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    ये हैं योग का ताड़ासन ,कभी भी करें ताड़ासन, होंगे कई फायदे

    जैसे शरीर की शुद्धि के लिए साबुन की जरूरत होती है वैसे ही मन की शुद्धि के लिए अध्यात्म के साथ योग और ध्यान की जरूरत होती है। 

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     We News 24» रिपोर्टिंग / दीपक कुमार 

    नई दिल्ली : वि न्यूज 24  योग  कॉलम शुरू किया है .कहते है जैसे शरीर की शुद्धि के लिए साबुन की जरूरत होती है वैसे ही मन की शुद्धि के लिए अध्यात्म के साथ योग और ध्यान की जरूरत होती है। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम जीने का सही तरीका भूलकर चिंता और व्याधि ग्रस्त जीवन बिता रहे हैं इस स्पर्धा के युग में योग के अनेक अध्ययन वर्ग चल रहे हैं योग  जब सही तरीके से किया जाए तब ही वो अमृत के जैसा लाभ देगा । इस नकदी में हम आपको  प्रशिक्षित योग टीचरके द्वारा  आपको  योग के फायदे नुकसान के बारे में जानकारी देंगे आज हम आपको ताड़ासन के बारे में जानकारी देंगे .


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    तो आइये  जानते  है ताड़ासन के बारे में 

     ताड़ासन, ताड़ा मतलब पर्वत की तरह शांत एवं स्थिर और ताड़ के पेड़ की तरह लंबा खड़ा रहना। ताड़ासन के अभ्यास से आप सीखेंगे कि कैसे खुद को स्थिर और सीधा खड़ा रखा जाए। ये आसन बेहद आसान है। ये सभी आसन का आधार होता है। यदि आपका आधार मजबूत होगा तो कोई भी संरचना उस पर बनाई जा सकती है। इसीलिए ये आसन आपके आधार को मजबूत करेगा। यहां हम आपको इस आसन को करने का तरीका बताने जा रहे हैं। 


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    अपने पैरों के बीच एक छोटे से अंतराल के साथ जमीन पर खड़ी हो जाएं। 

    गहरी सांस लेते हुए, अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़कर बाजुओं को ऊपर उठाएं। 

    अब, अपने पैर की उंगलियों को एक साथ उठाकर खड़ी हो जाएं। 

    पैरों की उंगलियों से हाथों की उंगलियों तक स्‍ट्रेच को नोटिस करें।

    इस पोजीशन में जितनी देर हो सके धीमी और गहरी सांस लेते हुए रुकें। 

    फिर, छोड़ दें और गहरी सांस के साथ पहली पोजीशन में आएं।

    थोड़ी देर आराम करने के बाद अपनी सुविधानुसार मुद्रा को दोहराएं।

    ताड़ासन के फायदे

    ताड़ासन एक गहरी सांस लेने वाली मुद्रा है जो फेफड़ों को शक्ति और विस्तार प्रदान करता है। 

    इससे लंबाई बढ़ सकती है। 

    पूरे शरीर की नसों को विकसित और एक्टिव करता है। 

    कशेरुक स्तंभ और हृदय को शक्ति देता है। 

    यह महिलाओं में पीरियड्स को रेगुलर करने के लिए भी अच्छी योग मुद्रा है। 

    अपच से संबंधित समस्याओं को ठीक करता है और हाथ और पैरों को मजबूत करता है। 

    शरीर से सुस्ती को दूर करने में मदद करता है। 

    फ्लैट पैरों की समस्या को कम करता है।


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    जब आप पहली बार इस आसन को करते हैं तो भले ही आप अपने दोनों पैरों पर खड़े हों लेकिन आपको महसूस होगा कि आपका शरीर कभी दाएं तो कभी बाएं तरफ घूम रहा है। शरीर का वजन न तो आगे की तरफ न हीं पैरों के पीछे महसूस होगा। मतलब संतुलन बिगड़ने लगेगा यदि आपके साथ भी ऐसा ही हुआ है तो आप अपने तलवों को थोड़ा सा ऊंचा उठाएं और अपनी हड्डियों को फैलाएं और फिर तलवों को बिना किसी सहारे नीचे रखें,। ध्यान रहे तलवों की स्किन में जरा भी सिलवट न रहे। 



    शरीर का बायां हिस्सा दाएं हिस्से की मिरर इमेज होता है। या यों कहें दोनों हिस्से एक दूसरे की मिरर इमेज होते हैं। कम से कम बाहर से तो ये बात पूरी तरह से सही है। आप खुद भी देखें, दो कान, दो नथुने, दो हाथ, दो पैर, चेहरा भी पूरी तरह से ऐसा की दो हिस्सों में बांटे बिल्कुल मिरर इमेज बने। हालांकि अंदर से ऊर्जा का वितरण एक सा नहीं होता है।


    हमारी प्रवृत्ति होती है कि हम शरीर के दोनों हिस्सों का इस्तेमाल एक सा नहीं करते हैं। इसलिए ऊर्जा का वितरण एक समान नहीं होता है। ऐसे मे होता ये है कि एक तरफ ऊर्जा ही ऊर्जा होती है तो दूसरी तरफ ऊर्जा बिल्कुल ही नहीं होती है। ऊर्ज के इस असमान वितरण की वजह से शरीर के दोनों हिस्से कष्ट सहते हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे एक बाढ़ और सूखे से प्रभावित दोनों ही क्षेत्र दुख सहते हैं, नुकसान भुगतते हैं।   


     इसलिए जब ताड़ासन करें तो ध्यान रखें कि दोनों पैरों पर शरीर का वजन बराबर डालें। दाएं-बाएं और आगे पीछे दोनों तरफ बराबर वजन महसूस होना चाहिए। अगर आपको ऐसा करने में कठिनाई महसूस हो रही हो तो दोनों पैरों को 3-4 फीट की दूरी पर फैलाएं। मतलब पैरों के बीच की दूरी 3-4 फीट करें।

     

      आसन को करते वक्त केवल शरीर को ही स्थर नहीं रखना है बल्कि आंखों और मन को भी एकाग्र रखना है। आप जितनी बार चाहें उतनी बार इस आसन को कर सकते हैं। बशर्ते करना बिल्कुल वैसे ही है जैसे आपको बताया गया है। हम ऊपर आपको बता चुके हैं कि इस आसन के अपने तो कई बेहतरीन फायदे है हीं साथ ही दूसरे आसनों के लिए ये मजबूत आधार बनाने का भी काम करता है। 

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