राम रेखा धाम की खोज किसने की ? यंहा भगवान श्रीराम ने क्यों खींची रेखा ? आइये जानते है
सिमडेगा : रामरेखा धाम एक पवित्र स्थान है जो झारखंड के सिमडेगा जिला का सबसे प्राचीन धार्मिक स्थल है .यहां अगस्त मुनि के छोटे भाई अग्निजीविहा मुनि का आश्रम है ।त्रेता युग से ही मुनि रामरेखा गुफा में तप कर रहे हैं . उनके द्वारा किए गए यज्ञ आहुति का विस्तार अग्निकुंड में आज भी देखा जा सकता है ।
अग्निकुंड,रामरेखा धाम |
यह भी देखे-गजब है सिमडेगा बीरू स्तिथ भैरव बाबा मंदिर की पहचान,मकर संक्रांति पर लगते है मेले
पवित्र रामरेखा धाम समुद्र तल से एक हजार तीन सौ बारह फिट की ऊंचाई पर स्थित इस रामरेखा धाम की दुरी सिमडेगा शहर से 26 किलोमीटर की दुरी पर पाकड़टांड़ प्रखंड में स्थित है ।इस स्थान परसन 1958 में पूज्य देवराहा बाबा आए थे। वह भी मुनि गुफा में जाकर तपलीन मुनि से बात किये थे।
श्रीराम रेखा धाम का इतिहास और कहानी
त्रेता युग में भगवान श्री राम अपने पिता के वचन का पालन करने के लिए 14 वर्ष के वनवास पर निकले थे। उसी बनवास यात्रा के क्रम में उन्होंने सबसे पहले गया में अपने पिता राजा दशरथ के आत्मा शांति के लिए तर्पण पूजा की ।
उसके बाद श्री राम जी वहां से दक्षिण दिशा की बढ़ चले तब उन्हें रस्ते में गौतम ऋषि के शिष्य अग्निजीविहा मुनि के आश्रम मिला वो आश्रम पर्वतों जंगल एवं जंगली जानवरों से घिरा हुआ था । आज वही अग्निजीविहा मुनि के आश्रम श्री रामरेखा धाम के नाम से प्रसिद्ध है ।
इस स्थान पर भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्षमण जी के साथ वर्षा काल के चार महीने बिताये।माता सीता आपने भोजन के लिए कंदमूल फल फूल का उपयोग किया करती थी इस बात का गवाह आज भी माता सीता का चूल्हा स्नान के लिए धनुष आकार का कुंड एवं उनके हाथों से निर्मित रंगोली सीता चौक है ।
लक्ष्मण जी अपने नहाने के लिए स्वयं ही जल की व्यवस्था करते थे।वर्तमान में उस स्थान को आज गुप्त गंगा के नाम से जाना जाता है।इतना ही नहीं आप आज भी इस पवित्र रामरेखा धाम में अनेक स्थानों पर राम लक्ष्मण एवं सीता जी के चरण चिन्ह आसानी से देख सकते हैं।
बीरू राज वंश ने किया रामरेखा धाम की खोज
बहुत समय पहले की की बात है .वीरू राजवंश के 15 वीं पीढ़ी के गंग वंशी राजा हरी राम सिंह देव अपने शिकार करते हुए कौशलपुर परगना क्षेत्र में जा पहुंचे, जहां बहुत सारे जंगली जानवर और विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों से शोभायमान हो रहा था। थके हारे राजा ने उस स्थल पर अपना डेरा जमाया।
वहां पहुंचकर राजा को शांति का अनुभव हुआ जब राजा आराम कर रहे थे दूर से उनके कानों-राम-राम का शब्द सुनाई दिया तब राजा ने राम शब्द की और बढ़ चले आगे जाकर देखा की एक गुफा जो लता पत्र आदि से घिरा हुया था उसी गुफा सी निरंतर राम-राम का उच्चारण निकल रहा है ।
राजा ने अपने सहयोगियों को लता पत्ता हटाने का आदेश दिया जब वो गुफा में प्रवेश किये तो राजा की निगाह एक शिवलिंग पर पड़ी तब राजा ने दंडवत प्रणाम करते हुए आगे बढे तो देखा कि एक मिट्टीनुमा वेदी पर एक काला रंग के शंख से राम नाम निरंतर निकल रहा है।रजा ने उस शंख को माथे से लगाकर प्रणाम किया। और स्वयं अपने हाथों से उसे शंख के सुरक्षा के उपाय किए .उसके बाद राजा वापस अपने महल लौट चले 1 दिन राजा के सपने में भगवान राम आये और उन्होंने रजा से कहा की जिस जगह पर उन्होंने शिवलिंग का दर्शन किया वह शिवलिंग हमारे द्वारा नवास काल में स्थापित किया गया है ।और हमने प्रमाण स्वरूप अपना शंख वाही छोड़ दिया जो दिन रात मेरा ही नाम लेता रहता ।
राजा भगवान श्रीराम के परम भक्त हो गए
