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    जानिए कांग्रेस सरकार का वो काला सच जिसने देश को दिया धोखा, मुस्लिम वक्फ को दे दी दिल्ली की 123 अहम सरकारी संपत्ति


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    We News 24 Digital»रिपोर्टिंग सूत्र  / दीपक कुमार 

    नई दिल्ली : भारत में इस समय इस्लामिक संस्था  पीएफआई और  इस्लामिक वक्फ बोर्ड  खूब चर्चा में है, पीएफआई  भारत की इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता है . इस्लामिक वक्फ बोर्ड  पुरे भारत का जमीन हथियाना चाहता है . भारत के बटवारे के बाद भी इस देश में इस्लामिक वक्फ बोर्ड की जमीन और ताकत कैसे बढ़ रही है ? आज हम इसी बात का खुलसा करने जा रहे है जिनके राज्य में इनकी ताकत और जमीन बढ़ी वो कोई और नहीं हमारे देश की सबसे पुरानी पार्टी कोंग्रेस है .आज हम आपको     कोंग्रेस का दोहरा सच बताने जा रहे है . जिसे सुनकर आप हैरान हो जायेंगे की देश और  हिन्दू के साथ इतना बड़ा विश्वासघात भी कर सकता है कोंग्रेस की सरकार 

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    हिंदू बहुल गांव की करीब 90 प्रतिशत जमीन पर  वक्फ का कब्जा 

    तो आइये जानते है .कांग्रेस का वो काला सच   दिल्ली की 123 सरकारी संपत्ति दे दिया वक्फ बोर्ड को कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच ने वक्फ बोर्ड से जुड़े घोटाले के आरोप में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार किया था . दूसरी खबर भी आपने सुना होगा की  तमिलनाडु के एक हिंदू बहुल गांव की करीब 90 प्रतिशत जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया , जिसमें एक 1500 साल पुराना एक मंदिर भी है. सोचिए, दुनिया में इस्लाम का कोई वजूद नही था तब के  मंदिर पर भी वक्फ अपनी मिल्कियत का  दावा  कैसे कर दिया ? ये सोचने वाली बात है स्थानीय लोगों को अपनी भूमि खरीदने और बेचने से पहले वक्फ बोर्ड से अनुमति प्रमाण पत्र लेने के लिए लोगो को विवश कर दिया  ।

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     8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है वक्फ बोर्ड के पास

    यंहा एक बात और भी साफ़ करना जरुरी है .भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है मुस्लिम वक्फ बोर्ड के पास . यानी, वक्फ बोर्ड भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है. इनके  पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं . जो 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हैं. सेना के पास करीब 18 लाख एकड़ जमीन हैं . जबकि रेलवे के पास करीब 12 लाख एकड़ जमीन है . 

    13 वर्षों में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां दोगुनी

    अब जो आंकड़ा हम आपको बताने वाले है  वो तो और चौंका देगा.वक्फ बोर्ड की संपत्तियां  साल 2009 में 4 लाख एकड़ जमीन पर फैली थी और आज 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हैं . मतलब साफ है कि बीते 13 वर्षों में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां दोगुनी से भी ज्यादा हो गई हैं. ये 4 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास आया कंहा से यही बात वक्फ बोर्ड बड़ा सवाल खड़ा करता है .

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    वक्फ बोर्ड देशभर में खेल रहा है खेल

    अब हम आपको एक  खेल समझाते है . वक्फ बोर्ड देशभर में खेल रहा है खेल  .वक्फ बोर्ड जहां भी कब्रिस्तान हो उसका  घेरेबंदी करवाता है,और  उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति बताने लगता है. आपने देखा होगा कुछ सालो में अवैध मजारों, और नई-नई मस्जिदों की तो  बाढ़ सी आ गयी है. इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है. और ये कब्ज़ा कैसे होता है .अब ये समझने की जरुरत है .



    1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है  तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है. 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है ? 

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    इसका जवाब  ऊपर दिया जा चुका है. अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना होता है, सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक उसका दावेदार रहा है. कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है. वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देना है. और ऐसी कानून किसके द्वारा बनाया गया तो अब ये भी समझिये .

