत्रों के सहायक मंदिर थे, जिन्हें तोड़ दिया गया है .

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