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    Omicron :कोवैक्सिन टीका लेने वाले लोगो को पहले लगेगा बूस्टर डोज



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    We News 24» रिपोर्टिंग / कविता चौधरी 

    नई दिल्ली : भारत में कोवैक्सिन टीका ले चुके लोगों को पहले कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा सकती है. टीकाकरण पर देश के विशेषज्ञ पैनल के सूत्रों ने यह जानकारी दी है. विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ की एक नई सिफारिश का हवाला दिया है. डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश की है कि ओमीक्रॉन (Omicron) खतरे के मद्देनजर पूरी तरह से निष्क्रिय वायरस-आधारित वैक्सीन लेने वालों को बूस्टर खुराक मिलनी चाहिए. साथ ही उन लोगों की भी पहचान की जानी चाहिए, जिन्हें सबसे अधिक इम्युनो-कॉम्प्रोमाइज्ड के रूप में निर्धारित किया गया है.


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    सभी के लिए बूस्टर डोज की बढ़ती मांग के बावजूद भारत ने डब्ल्यूएचओ के साथ अपनी नीति को श्रेणीबद्ध करने का फैसला किया है, जैसा कि पिछले सप्ताह देश के कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख वीके पॉल ने घोषित किया था. WHO के स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनाइजेशन ने कहा था कि जो लोग इम्युनो-कॉम्प्रोमाइज्ड हैं, जैसे कि डायलिसिस या इम्यूनो-सप्रेसेंट पर या एक निष्क्रिय कोविड -19 वैक्सीन प्राप्त किया है उन्हें बूस्टर डोज लेनी चाहिए. टीकाकरण पर डब्ल्यूएचओ की सलाह का पालन करने की हमारी नीति को देखते हुए जिसमें बूस्टर खुराक शामिल हैं, हम उनकी नवीनतम सिफारिशों पर विचार कर रहे हैं और विशेषज्ञ समूह में औपचारिक रूप से इस मामले पर चर्चा करेंगे.


    भारत में अब तक 135 करोड़ लोगों लगाए गए टीके

    कोवैक्सिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले ही स्वीकृत मिल चुकी है. भारत में फिलहाल लगभग 135 करोड़ लोगों को टीके लगाए गए हैं जिनमें से लगभग 10.7% खुराक कोवैक्सिन की हैं. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित एडेनोवायरस प्लेटफॉर्म पर आधारित वैक्सीन कोविशील्ड टीकाकरण अभियान में सबसे आगे बना हुआ है. हालांकि, विशेषज्ञ बताते हैं कि कोवैक्सिन दिए जाने के बाद मनुष्यों में एंटीबॉडी के स्तर की समयरेखा पर अभी तक जनसंख्या स्तर निश्चित डेटा उपलब्ध नहीं है.


    तीसरी खुराक को लेकर की गई थी सिफारिश

    पिछले हफ्ते स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने एक संसदीय स्थायी समिति को जानकारी दी थी कि यदि आवश्यक हो तो तीसरी खुराक दी जा सकती है, लेकिन दूसरी खुराक के नौ महीने बाद ही दी जाएगी. ICMR के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि कई देशों के डेटा से पता चलता है कि सेलुलर और म्यूकोसल इम्युनिटी और भी अधिक समय तक चल सकती है. 

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