    वर्ष 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने

     वर्ष 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 में संशोधन किया और नए-नए प्रावधान जोड़कर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दीं. और यही कांग्रेस की  नरसिम्हा राव की  सरकार है जो उपसना एक्ट भी लेकर आया था मुस्लिम को और फायदा देने के लिए जिसका उदहारण है ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी  और मथुरा है .   हिदुओ को अपनी रामजन्म भूमि लेने के लिए वर्षो अदालत में लड़ाई लड़नी पड़ी पर ये मुस्लिम बक्फ बोर्ड किसी भी सम्पति को अपना धोषित कर दे .कोंग्रेस को इतना से भी संतुष्टि नहीं मिली तो  वर्ष 2014 में   कांग्रेस के ही नेतृत्व वाली यूपीए की मनमोहन सरकार ने ठीक  लोकसभा चुनावों से पहले दिल्ली के लुटियंस इलाके में  महत्वपूर्ण और हजारो करोड़ मूल्य की 123 सरकारी संपत्तियों को वक्फ  बोर्ड के हवाले कर दिया। और अब ये जानते है की कैसे किया ? 

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    5 मार्च 2014 को 123  संपत्तियां दिया वक्फ को 

    उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कैबिनेट ने  आनन फानन में एक  गेजेट पास किया  5 मार्च 2014 में  उस समय लोकसभा चुनावों की तैयारियां चल रही थी, और इसी दिन आचार संहिता भी लगने वाला था तब एक गुप्त गेजेट  के माध्यम  123  संपत्तियां जिसमे से  61 सम्पति भू विकास कार्यलय की सम्पति  भी शामिल है . जो  दिल्ली के प्राईम और महंगे इलाकों में है .


    जिसकी कुछ जानकारी इस प्रकार है  .1- पक्का मजार के निकट जेपी अस्पताल के भीतर 2-मस्जिद और कब्रिस्तान फजल मोहम्मद रामलीला मैदान तुर्कमान गेट 3- जाप्ता गंज  मस्जिद  इण्डिया गेट के निकट मन सिंह रोड .4-मस्जिद निकट हनुमान मंदिर ,इरबिन रोड, 5-जमा मस्जिद ,रेड क्रोस रोड,सासद भवन के नजदीक के आलावा मथुरा रोड और अन्य वीवीआईपी एन्क्लेव जैसे प्रमुख स्थानों पर स्थित हैं।

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    अब बात सोचने वाली है की मनमोहन सरकार को   ऐसी क्या जल्दी थी जो  जल्दबाजी में देश की सम्पति को इन मुस्लिम वक्फ बोर्ड को खैरात में दे दिया . तो इसका जबाब है मुस्लिम वोट बैंक आपको बताते चले की  जिस दिन मनमोहन सरकार ने ये जमीन मुस्लिम वक्फ बोर्ड के नाम कर दिया गया उसी दिन मनमोहन सरकार के  शहरी विकास मंत्रालय के तत्कालीन अतरिक्त जेपी प्रकाश तत्कालीन अतरिक्त सचिव डॉ .सुधीर कृष्णा को  चिठी लिखी की कही आचार संहिता ना लग जाय और ये जमीन हम मुस्लिम वक्फ बोर्ड को ना दे पाए तो तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा  

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    लेकिन कोंग्रेस विपरीत कार्य करता है 

    जब भी कोई देश में हिन्दू धर्म की बात उठता है तो  कोंग्रेस वाले  सेक्लुरिज्म का गीत गाने लगते है . अब समझते है की भारत में सेक्लुरिज्म यानि धर्म निरपेक्षिता क्या है . तो भारत  मानता  है कि हम एक ही धरती पर रहते हैं।  एक ही नदियों का पानी पीते हैं, एक ही हवा में साँस लेते है  तो फिर सभी धर्म एक सामान है और सभी  धर्मो को प्रोत्साहन मिलना चाहिए  .लेकिन कोंग्रेस इसके विपरीत कार्य करता है वो सिर्फऔर सिर्फ एक धर्म को बढ़ावा देता है मुस्लिम धर्म को तो अब आपने कोंग्रेस का सेक्लुरिज्म और धर्म निरपेक्षिता का खेल समझ गए होंगे .वो भारत के हिन्दू को किस नजरिये से देखते है एक तरफ राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे है और दूसरी तरफ उन्ही की सरकार भारत तोड़ने और लोगो को धोखा देने का काम किया अब आप ही सोचे की ये कोंग्रेस भारत जोड़ेगा या तोड़ेगा 


     यंहा हम एक और कहना चाहेंगे भारत देश हिन्दू बहुल देश है पर उसी भारत में धर्म के आधार पर कानून है जो  हिन्दू को दबाता है . मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण है .उससे टेक्स वसूलते है पर मस्जिद और चर्च पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है ये कैसा दोहरा कानून है .जिस देश के प्रधान कहते हो एक देश एक झंडा तो कानून दो क्यों  

    आइये जानते है क्या लिखा था मनमोहन सरकार उस गुप्त नोट में ?

