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NCR/दिल्ली/ब्यूरो संवाददाता मनोज देशवाल
नई दिल्ली: हिंसा में दंगाइयों ने एक मुस्लिम परिवार के न सिर्फ घर को आग लगा दी, बल्कि उनकी जान के भी दुश्मन बन गए थे। इसी बीच पड़ोस के हिंदू परिवार ने सिर्फ पूरे परिवार को शरण दी, बल्कि अपने परिवार के सदस्यों के कपड़े पहनाकर 12 घंटे तक पहचान छिपाकर रखी। इसके बाद देर रात माहौल शांत होने के बाद पूरे परिवार को सुरक्षित मुस्तफाबाद उनके रिश्तेदार के घर पहुंचाने में मदद की। हालांकि, हिंदू परिवार ने अपनी पहचान उजागर करने से मना किया है। पड़ोसी की इस दिलेरी से उस मासूम परिवार की जान तो बच गई, लेकिन 29 मार्च को बेटी के निकाह के लिए जोड़ा गया सारा सामान जलकर खाक हो गया।
गाजियाबाद के रहने वाले हैं सलीम
दंगा पीड़ित सलीम ने बताया कि मूल रूप से वह जिला गाजियाबाद के नाहल गांव के रहने वाले हैं, लेकिन वह शुरुआती दौर से दिल्ली के शिव विहार इलाके के प्रेम विहार कॉलोनी में पत्नी और सात बच्चों के साथ एक छोटे से मकान में रहते हैं। ऑटो चलकर परिवार का खर्च उठाते हैं। 29 मार्च 2020 को बेटी रुकसाना की शादी है, काफी दिनों से शादी की तैयारियां चल रही थी। लगभग शादी के लिए सारा सामान खरीदकर घर में रख लिया था।
दंगाई ने लगा थी घर में आग
मंगलवार को वह अपने परिवार के साथ घर में मौजूद थे। इसी दौरान उपद्रवियों का एक झुंड उनके घर में दाखिल हुआ और आग लगा दी। किसी तरह वहां से वह परिवार सहित बचकर भागे, जहां घर से कुछ ही दूरी पर एक हिंदू परिवार ने घर में शरण देकर जान बचाई। उन्होंने कहा कि अब हमारे तन पर जो कपड़े है बस वही हमारे पास है। बाकी रिश्तेदारों के घर से मांगकर गुजारा हो रहा है। हमारे जीवन में हिंदू पड़ोसी फरिश्ता बनकर आया और पूरे परिवार की जान बचा ली।