स्वपन देखने के बाद राजा भगवान श्रीराम के परम भक्त हो गए । और वैष्णव मत स्वीकार कर रामानुज संप्रदाय से जुड़ गए तब से उस पावन शंख की पूजा प्रतिवर्ष कराने की व्यवस्था राजा ने पहान बैगा को दिया और तब से हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्वयं राजा उपस्थित होकर इस स्थल पर विधिवत पूजा पाठ के साथ-साथ रासलीला का और राधा कृष्ण झुला का त्यौहार, संकीर्तन ,भक्ति कार्यक्रम का आयोजन कराते आ रहे है। पह्लेले के समय चोरी छीना झपटी आदि किसी प्रकार का भय नहीं होने से गांव- गांव के लोग इस स्थान पर आने लगे ।
1916 में राधा कृष्ण की मूर्ति की स्थापना किए
राजा श्री हरी राम सिंह देव के मृत्यु उपरान्त उनका पुत्र राजा इंद्रजीत सिंह देव राजा हुए इंद्रजीत सिंह देव के पुत्र गजराज सिंह देव के समय में राम रेखा धाम में काफी विकास कार्य हुआ । राजा ने पालेडीह मांझीयस की जमीन को देबोतर रूप में दान दे दिया। गजराज सिंह ने बनारस से श्री राम लक्ष्मण जानकी की पाषाण प्रतिमा मंगवा कर स्थापित करवाया। उसके बाद उनका पुत्र राजा गजराज सिंह देव और उनके पुत्र श्री निवास हुकुम सिंह देव ने इस परंपरा को कायम रखा सन 1916 में अपने इष्टदेव की प्रेरणा और अपने गुरुजन के द्वारा सुझाए जाने पर राधा कृष्ण की मूर्ति की स्थापना किए । हुकुम सिंह देव ने देवोत्तर स्वरुप श्री राम रेखा धाम को माषेकेरा एवं पालेडीह का भंडार एवं जमीन देकर खेवट में धाम का नाम चढ़ा दिया और खुद यंहा के व्यवस्थापक बन गए तब से आज तक उनके ही वशंज यंहा के व्यवस्था का देख रेख करते चले आ रहे है .
1942 में रामरेखा बाबा आये
इतना इंतजाम होने के वावजूद इस पवित्र स्थान की विधि पूर्वक पूजा अर्चना हेतु कोई पंडित आचार्य नहीं था तब श्री निवास हुकुम सिंह देव जी के पुत्र श्री धर्मजीत सिंह देव ने वाराणसी जाकर अपने गुरु स्वामी जनार्दनआचार्य जी कहा की हमारे यंहा त्रेता युग के एक पवित्र स्थान है जिसे संरक्षण तथा प्रबंधन हेतु एक योग्य आचार्य की आवश्यकता है। तब उनके निवेदन पर भली-भांति सोच विचार कर गुरु स्वामी श्री जनार्दन आचार्य जी महाराज ने अपने शिष्य श्री जयराम प्रपन्नाचार्य जी महाराज जो आगे चलकर रामरेखा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए उन्हें रामरखा धाम का सेवा कार्य सौंपा गया जो सन 1942 से लेकर 2007 तक लोगों को धर्म के प्रति जागरूक किया ।रामेखा बाबा गांव-गांव पैदल तथा साइकिल से भ्रमण कर श्री राम जी के कीर्ति का बखान किया और उन्होंने हिंदू धर्म की जागृति हेतु सप्ताहिक सत्संग का आयोजन कराया लोगों को अंधविश्वास से दूर रखा, शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक किया कई जगह बाबा ने विद्यालय भी खोले .
आगे चलकर बीरूगढ़ के राजवंश के वंशराज टिकैत धनुर्जय सिंह देव पटैत पदम राज सिंह देव तथा लाल इंद्रजीत सिंह देव ने भगवान के भोग नियोग हेतु मौजा मासेखेड़ा पालडी में भूमि की व्यवस्था कर भंडार बनाया . तत्कालीन बिरु राजा टिकैत धनुर्जय सिंह देव पटैत पद्मराज सिंह देव तथा लाल श्री इंद्रजीत सिंह देव ने श्री राम रेखा धाम विकास समिति का गठन कर रामरेखा धाम के प्रति लोगों को जोड़ने का काम किया।
आज भी उस वीरू राजवंश के वंशज लाल श्री इंद्रजीत सिंह देव युवराज श्री दुर्गविजय सिंह देव और युवराज श्री कौशल राज सिंह देव श्री राम रेखा धाम के संरक्षक है । और श्री राम रेखा धाम विकास समिति के द्वारा श्री राम रेखा धाम का सर्वांगीण विकास हो रहा है। आज ये स्थल छोटानागपुर में एक तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है। कार्तिक पूर्णिमा तथा माघ पूर्णिमा के अवसर पर झारखंड, छत्तीसगढ़ ,और उड़ीसा से लाखों श्रद्धालु इस स्थल पर कुंड स्नान दर्शन पूजन कर पुण्य प्राप्त करते हैं। ये है पवित्र रामरेखा धाम का इतिहास और कहानी .
वी न्यूज 24 फॉलो करें और रहे हर खबर से अपडेट
WhatsApp पर न्यूज़ Updates पाने के लिए हमारे नंबर 9599389900 को अपने मोबाईल में सेव करके इस नंबर पर मिस्ड कॉल करें। फेसबुक-टिवटर पर हमसे जुड़ने के लिए https://www.facebook.com/wenews24hindi और https://twitter.com/Waors2 पर क्लिक करें और पेज को लाइक करें .
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद