एक साल तक नहीं होंगे दिल्ली एमसीडी चुनाव जानिए वजह
We News 24» रिपोर्टिंग /आरती गुप्ता
नई दिल्ली : राजधानी की नगर निगमों का एकीकरण करने संबंधी दिल्ली नगर निगम संशोधन बिल संसद में पेश होने के बाद यह तय माना जा रहा है कि निगम चुनाव अब देरी से होंगे। चुनाव कब होंगे इसे लेकर भी सभी तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, क्योंकि इतिहास में निगम के चुनाव कभी ढाई साल की देरी से तो कभी दस साल की देरी से हुए। निगम का एक होनेसे वार्ड की संख्या कम हो रही हैं तो वहीं वार्डो की स्थिति में भी परिर्वतन रोटेशन के दौरान किए जाएंगे। रोटेशन करने में चुनाव आयोग को अभी समय लग सकता है।
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वित्त वर्ष के लिहाज 31 मार्च 2022 को निगम का कार्यकाल समाप्त हो रहा है यहीं वजह है कि निगम सचिवों की तरफ से सभी पाषर्दो को लैपटॉप और मोबाइल सहित अन्य सामग्री निगम सचिव कार्यालय में जमा कराने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। लेकिन तीनों निगमों में महापौर के चुनाव के हिसाब से 18 मई से 22 मई 2022 को कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इस तरह नगर निगम भंग होने की तरफ बढ़ रही है। निगम भंग होने के बाद चुनाव कब होंगे यह कहना जल्दबाजी होगा। क्योंकि निगम का इतिहास कुछ और ही कहता है। निगम के चुनाव वर्ष 75 में होने थे , लेकिन चुनाव जाकर 12 जून 1977 को इस तरह करीब ढाई साल निगम भंग रही थी।
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दस साल भंग रहा है निगम
दिल्ली नगर निगम दस साल तक भंग भी रहा है। निगम के चुनाव वर्ष 1981 में होने थे, लेकिन चुनाव पांच फरवरी 1983 को हुए। पहले नगर निगम चार साल के लिए होती थी। इस तरह वर्ष 1987 में चुनाव होने थे जिन्हें टाल दिया गया और 1989 तक चुनाव नहीं हुए। इसके नगर निगम के चुनाव दस साल नहीं हुए और 1997 में जाकर नगर निगम के चुनाव हो सके। दिल्ली के चुनावों के विशेषज्ञ रहे डाक्टर वेद व्यास महाजन का कहना है कि निगम के चुनावों को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। ऐसे कानून बनाए जाने जाए, जिसमें आने वाले दिनों में निगम के कर्मचारियों का वेतन, पेंशनभोगियों की पेंशन सहित वित्तीय संसाधन सहित निगम मजबूत हो।
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नए बिल में क्या है खास
दिल्ली नगर निगम प्रशासनिक एकीकरण तक है सीमित
एकीकृत निगम में एक प्रशासनिक अधिकारी तय किया जाएगा
कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है
नए नगर निगम में वार्डो की संख्या रहेगी 250
तीनों निगमों की देनदारी और तीनों निगमों की संपत्ति एकीकृत होगी
ऐसे लेट होंगे चुनाव
परीसीमन होगा: निगम चुनाव के लिए दोबारा से परीसीमन होगा। निगम में अभी 272 सीटें हैं। एकीकृत निगम में 250 से ज्यादा सीट नहीं होंगी। यह सीटें कम हो सकती है। आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से सीटों को तय किया जाएगा। ऐसे में परीसीमन में समय लगेगा।
आरक्षण होगा तय: निगम के बिल में आरक्षण तय नहीं किया गया है। जनगणना के आधार पर आरक्षण को तय किया जाना है। एकीकरण के नोटिफिकेशन में आरक्षण की तस्वीर साफ होगी। ऐसे में परीसीमन के साथ आरक्षण में भी समय लगेगा।
परीसीमन के बाद तय होगा रोटेशन: निगम में परीसीमन के बाद रोटेशन तय किया जाएगा। वर्तमान आधार पर तीनों निगमों में अलग-अलग रोटेशन तय किया गया था। अब एकीकृत निगम के आधार पर दोबारा रोटेशन तय किया जाएगा। निगम विशेषज्ञों का कहना है कि इस परीसीमन, आरक्षण और रोटेशन में समय लगेगा। ऐसे में निगम का चुनाव एक साल तक लेट हो सकता है।
तीनों निगमों में वार्ड अनुसार मौजूदा स्थिति
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम:
कुल वार्ड- 104
अनुसूचित जाति (महिला) के लिए आरक्षित वार्ड- 10
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्ड की संख्या 10
महिला के लिए आरक्षित वार्ड 42
सामान्य के लिए वार्ड-42
पूर्वी दिल्ली नगर निगमः
कुल वार्ड- 64
अनुसूचित जाति (महिला) के लिए आरक्षित वार्ड 6
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्ड की संख्या-5
महिला के लिए आरक्षित वार्ड 27
सामान्य के लिए वार्ड 26
उत्तरी दिल्ली नगर निगम:
कुल वार्ड- 104
अनुसूचित जाति (महिला) के लिए आरक्षित वार्ड- 10
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्ड की संख्या 10
महिला के लिए आरक्षित वार्ड 42
सामान्य के लिए वार्ड 42
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