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    एक बार जरूर जाएं जय मंगला गढ़ मंदिर, जहां गिरे थे माता सती के वक्ष

     


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    We News 24» रिपोर्टिंग / दीपक कुमार 

    नई दिल्ली : आज हम आपको  बिहार के बेगुसराय जिले में स्थित  जय मंगला गढ़ मंदिर लिए चलते है ये मंदिर  देश के 52 शक्तिपीठों में से एक, माता जय मंगला गढ़ मंदिर पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार काफी प्रसिद्ध देव स्थल है. भक्त मानते हैं कि माता के दरबार में जो भी मुरादें लेकर आया है माता ने उसे पूरी की है.बेगूसराय जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर मंझौल में एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की कांवर झील है. इस झील के मध्य में स्थित है माता जयमंगला गढ़ मंदिर. देश के प्राचीनतम मंदिरों में से एक इस मंदिर को जागृत स्थल और सिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है.


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    जयमंगला गढ़ मंदिर के दक्षिणी द्वार के पास खुदाई में नवग्रह की मूर्तियां भी मिली थी. इसकी स्थापना को लेकर कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं जिससे पता चलता है कि इसका निर्माण पाल वंश के शासकों द्वारा किया गया होगा. कुछ अवशेष इस बात को प्रमाणित करता है कि इस इलाके में महात्मा बुद्ध की भी गतिविधि रही है. यह निर्विवाद है कि अतीत में इस गढ़ का निर्माण किसी शक्तिशाली एवं प्रभावशाली राजा के द्वारा कराया गया होगा. गढ़ के चारों तरफ झील का पानी होना किसी सुरक्षित दुर्ग का प्रतीक है.इसी स्थान पर गिरा था देवी सती का स्तन 

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    स्थानीय लोगों और पंडा समाज के मुताबिक मंदिर की स्थापना और पाल वंश के शासन काल की कड़ियां एक दूसरे से जुड़ी हुई है. पाल वंश के द्वारा इस मंदिर की स्थापना से लेकर संरक्षण में योगदान के प्रमाण मिले हैं. स्थानीय पंडा के मुताबिक कई देवी ग्रंथ में माता जयमंगला का जिक्र है. मान्यताओं के अनुसार जब सती का शव लेकर भगवान भोले शंकर तांडव नृत्य कर रहे थे. तब देवी का स्तन इसी स्थान पर गिरा था. दूसरी कहावत यह है की त्रिपुर राक्षस का जब पृथ्वी पर आतंक बढ़ गया था. तब उसके अंत के लिए भगवान भोले शंकर ने यहीं आकर माता का आह्वान किया था. जिसके उपरान्त माता प्रकट होकर उस राक्षस का वध की थीं. तब से माता जयमंगला की पूजा अर्चना यहां शुरू हो गई .


    माता की पूजा मुख्य रूप से मंगलवार के दिन की जाती है. अंग जनपद के राजा कर्ण भी गंगा नदी के जरिए माता जयमंगला के दरबार मे माथा टेकने आते थे. 14 कोसों में फैले विशाल कांवर झील के बीच लगभग 400 बीघे का ये द्वीप जंगलों से भरा हुआ है. हालांकि सम्पन्नता और ख्याति के बाबजूद भी पर्यटन के हिसाब से यह क्षेत्र आज भी पिछड़ा हुआ है. तो आइये सुनते है है स्थानीय ग्रामीण से माता जय मंगला गढ़ मंदिर पौराणिक कथाओं और मान्यता .

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