    शहरी विकास मंत्रालय के सचिव को संबोधित नोट में कहा गया है, ‘भूमि एवं विकास कार्यालय (एलएनडीओ) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के नियंत्रण में दिल्ली में 123 संपत्तियों की अधिसूचना रद्द करने से औपचारिक ब्योरा जारी होने तक मंत्रालय को सूचित किया जाए।  27 फरवरी, 2014 को भारत सरकार को एक पूरक नोट लिखा था, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में 123 प्रमुख संपत्तियों पर अपना दावा किया गया था।


    महत्वपूर्ण और चौकानें वाली बात यह है कि प्रस्ताव मिलने के एक सप्ताह के भीतर ही  बिना किसी प्रक्रिया का पालन किये मनमोहन सरकार  द्वारा ‘गुप्त नोट’ जारी किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक नोटिस में कहा गया है, “केंद्र सरकार निम्नलिखित शर्तों के अधीन एलएनडीओ और डीडीए के नियंत्रण में उल्लिखित इन वक्फ संपत्तियों से नियंत्रण वापस ले रही है।

    कांग्रेस सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया में स्वीकार किया कि 123 संपत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड की ही हैं, और बोर्ड द्वारा एक नोट दिए जाने के पश्चात उन्होंने तुरंत उन सम्पत्तियों से अपना स्वामित्व वापस लेने का निर्णय कर लिया था। जबकि ये  सभी संपत्तियां ब्रिटिश सरकार से भारत को विरासत में मिली थीं और 5 मार्च, 2014 तक उनकी स्थिति यथा सम्भव था .


    आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे यह जानकार कि यह काम आदर्श आचार संहिता लागू होने से ठीक एक दिन पहले किया गया था। 123 संपत्तियों में से 61 एलएनडीओ के स्वामित्व में थीं, जबकि शेष 62 संपत्तियां डीडीए के स्वामित्व में थीं, और इन सबको को वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था।


    इन्ही सभी गडबड झाला को ठीक करने के लिए फरवरी 2015 की शुरुआत में, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को सरकारी संपत्तियों को उपहार में देने के निर्णय की जांच करवाने का निर्णय किया। 


    वहीं दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद ने इस निर्णय के विरुद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। विश्व हिन्दू परिषद् ने तर्क दिया था कि बेशकीमती संपत्तियों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 48 के अंतर्गत इस प्रकार से जारी और पहचाना नहीं जा सकता है। इस बारे में बोलते हुए तत्कालीन शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा था कि, ‘मुझे सलमान खुर्शीद के खिलाफ एक प्रतिवेदन मिला है, पिछले साल पद छोड़ने की पूर्व संध्या पर उन्होंने वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखते हुए इन संपत्तियों के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


    मई 2016 में भाजपा सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी जेआर आर्यन के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया था। इसे 6 महीने की अवधि के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का काम दिया गया था। जून 2017 में, यह बताया गया था कि समिति ने सिफारिश की थी कि 123 संपत्तियों के स्वामित्व पर अंतिम निर्णय दिल्ली वक्फ आयुक्त द्वारा लिया जाना चाहिए। एक अधिकारी ने बताया कि जेआर आर्यन कमेटी डी-नोटिफिकेशन के मुख्य मुद्दे की जांच करने में विफल रही यानी क्या संपत्तियां वास्तव में वक्फ की थीं।

     भले ही इसे अतिरिक्त 6 महीने का विस्तार दिया गया, लेकिन जांच समिति एक ठोस समाधान के साथ आने में विफल रही और वक्फ बोर्ड आयुक्त पर उत्तरदायित्व डाल दिया। इसमें सुझाव दिया गया कि डीडीए और एलएनडीए समाधान के लिए वक्फ आयुक्त के समक्ष मामले को उठाएं।


    यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड आयुक्त की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है, जो अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी द्वारा संचालित है। अमानतुल्लाह खान ही वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जिन्हे कल ही गिरफ्तार किया गया है। क्या केंद्र सरकार अब इस मुद्दे को पूरी तरह से सुलझाने के लिए आगे बढ़ रही है ? लगता है कही ना कही आम आदमी पार्टी भी कोंग्रेस के नक्शे कदम पर चल रही है .

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