3 साल बाद सजकर है तैयार सिमडेगा गांधी मेला, जानिए गांधी मेले का इतिहास
तस्वीर वी न्यूज 24 |
We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार
SIMDEGA : गणतंत्र दिवस के मौके पर लगने वाला गांधी मेला सिमडेगा क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध मेला है। लोगों में गांधी मेला का काफी इंतजार रहता है। प्रथम गणतंत्र दिवस 1950 से गाँधी मेला का शुरुआत की गयी 70 साल के इतिहास में कोरोना के वजह से दो बार गाँधी मेला का आयोजन नहीं हुआ अभी देश में कोरोना में कमी आने के वजह से इस बार प्रशासन ने गाँधी मेले का आयोजन का अनुमति दिया है .
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इस बार 3 साल के बाद लग रहे मेले को लेकर यंहा के स्थानीय और आस-पास के लोगो में काफी उत्सुकता है इस गाँधी मेले का यंहा के लोग साल भर इंतजार करते है .इस मौके पर जिला प्रशासन की ओर से विकास मेला सह कृषि प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाता है। जहां जिले के किसानों के द्वारा बेहतर उत्पाद रखे जाते हैं। एक सप्ताह से अधिक दिनों तक चलने वाला इस मेले में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। जिले मुख्यालय व ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ पड़ोसी जिले व राज्य से दुकानदार व लोग पहुंचते हैं। मेला में खेल-तमाशा की सामग्री, खिलौना, कपड़े, व्यंजनों के दुकान आदि मौजूद रहते हैं। पड़ोसी राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़ से लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। मेले में एक ओर पारंपरिक आदिवासी संस्कृति की झलक मिलती है तो दूसरी ओर स्वदेशी निर्मित खाद्य सामग्री एवं परिधान भी मिलते हैं। इसके अलावा हस्त निर्मित सामग्री, उत्कृष्ट दर्जे के कृषि उत्पाद, दैनिक जरूरत की वस्तुओं के भी स्टॉल सजाए जाते हैं। मेला का शुभारंभ भी विधिवत राष्ट्रीय ध्वज फहराकर किया जाता है।
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झारखंड के आदिवासी बहुल जिलों में शुमार सिमडेगा जिला भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम, उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को जीवंत रखा है। उनके नाम नाम पर विगत 72 वर्षों से गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में विशाल गांधी मेला लगता रहा है। यह मेला जहां एक ओर सामाजिक समरसता का एक बेजोड़ उदाहरण पेश करता है तो दूसरी ओर मेला स्वदेशी रंग व खुशबू के रूप में बापू के स्वराज की परिकल्पना को भी साकार करता है।
गांधी मेला की आरंभिक इतिहास
गांधी मेला की आरंभिक इतिहास भी बेहद रोचक व प्रेरणादायी रहा है। जब देश को आजादी मिली थी तब यहां बीरू गढ़ के राजा धर्मजीत सिंह देव ने गांधी मैदान में तिरंगा ध्वज फहराया था।उस घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे 90 वर्षीय आचार्य नरोत्तम शास्त्री ने इस संबंध में बताया कि उस ऐतिहासिक मौके पर ध्वजारोहण के बाद राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम गाया गया था। इसी मौके पर राजा धर्मजीत सिंह देव ने धनुष पर तीर चढ़ाकर भूमि से मिट्टी निकाला और महात्मा गांधी के नाम जमीन दान दी।जिसका नाम गांधी मैदान रखा गया।मौके पर तत्कालीन एसडीओ एस के चक्रवर्ती, स्वतंत्रता सेनानी गंगा विष्णु रोहिल्ला, आचार्य रमापति शास्त्री, वकील रऊफ साहब,संते मरीज विद्यालय के प्राचार्य फादर हेनरी ग्रिस्ट आदि शामिल हुए थे।वहीं जब देश में पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को मनाया गया तब इस गांधी मैदान में गांधी मेला का आयोजन शुरू हो गया। आरंभ में गांधी जी की प्रतिमा माटी से बनाई गई थी,वैसे अब यहां पाषाण प्रतिमा बनाई गई है।
31 जनवरी 1993 में यहां गांधी प्रतिमा चबूतरा निर्माण का आधार शिला रखा गया। ठीक एक साल बाद 26 जनवरी 1994 में प्रमुख टिकैत धनुर्जय सिंह देव एवं एसडीओ अमृत प्रत्यय ने प्रतिमा का उद्घाटन किया। इधर 2016 में तत्कालीन उपायुक्त विजय कुमार सिंह ने चबूतरा सौंदर्यीकरण व गेट आदि बनवाए। बेहतर किसानों को मिलता है पुरस्कार
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